तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र पाठ के प्रश्न उत्तर, question answer

तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र पाठ के प्रश्न उत्तर, question answer

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1- ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?

उत्तर-‘तीसरी कसम’ नामक फ़िल्म को निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है-

•राष्ट्रपति स्वर्णपदक
•बंगाल जर्नलिस्ट एसोसिएशन का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार ।
•मास्को फ़िल्म फेस्टिवल पुरस्कार।

2- शैलेंद्र ने कितनी फ़िल्में बनाई?

उत्तर- शैलेंद्र ने अपने जीवन में केवल एक ही फ़िल्म बनाई तीसरी कसम।

3- राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम बताइए ।

उत्तर- राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्मों के नाम हैं-मेरा नाम जोकर, सत्यं शिवं सुंदरम्।

4- ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फ़िल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?

उत्तर-‘तीसरी कसम’ के नायक का नाम है- राजकपूर। उसने हीरामन नामक गाड़ीवान का अभिनय किया। नायिका वहीदा हमान ने नौंटकी कलाकार हीराबाई का अभिनय किया।

5- फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?

उत्तर- फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण प्रसिद्ध गीतकार शैलेंद्र ने किया था।

6- राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?

उत्तर- राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ नामक फ़िल्म के निर्माण के समय यह कल्पना भी नहीं की थी कि उसे इसके पहले अंश के निर्माण में छः साल का लंबा समय लगेगा।

7- राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?

उत्तर-जब ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में अभिनय करने के लिए राजकपूर ने मजाक में अपना पारिश्रमिक एडवांस माँग लिया तो शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया।

8- फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?

उत्तर-फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को आँखों से बात करने वाला कुशल अभिनेता मानते थे

तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

1- ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा गया है?

उत्तर- ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म विशेष रूप से भावपूर्ण फ़िल्म थी। वह मानो अभिनीत कहानी नहीं अपितु फ़िल्मी रील पर लिखी हुई कोई कविता थी। उसकी संवेदना बहुत सघन, सूक्ष्म और गहरी थी।

2- ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?

उत्तर-‘तीसरी कसम’ में कोई लोक-लुभावन मसाला नहीं था। वह शुद्ध रूप से साहित्यिक थी। उसमें करुणा का भाव बहुत गहरा थाफ़िल्म के वितरक उसके साहित्यिक महत्त्व और गौरव को समझ नहीं सकते थे। इसलिए उन्होंने उसे खरीदने से इनकार कर दिया।

3- शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?

उत्तर- शैलेंद्र के अनुसार, कलाकार का कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचि के अनुसार ढलकर स्वयं को उथला और सस्ता न करेवह यथासंभव दर्शकों की रुचियों का परिष्कार-संस्कार करे, उन्हें ऊँचा उठाए।

4- फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफ़ाई क्यों कर दिया जाता है?

उत्तर- फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफ़ाई इसलिए कर दिया जाता है ताकि दर्शक उन्हें देखने की लालच में फ़िल्म देखने आएँ और फ़िल्म खूब बिके।

5- ‘शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं’- इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- राजकपूर फ़िल्म के क्षेत्र में ‘तीसरी कसम’ जैसी भावपूर्ण साहित्यिक फ़िल्म बनाना चाहते थे। शैलेंद्र ने यह फ़िल्म बनाकर मानो राजकपूर की भावनाओं को ही वाणी दी थी।

6- शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है-कैसे? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- शैलेंद्र अपने जीवन में बहुत गहरे, उदार, शांत और कवि हृदय व्यक्ति थे। वे साहित्यिक गहराई से कोई समझौता करने को तैयार नहीं थे। उन्हें यश और धन की भूख नहीं थी। वे आत्म-संतोष चाहते थे। उनके यही गुण उनकी फ़िल्मों में भी प्रकट हुए। उन्होंने लटकों-झटकों वाली मसाला फ़िल्म नहीं बनाई। उन्होंने साहित्यिक रस और स्वाद को फ़िल्म में ज्यों का त्यों उतार दिया। परिणामस्वरूप वह गहरी कलात्मक फ़िल्म बन गई। परंतु उसे खरीदने वाले वितरक नहीं मिले।

7- लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- मैं इस कथन से पूरी तरह सहमत हूँ। संसार में कवि हृदय लोग ही भावनाओं की अभिव्यक्ति से संतुष्ट होते हैंवे धन और यश को नहीं, आत्मसंतोष को प्रमुखता देते हैं। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में शैलेंद्र ने व्यावसायिक खतरों को उठाया। उसमें गहरी कलात्मकता का पुट दिया। उसे सस्ते और उथले लटकों-झटकों से बचाए रखा। उसमें उन्होंने गहरी करुणा और संघर्षशीलता को स्थान दिया। उन्होंने अपने पात्रों से आँखों की भाषा में अभिव्यक्ति कराई।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

1- वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।

उत्तर- जब कवि शैलेंद्र ‘तीसरी कसम फ़िल्म का निर्माण करने चले तो राजकपूर ने उन्हें चेताया कि यह फ़िल्म चल नहीं पाएगी। इसे वितरक नहीं मिलेंगे। परंतु शैलेंद्र को धन या यश की भूख नहीं थी। वे आदर्शों में जीने वाले भावुक कवि-हृदय व्यक्ति थे। वे चाहते थे कि उन्हें फ़िल्म बनाकर सर्जनात्मक सुख मिले, आत्मसंतोष मिले। वे भीतरी आनंद को महत्त्व देने वाले युवक थे।

2- उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।

उत्तर- फ़िल्म ‘श्री 420 के एक गाने में शैलेंद्र ने ‘दसों दिशाओं’ का प्रयोग किया। संगीतकार शंकर जयकिशन ने इस पर आपत्ति की। उन्होंने कहा कि लोग ‘चारों दिशाओं’ को समझते हैं। अतः यहाँ ‘चारों दिशाओं’ आना चाहिए। तब शैलेंद्र ‘दसों दिशाओं’ पर ही डटे रहे। उनका कहना था कि फ़िल्म-निर्माताओं को दर्शकों की रुचि के बहाने अपने-आप को सस्ता और उथला नहीं बनाना चाहिए। फ़िल्मकारों का यह कर्तव्य है कि वे दर्शकों की रुचियों का संस्कार करें; उनके स्तर को ऊँचा उठाएँ।

3- व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।

उत्तर- यदि व्यथा या करुणा को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाए तो वह मनुष्य को परास्त या निराश नहीं करतीवह मनुष्य को आगे ही आगे कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देती है। ‘तीसरी कसममें निहित करुणा भी दर्शकों को प्रेरित करती है।

4- दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।

उत्तर- ‘तीसरी कसम फ़िल्म गहरी संवेदनात्मक थी। उसे अच्छी रुचियों वाले संस्कारी मन और कलात्मक लोग ही समझ-सराह सकते थे। जो लोग फ़िल्म के खरीददार थे, वे तो बस पैसा कमाने की कला जानते थे। अतः वे लोक-लुभावन लटकों-झटकों और मसालों को ही बिकाऊ समझते थे। ‘तीसरी कसम’ की गहरी संवेदना उनकी समझ और सोच से ऊपर की बात थी

5- उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं।

उत्तर- शैलेंद्र के गीत बहुत गहरे और भावनापूर्ण होते थे, परंतु उनमें कठिनता नहीं होती थी। वे बिल्कुल सहज, सरल और प्रवाहपूर्ण होते थे

तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र भाषा अध्ययन

1- पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए ।

(क) राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।
(ख) रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।
(ग) फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ थे।
(घ) दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जानने वाले की समझ से परे थी।
(ङ) शैलेंद्र राजकपूर की इस याराना दोस्ती से परिचित तो थे।

उत्तर- छात्र समझें।

2- इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए।

(क) ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
(ख) उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
(ग) फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा ।
(घ) खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ़ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं।

उत्तर- छात्र समझें।

3- पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए-

चेहरा मुरझाना, चक्कर खा जाना, दो से चार बनाना, आँखों से बोलना

उत्तर-
चेहरा मुरझाना- जैसे ही भारत विश्व कप से बाहर हुआ, करोड़ों भारतवासियों के चेहरे मुरझा गए।
चक्कर खा जाना- पाकिस्तान की आयरलैंड से हार का समाचार सुनकर क्रिकेट के जानकार चक्कर खा गए।
दो से चार बनाना- आजकल क्रिकेट के खेल में खिलाड़ियों से अधिक वे सट्टेबाज रुचि लेते हैं जिनका काम हर पल दो से चार बनाना है।
आँखों से बोलना- वहीदा रहमान अपने प्रेम को शब्दों से नहीं आँखों से बोलकर प्रकट करती हैं।

4- निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए-

(क) शिद्दत, (ख) याराना, (ग) बमुश्किल, (घ) खालिस, (ङ) नावाकिफ़, (च) यकीन, (छ) हावी, (ज) रेशा

उत्तर-
(क) शिद्दत – तेजी, जोर, उग्रता
(ख) याराना – मित्रता, मैत्री
(ग) बमुश्किल – दुस्साध्य, जटिल, पेंचीदा
(घ) खालिस – शुद्ध, खरा
(ङ) नावाकिफ़ – अजनबी, अनजान
(च) यकीन – विश्वास, भरोसा
(छ) हावी – छाया हुआ,
(ज) रेशा – तंतु, सूत्र

5- निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए-

(क) चित्रांकन (ख) सर्वोत्कृष्ट (ग) चर्मोत्कर्ष (घ) रूपांतरण (ङ) घनानंद

(क) चित्रांकन = चित्र+अंकन
(ख) सर्वोत्कृष्ट = सर्व+उत्कृष्ट
(ग) चर्मोत्कर्ष = चरम+उत्कर्ष
(घ) रूपांतरण = रूप+अंतरण
(ङ) घनानंद = घन+आनंद

6- निम्नलिखित का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए-

(क) कला-मर्मज्ञ (ख) लोकप्रिय (ग) राष्ट्रपति

उत्तर-
(क) कला-मर्मज्ञ- कला का मर्मज्ञ – तत्पुरुष
(ख) लोकप्रिय- लोक को प्रिय – तत्पुरुष
(ग) राष्ट्रपति- राष्ट्र का पति है जो (राष्ट्र प्रमुख) बहुव्रीहि

योग्यता विस्तार

1- फणीश्वरनाथ रेणु की किस कहानी पर ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म आधारित है, जानकारी प्राप्त कीजिए और मूल रचना पढ़िए।

उत्तर- छात्र पढ़ें

2- समाचार पत्रों में फ़िल्मों की समीक्षा दी जाती है। किन्हीं तीन फ़िल्मों की समीक्षा पढ़िए और ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को देखकर इस फ़िल्म की समीक्षा स्वयं लिखने का प्रयास कीजिए।

उत्तर- छात्र अभ्यास करें।

परियोजना कार्य

1- फ़िल्मों के संदर्भ में आपने अकसर यह सुना होगा- ‘जो बात पहले की फ़िल्मों में थी, वह अब कहाँ’। वर्तमान दौर की फ़िल्मों और पहले की फ़िल्मों में क्या समानता और अंतर है? कक्षा में चर्चा कीजिए

उत्तर- पहले की फिल्मों में संवेदना और सादगी को स्थान दिया जाता थाप्रायः फिल्मों के नायक सीधे, सरल और चरित्रवान हुआ करते थे। निर्देशक जीवन की वास्तविकता को उभारा करते थे। आज की फिल्मों में व्यावसायिकता का बोलबाला हो गया है। चकाचौंध, हिंसा और गति की तीव्रता के कारण आज की फिल्मों में सनसनी फैलाने की मानसिकता अधिक हो गई है। आज अपराध और मारधाड़ पर अधिक फिल्में बन रही हैं।

2- लोकगीत हमें अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं। ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में लोकगीतों का प्रयोग किया गया है। आप भी अपने क्षेत्र के प्रचलित दो-तीन लोकगीतों को एकत्र कर परियोजना कॉपी पर लिखिए।

उत्तर- परीक्षोपयोगी नहीं

Related Posts

error: Content is protected !!