अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ के प्रश्न उत्तर

अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ के प्रश्न उत्तर

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

1- बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?

उत्तर- बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र के रेतीले किनारे पर कब्जा करके उस पर मानव बस्ती बसाने का षड्यंत्र कर रहे थे। इस प्रकार वे मनचाहा धन कमा रहे थे।

2- लेखक का घर किस शहर में था?

उत्तर- लेखक का घर ग्वालियर में था ।

3- जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है ?

उत्तर- आजकल जीवन बंद डिब्बों जैसे घरों में सिमटने लगा है।

4- कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?

उत्तर-कबूतर परेशानी में इधर-उधर इसलिए फड़फड़ा रहे थे क्योंकि उनके दोनों अंडे फूट गए थे। एक को बिल्ली ने खा लिया था तो दूसरा लेखक की माँ के हाथ से टूट गया था।

अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

1- अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?

उत्तर- लशकर को अरबवासी नूह के लकब (एक पदवी) के रूप में याद करते हैं। वह बहुत ही करुणावान पदाधिकारी था। इसलिए वह धीरे-धीरे ‘नूह’ के नाम से ही जाना जाने लगा। उसे पैगंबर कहा गया।

2- लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने के लिए मना करती थीं और क्यों?

उत्तर- लेखक की माँ सूरज के ढलने के बाद पेड़ों के पत्ते तोड़ने से मना करती थी। उसे लगता था कि इस समय पत्ते टूटें तो वे रोते हैं और तोड़ने वाले को बद्दुआ देते हैं।

3- प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ?

उत्तर- प्रकृति में आए असंतुलन का दुष्परिणाम बहुत भयंकर हुआ । समुद्री तूफ़ान आए, भूकंप आए, आँधियाँ आई, बाढ़े आईं, गर्मी अत्यधिक बढ़ी, असमय बरसातें हुईं तथा नए-नए रोग उत्पन्न हुए। पशु-पक्षी घर से बेघर हो गए।

4- लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोजा क्यों रखा?

उत्तर- लेखक की माँ बहुत ही दयालु तथा धर्मभीरू स्त्री थी। उसके हाथों से गलती से कबूतर का अंडा फूट गया। इस पछतावे के कारण उसने दिन-भर का रोजा रखा तथा खुदा से अपना गुनाह माफ़ करने की प्रार्थना की।

5- लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक अनेक बदलाव देखे। उसके देखते-देखते जंगल कट गए। पशु-पक्षी शहर छोड़कर कहीं भाग गएजो भाग नहीं सके, वे दुर्गति और उपेक्षा सहकर जीते रहे।

6- ‘डेरा डालने’ से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- ‘डेरा डालने का आशय है-अपने रहने का स्थान बनाना। उसके लिए आवश्यक साजो-सामान जुटाना। कबूतरों के डेरा डालने का आशय है-अपने तथा बच्चों के लिए घोंसले बनाना। बच्चों के खाने-पीने के लिए सामग्री जुटाना।

7- शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़ कर क्यों उठ खड़े हुए?

उत्तर- शेख अयाज़ के पिता बहुत ही दयालु तथा जीव-प्रेमी मनुष्य थे। उन्होंने भोजन करते समय देखा कि एक काला च्योंटा उनकी बाजू पर रेंग रहा है। उन्हें लगा कि यह च्योंटा कुएँ के पानी के साथ उन तक आ गया है। यह बेघर हो गया है। इसे वापस कुएँ के पास छोड़ आना चाहिए। इसी इच्छा से वे भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

1- बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर- बढ़ती आबादी ने पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ कर रख दिया। समुद्र की लहरों को सीमित कर दिया। समुद्र के रेतीले तट पर मानवों की बस्ती बसा दी। आसपास के जंगल काट डाले गए। पेड़ों को रास्तों से हटा दिया गया। पशु-पक्षी बस्तियाँ छोड़कर कहीं भाग गए। वातावरण में गर्मी बढ़ने लगी। मौसम-चक्र टूट गया। बरसातें बेवक्त होने लगीं। कभी तूफ़ान, कभी आँधियाँ, कहीं बाढ़े, तो कहीं नए-नए रोग पैदा होने लगे। इस प्रकार बढ़ती आबादी से पर्यावरण दूषित हो गया।

2- लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?

उत्तर- लेखक के घर के रोशनदानों में कबूतरों ने अपना डेरा जमा लिया था। वे उसे अपना घर समझ कर अधिकार से वहाँ रहते थे। वे अपने बच्चों की देखभाल के लिए दिन में अनेक बार आया-जाया करते थे। कभी-कभी वे मस्ती करते हुए घर के अंदर चले आते थे। उनके खेल-खेल में लेखक के घर का कोई सामान गिरकर टूट जाता था। कभी-कभी वे लेखक की पुस्तकों की अलमारी पर आ बैठते थे। इससे घर गंदा हो जाता था। इस सब झंझट से बचने के लिए लेखक की पत्नी ने उस खिड़की को बंद करवा दिया, जिससे कबूतर घर में आते थे।

3- समुद्र के गुस्से की क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा कैसे निकाला?

उत्तर- समुद्र के गुस्से की मुख्य वजह थी उसका सिमटना। मुंबई के बड़े-बड़े बिल्डरों ने समुद्र की ज़मीन छीनकर उस पर मानवों के लिए बस्ती बना डाली थी। इससे समुद्र के लिए अपने पाँव फैलाना तक कठिन हो गया। अतः गुस्से में आकर उसने एक दिन अपनी छाती पर विहार करते हुए तीन जहाजों को बड़ी जोर से अलग-अलग दिशाओं में फेंक दिया। समुद्र ने जहाज़ों को बच्चों की गेंद की तरह इस तरह उछाल फेंका कि वे औंधे मुँह गिरकर टूट-फूट गए। उनमें सवार यात्री फिर चलने-फिरने योग्य भी नहीं रहे

4- ‘मट्टी से मट्टी मिले, खो के सभी निशान, किसमें कितना कौन है, कैसे हो पहचान’

इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- इस पद्यांश का आशय है कि सब प्राणियों का निर्माण एक ही मिट्टी से हुआ है। उस मिट्टी में न जाने कौन-कौन-सी मिट्टी मिली हुई है। इसका बोध किसी को नहीं है। अतः मनुष्य में कितनी मनुष्यता है और कितनी पशुता – यह किसी को नहीं पता। इसी प्रकार पशु में कितनी पशुता है और कितनी मनुष्यता-यह भी किसी को ज्ञात नहीं। आशय यह है कि मनुष्य को चाहिए कि वह स्वयं को किसी पशु से बेहतर न माने।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

1- नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई में देखने को मिला था।

उत्तर-प्रकृति छेड़छाड़ सहन नहीं करती। वह अपने ही नियमों से चलती है। यदि मनुष्य उसकी लीला में किसी प्रकार की छेड़छाड़ करता है तो वह कुपित हो जाती है। प्रकृति का यह क्रोध कुछ सालों पहले मुंबई के समुद्र-तट पर देखा गया था। तब समुद्र की लहरों ने तीन जहाज़ों को गेंद की तरह हवा में उछाल दिया था। ये तीनों जहाज़ बुरी तरह औंधे मुँह गिरे थे और चकनाचूर हो गए थे

2- जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।

उत्तर- उदार और महान मनुष्य क्रोध कम करते हैं। वे बहुत ही सहनशील होते हैं। समुद्र भी बहुत विशाल और महान है। इसलिए उसे क्रोध बहुत कम आता है। उसकी लहरें कम ही क्रुद्ध होती हैं।

3- इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।

उत्तर- लेखक के मुंबई स्थित घर के आसपास समुद्र के किनारे मानवों की बस्ती बस गई है। इस बस्ती को बसाने के लिए जंगल काटने पड़े। उसके कारण कितने ही पशुओं तथा पक्षियों को मुंबई छोड़कर अन्य कहीं भागना पड़ा। कुछ पशु-पक्षी शहर छोड़कर नहीं जा सके। वे जंगलों के अभाव में इधर-उधर भटक रहे हैं। वे कभी किसी के घर में घोंसला बनाते हैं तो कभी अन्य किसी के घर में।

4- शेख अयाज़ के पिता बोले, ‘नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।’ इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- शेख अयाज़ भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए तो उनकी पत्नी ने पूछा कि क्या भोजन अच्छा नहीं बना। तब उन्होंने कहा-नहीं, यह बात नहीं है। मेरे शरीर पर जो काला च्योंटा आ बैठा है, वह अपने घर से बेघर होकर यहाँ आ गया है। मैं पहले उसे उसके घर छोड़कर आऊँगा। तब भोजन करूँगा। उनके इस कथन में उनकी उदारता छिपी हुई थी। वे बहुत ही करुणावान और दयालु थे।

अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने भाषा-अध्ययन

1- उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों में कारक चिह्नों को पहचानकर रेखांकित कीजिए और उनके नाम रिक्त स्थानों में लिखिए; जैसे

(क) माँ ने भोजन परोसा।- कर्ता
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ।- संप्रदान
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया।- संबंध
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।- अधिकरण
(ङ) दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो।- अधिकरण

2- नीचे दिए गए शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए-
चींटी, घोड़ा, आवाज़, बिल, फ़ौज, रोटी, बिंदु, दीवार, टुकड़ा।

चींटी- चीटियाँ
घोड़ा- घोड़े
आवाज़- आवाजें
बिल- बिल
फ़ौज- फ़ौजें
रोटी- रोटियाँ
बिंदु- बिंदु
दीवार- दीवारें
टुकड़ा- टुकड़े

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