अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले अतिरिक्त प्रश्न उत्तर extra questions

अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले अतिरिक्त प्रश्न उत्तर extra questions

1- सुलेमान के लश्कर के रास्ते में आई चींटियाँ किसलिए भयभीत हो गईं?

उत्तर- चींटियों को भय था कि सुलेमान की फ़ौज उन्हें कुचल डालेगी। इसलिए वे अपने-अपने बिलों की ओर भागने लगीं।

2- चींटियों ने सुलेमान के लिए दुआ क्यों की?

उत्तर- चींटियों ने सुलेमान के मुख से अपने लिए उदारता के वचन सुने । सुलेमान ने उन्हें भयभीत न होने के लिए कहा। उसके प्रेम और उदारता-भरे वचन सुनकर चींटियों ने सुलेमान के लिए दुआ की।

3- शेख अयाज के पिता भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए? इससे उनके व्यक्तित्व की किस विशेषता का पता चलता है? ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर- शेख अयाज बड़े उदार आदमी थे। उन्होंने देखा कि कुएँ में नहाते हुए एक च्योंटा उनकी बाजू पर सवार होकर उनके घर चला आया ह। उन्हें लगा कि यह अपने घर से बिछुड़ गया है। इसलिए उसे वापस उसके घर पहुँचाना चाहिए। अतः वे भोजन छोड़कर उठ खड़े हुए और उसे कुएँ पर छोड़कर आए ।

4- शेख अयाज़ के पिता ने काले च्योंटे को कुएँ पर क्यों छोड़ा?

उत्तर- शेख अयाज़ बड़े उदार व्यक्ति थे। वे किसी भी जीव को घर से बेघर नहीं देख सकते थे। उन्होंने देखा कि कुएँ पर नहाते समय एक च्योंटा उनकी बाजू पर सवार होकर उनके घर आ गया है। अतः उन्होंने सोचा कि इसे इसके घर वापस पहुँचाया जाए। इसलिए उन्होंने च्योंटे को वापस कुएँ पर छोड़ दिया।

5- शेख अयाज़ के पिता का प्रसंग आपको क्या सीख देता है?

उत्तर- शेख अयाज़ के पिता का प्रसंग हमें यह सीख देता है कि हम किसी भी पशु-पक्षी को घर से बेघर न करें। हम ऐसा कोई काम न करें जिससे निरीह प्राणियों को दुख पहुँचे।

6- नूह कौन थे? उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता क्या थी?

उत्तर- नूह का वास्तविक नाम लशकर था। वे नूह के लकब (पदाधिकारी) थे। इस्लाम धर्म में आस्था रखने के कारण वे कुत्ते को बहुत ही गंदा जीव मानते थे। एक दिन उन्होंने एक कुत्ते को दुत्कार दिया। तब कुत्ते ने उन्हें कहा-‘न तो मैं अपनी मर्जी से कुत्ता हूँ और न तुम अपनी पसंद से इन्सान हो ।’ यह बात उन्हें चुभ गई। उन्हें लगा कि सभी जीव खुदा के हैं। अतः उन्होंने कुत्ते को दुत्कार कर पाप किया है। इसलिए वे जीवन-भर रोते रहे।

7- नूह किस कारण कुत्ते को गंदा जीव मानता था ?

उत्तर- नूह इस्लाम धर्म में आस्था रखता था। इस्लाम में कुत्ते को गंदा जीव माना जाता था। इसलिए स्वाभाविक रूप से वह कुत्ते को गंदा जीव मानकर दुत्कारा करता था।

8- नूह को कुत्ते ने क्या उपदेश दिया?

उत्तर- कुत्ते ने नूह को उपदेश दिया कि प्रकृति में जो भी प्राणी हैं, वे सब खुदा की मर्जी से हैं। इनमें न कोई अच्छा है, न बुरा। इसलिए किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी अन्य जीव को बुरा मानकर दुत्कारे। यदि कोई प्राणी ऐसा करता है तो वह खुदा की इच्छा के विपरीत काम करता है।

9- कुत्ते ने नूह का हृदय किस प्रकार परिवर्तित किया?

उत्तर- कुत्ते ने नूह को कहा कि न तो कोई कुत्ता अपनी मर्जी से बना है और न नूह अपनी पसंद से इंसान बना है। सब प्राणी खुदा की इच्छा से अपने-अपने स्वरूप को प्राप्त हुए हैं। इसलिए किसी भी प्राणी को स्वयं को श्रेष्ठ समझकर इतराना नहीं चाहिए। कुत्ते की इस सच्ची वाणी ने नूह के हृदय को परिवर्तित कर दिया।

10- ‘संसार की रचना भले ही कैसे हुई हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं।’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- लेखक का विचार यह है कि मनुष्य अपने आप को संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी समझता है। परंतु यह गलत धारणा है। इस संसार की रचना चाहे कैसे हुई हो किंतु इस धरती पर मनुष्य के अतिरिक्त सभी पशुओं, पक्षियों और अन्य प्राणियों का भी उतना ही महत्त्व है। अतः हमें न तो अन्य प्राणियों से छेड़छाड़ करनी चाहिए और न ही जड़ प्रकृति से। नदी, समुद्र आदि का भी प्रकृति में अपना योगदान है।

11- लेखक के अनुसार मानव के पूर्व और वर्तमान स्वरूप में क्या अंतर आ गया है?

उत्तर- लेखक के अनुसार, पहले मनुष्य सारे संसार को एक परिवार मानता था। वह खुले दालानों और आँगनों में रहता था। धीरे-धीरे उसने अपने को सीमित दायरों में कैद करना शुरू किया। वह स्वयं को छोटे-छोटे डिब्बेनुमा कमरों में कैद करने लगा। अब वह पहले की तुलना में बहुत छोटा हो गया है।

12- मानव ने प्रकृति के स्वरूप में क्या अंतर खड़ा किया है?

उत्तर- मानव ने अपनी बुद्धि से जड़ प्रकृति और चेतन प्रकृति का अंतर खड़ा किया है। उसने मानव और पशु-पक्षियों में भी श्रेष्ठता और निम्नता का अंतर खड़ा किया है। वास्तव में मानव-बुद्धि ने पूरी प्रकृति को विभिन्न टुकड़ों में बाँट दिया है।

13- प्रकृति के अनेक रूप हैं-जड़ और चेतन। आप इनमें क्या संबंध मानते हैं?

उत्तर- प्रकृति में जड़ भी हैं और चेतन भी। समुद्र, जंगल, नदी, पेड़, पौधे, जड़ प्रकृति के अंतर्गत हैं। पशु, पक्षी, मानव आदि चेतन प्रकृति के अंश हैं। लेखक का कहना है कि प्रकृति इन सबके सहयोग से पूरी होती है। इनमें न कोई अधिक महत्त्वपूर्ण है, न कोई कम।

14- लेखक की माँ हज़रत मुहम्मद के नाम पर उपदेश क्यों देती थी?

उत्तर- लेखक की माँ जानती थी कि उसका बेटा धार्मिक स्वभाव का है। वह हज़रत मुहम्मद के नाम पर उसकी बात मान लेगा। इसलिए वह कोई भी उपदेश हज़रत मुहम्मद के हवाले से दिया करती थी।

15- प्रायश्चित करने के लिए लेखक की माँ ने क्या किया? ‘अब दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर- प्रायश्चित करने के लिए लेखक की माँ ने दिन भर रोजा रखा और प्रभु से अपने गुनाह माफ करने की प्रार्थना की।

16- क्या आपकी माँ भी लेखक की माँ की तरह कुछ कामों को करने से मना करती है? वे कौन-कौन से काम हैं?

उत्तर- जी हाँ, मेरी माँ मुझे निम्नलिखित काम करने से रोकती है-

•तुलसी के पौधे को छेड़ने से।
• पीपल के पत्ते तोड़ने से।
• गाय को दुत्कारने से।
• किसी साधु का अपमान करने से।

17- लेखक निदा फाज़ली को कबूतरों से क्या परेशानी होती थी?

उत्तर- लेखक निदा फाज़ली को कबूतरों से परेशानी होती थी। वे कभी-कभी घर में आकर उनकी कुछ चीजें तोड़ देते थे। कभी पुस्तकालय में आकर पुस्तकों से छेड़छाड़ करते थे।

18- बढ़ती आबादी के पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए स्पष्ट कीजिए कि की सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है।

उत्तर- बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर बहुत भीषण प्रभाव हुआ। आवास बनाने के लिए जंगल काटे गए, पशु-पक्षी इधर-उधर भागे। मौसम-चक्र टूटा। असमय बारिश, बाढ़, सूखा और नए-नए रोग पैदा हुए। समुद्र-तटों पर नगर बसाए गए।

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