नमक पाठ के प्रश्न उत्तर आरोह कक्षा 12

नमक पाठ के प्रश्न उत्तर आरोह कक्षा 12


1. साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से क्यों मना कर दिया ?

उत्तर– नमक की पुड़िया को साफिया सिख बीबी के लिए प्यार के तोहफे के रूप में ले जाना चाहती है। लेकिन साफिया के भाई ने उसे ले जाने से मना कर दिया, क्योंकि वह गैर कानूनी है। वह नहीं चाहता था कि नमक की पुड़िया के लिए उसे और साफ़िया को शर्मिन्दा होना पड़े। साफिया के भाई का मत था कि कस्टम अधिकारी साफिया की भावना को नहीं समझेंगे और इसे सरहद के पार ले जाने की अनुमति नहीं देगे इसलिए साफिया के भाई ने नमक की पुड़िया ले जाने से मना कर दिया।

2. नमक की पुड़िया ले जाने के संबंध में साफिया के मन में क्या द्वंद्व था ?

उत्तर– कस्टम अधिकारियों के व्यवहार की बात सुनकर साफ़िया के मन में नमक की पुड़िया को सरहद पार कराने की द्वंद्व पैदा हो गया है। उसे लगा कि नमक उस तरफ ले जाने का कार्य आसान नहीं है। कभी वह उसे कीनू की टोकरी में छिपा कर ले जाना चाहती है। कभी वह सोचती है कि ऐसी तकनीक हो जिससे वह इस नमक को दिल से छिपा कर ले जाए। लेकिन अंत में साफिया ने निश्चय किया कि वह नमक की पुड़िया को कस्टम अधिकारियों को दिखाकर ले जाएगी, चोरी से नहीं और अपने मन में चल रहे द्वंद्व को समाप्त कर दिया।


3. जब साफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम ऑफिसर निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप क्यों खड़े थे?

उत्तर– अमृतसर सिखों का पवित्र स्थल है। जहाँ न केवल सिख बल्कि सभी धर्मों के लोग पूजा, प्रार्थना,  करने के लिए समान भाव से आते हैं, जो कि भारत की धर्मनिरपेक्षता का एक जीता-जागना प्रमाण है। रेलगाड़ी में सवार कस्टम अधिकारियों का सिर भी इस पवित्र नगरी में आते ही अपने आप झुक जाता है। साधारण व्यक्ति के मन में किसी भी धर्म के प्रति कोई कटुता नहीं है। सभी एक दूसरे के धर्म का समान भाव सेआदर करते हैं। यही कारण था कि जब साफ़िया अमृतसर पुल पर चढ़ रही थी तो कस्टम अधिकारी निचली सीढ़ी के पास सिर झुकाए चुपचाप खड़े थे।

4. लाहौर अभी तक उन का वतन है और देहली मेरा या मेरा वतन ढाका है जैसे उद्गार किस सामाजिक यथार्थ का संकेत करते हैं।

उत्तर– पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी का वतन देहली है, सिख बीबी का वतन अभी भी लाहौर है तथा भारतीय अधिकारी का वतन अभी भी ढाका है। मानचित्र पर देशों को अलग करने के लिए खींची गई लकीरें वास्तव में जनता को बाँटने में सफल साबित नहीं हुई। अपनी मातृभूमि से प्यार करना उनकी मजबूरी नहीं है। वे सभी प्राकृतिक रूप से वहाँ की मिट्टी से जुड़े हुए हैं। इन तीनों देशों की मिट्टी, भाषा, जलवायु, बोलने का ढंग, रहन-सहन, खान-पान, शक्ल-सूरत सभी कुछ एक जैसा है। इनमें कोई भी प्राकृतिक तथा सामाजिक विभिन्नता नहीं है।

5- नमक ले जाने के बारे में साफ़िया के मन में उठे द्वंद्वों के आधार पर उसकी चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए

उत्तर– साफ़िया ‘नमक’ कहानी की प्रमुख पात्रा है। पूरी कहानी इन्हीं के चारों ओर घूमती है। एक अन्य पात्रा सिख बीबी लाहौर जा रही साफ़ियासे अपने लिए नमक ले आने का अनुरोध करती है। नमक को सरहद पार करवाना गैरकानूनी है। इसी बात को लेकर साफिया के मन में द्वंद्व चलता है कि नमक की पुड़िया को कैसे सरहद पार करवाया जाय उसके मन उठे इस द्वंद्व से साफिया के चरित्र की निम्न विशेषताएँ सामने आती हैं

(क) निडर और साहसी – साफ़िया निडर और साहसी है। अपने भाई द्वारा दिखाए कानून और कस्टम अधिकारियों का डर उसे छू भी नहीं सकता। वह खुलेआम नमक की पुड़िया को सरहद पार करवाने का निश्चय करती है। वह ऐसा करने में सफल भी रहती है।

(ख) एक सच्ची मुसलमान – वह एक सच्ची और ईमानदार ‘सैयद’ है, जो एक बार वायदा करके उससे पीछे नहीं हट सकती अपने ईमान पर मूसल की तरह अटल है, जो कि मुसलमान का सटीक अर्थ है।

(ग) कोमल और भावुक – साफिया भावुक और कोमल स्त्री है। बच्चों की तरह कभी वह नमक को छुपाकर ले जाना चाहती है, तो कभी कथा-कहानियों सुनी हुई घटना के अनुसार, तो कभी अपने शरीर में दिल को चीरकर उसमें रखकर नमक को सरहद पार करना चाहती है। सिख बीबी को एक माँ की तरह प्यार करती है।

6- मानचित्र पर एक लकीर खींच देने भर से ज़मींन और जनता बँट नहीं जाती है- यह एक बहुत बड़ा झूठ है और यही इस कहानी का संदेश भी है। उचित तर्कों व उदाहरणों के जरिए इस की पुष्टि करें।

उत्तर– ‘मानचित्र पर एक लकीर खींच देने से ज़मींन और जनता नहीं बंट जाती’ यह कथन एकदम सत्य है। लेखिका ने ‘नमक’ कहानी में यही संदेशदिया है। कहानी में ऐसे कई प्रसंग हैं, जिनसे इस कथन की पुष्टि होती है। सिख, बीबी, पाकिस्तानी कस्टम अधिकारी तथा भरतीय कस्टम अधिकारी ऐसे चरित्र हैं जो साफिया को नमक की पुड़िया मानचित्र पर खींची लकीर को मिटाती हुई, उन देशों के कानूनों की बंदिश को समाप्त करती हुई अपने गंतव्य स्थान तक पहुँच जाती है। 60 वर्ष से खींची हुई यह लकीर आज भी यहाँ की जमीन और जनता को बाँटने में सफल नहीं हुई है। आज भी लोग अपने रिश्ते-नातों और आचार-व्यवहार को निभाने को बेचैन हैं। अलग-अलग देशों के अस्तित्व में आ जाने पर भी दोनों तीनों देशों की जनता में किसी प्रकार का अलगाव परिलक्षित नहीं होता

7- नमक कहानी में भारत व पाक की जनता के आरोपित भेदभावों के बीच मुहब्बत का नमकीन स्वाद घुला हुआ है, कैसे?

उत्तर– हमारे देश का विभाजन कुछ लोगों की सत्ता की भूख और धर्म के आधार पर ही हुआ । राजनेताओं ने कुछ समय के लिए उनकी धार्मिक भावनाओं को भड़काकर देश का विभाजन तो करवा दिया, लेकिन वे लोगों के बीच सब कुछ समाप्त करने में सफल नहीं हुए। एक ही परिवार के कुछ लोग भारत, कुछ पाकिस्तान में, तो कुछ बांग्ला देश में चले गए। वे एक दूसरे से मिलने को बैचेन रहते हैं। उनमें एक ही दिल है, एक ही खून हैवे एक ही जगह जन्मे, एक ही जगह पले-बड़े हुए हैं। उनमें कोई मतभेद नहीं हैं। परन्तु कुछ राजनीतिक पाबन्दियाँ और बंधन हैं, जो उन्हें मिलने नहीं देते। दोनों तरफ के सत्ता के भूखे लोग ही ऐसा करने से वंचित किए हुए हैं।

नमक पाठ में क्यों कहा गया ?


1- क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते?

उत्तर– कानून हमेशा हुकूमत के ही होते हैं। उनको बनाने वाले और लागू करने वाले सत्ता के लोग होते हैं, जो जनता के लिए बनाए जाते हैं। कानूनों का पालन न करने पर सजा दी जाती है। कानून हुकूमत अपने लाभ के लिए ही बनाती है, जिसमें मानवीय भावनाओं का स्थान नहीं होता। प्रेम, संकोच, मानवता आदि भावनाओं के लिए किसी प्रकार का कानून नहीं होता। कानून इन भावनाओं के आधार पर किसी को कानून तोड़ने की छूट नहीं देता। इसलिए कानून हुकूमत के ही होते हैं।

2- भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी।

उत्तर– भावना का संबंध हृदय से तथा बुद्धि का संबंध दिमाग (मस्तिष्क) से होता है। मनुष्य जब भावनाओं के आवेग में बहता है, वह दिमाग से काम लेना बंद कर देता है। लेकिन यह ज्यादा समय तक नहीं होता। बुद्धि उन भावनाओं से उत्पन्न लाभ-हानि का हिसाब लगाती है तो भावनाओं का ज्वर उतर जाता है। साफिया नमक को किसी भी तरह सरहद पार कराने की भावना में बह रही थी, लेकिन कस्टम का ध्यान आते ही बुद्धि ने कार्य करना शुरू कर दिया और भावनाओं पर हावी हो गई।

3- मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुज़र जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।

उत्तर– कानून को लागू करने वाले लोग सामान्यतः दृढ़ और भावनाशून्य होते हैं, लेकिन वे भी इन्सान होते हैं, मानव होते हैं। कई बार भावनाएँ उनकी बुद्धि से ऊपर उठ जाती हैं, तो वे प्रेम, मोहब्बत जैसी भावनाओं में बहकर कस्टम जैसे कठोर नियमों को भी तोड़कर कानून को भी विस्मय में डालदेते हैं। कस्टम के दोनों ओर के अधिकारी गैर कानूनी नमक को बड़े सहज भाव से सरहद पार करा देते हैं। गैर कानूनी होते हुए भी मानवीय भावनाओं के बहाव में नमक पाकिस्तान से भारत पहुँच जाता है। कानून देखता ही रह जाता है।


4- हमारी ज़मीन हमारे पानी का मज़ा ही कुछ और है!

उत्तर– मनुष्य को अपनी जन्मभूमि से विशेष लगाव होता है। वहाँ की मिट्टी-पानी का मोह व्यक्ति सारी उम्र नहीं छोड़ पाता। मातृभूमि से जुड़ी कोईभी वस्तु व्यक्ति को भुलाए नहीं भूलती। प्रस्तुत वाक्य बांग्ला देश के संदर्भ में कहा गया है। भौगोलिक दृष्टि से बांग्ला देश की ज़मींन अधिक उपजाऊ है तथा नदियों के कारण पानी भी प्रचूर मात्रा में विद्यमान है। इन्हीं दोनों कारणों से शायद ऐसा कहा गया होगा

नमक पाठ समझाइए तो ज़रा


1. फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं।

उत्तर– सिख बीबी अपने वतन लाहौर को याद करती है। वह अपने वतन को प्यारा मानती है। वहाँ के लोगों, खाने, कपड़ों आदि को याद कर आँसू बहाने लगती है। आँसू बहाती हुई कहती है- “साडा लाहौर “। अपने देश की जन्मभूमि को भुलाना इंसान के लिए कठिन है क्योंकि बचपन की यादें देश को छोड़कर चले जाने पर भी व्यक्ति के मन में जीवित रहती हैं।

2- किसका वतन कहाँ है- वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ।

उत्तर— जब सफ़िया लाहौर से वापिस आते हुए अमृतसर के पुल पर चढ़ रही थी तब वहाँ दो कस्टम अधिकारियों को सिर झुकाये खड़े देख कर वह सोचती है कि हमारा वतन कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ। क्योंकि कस्टम अधिकारी का वतन भारत कस्टम के एक तरफ था तो सफ़िया का वतन लाहौर दूसरी ओर। एक सीमा रेखा ने जमीन को दो देशों में विभाजित कर दिया था।

नमक पाठ के आस-पास


1. ‘नमक’ कहानी में हिंदुस्तान – पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उभारा गया है। वर्तमान संदर्भ में इन संवेदनाओं की स्थिति को तर्क सहित स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर— ‘नमक’– कहानी में लेखक ने हिन्दुस्तान में रहने वाले लोगों की भावनाओं, संवेदनाओं को उकेरा है। वर्तमान संदर्भ में भी भारत-पाकविभाजन के कारण विस्थापित निवासियों की स्थिति ठीक ऐसी ही है जैसी सिख बीबी और कस्टम अधिकारी की अपने वतन लाहौर और दिल्ली के प्रति। आज भी लोग अपने वतन जाने, अपने मित्रों, सम्बन्धियों, पड़ोसियों से मिलने के लिए तड़पते हैं। आज भी उनका दिल अपनी जन्मभूमि के दर्शन के लिए लालायित रहता है। अपने समाज, संस्कृति और लोगों की पहचान को लोग अपने दिलों से नहीं निकाल सके हैं।

2- साफिया की मन:स्थिति को कहानी में एक विशिष्ट संदर्भ में अलग तरह से स्पष्ट किया गया हैं। अगर आप साफिया की जगह होते/होती तो क्या आपकी मनःस्थिति भी वैसी ही होती? स्पष्ट कीजिए ।


उत्तर– सफ़िया की मन:स्थिति अपनी माँ के लिए लाहौरी नमक ले जाकर वायदे को पूरा करने की है। ‘हाँ’ अगर हम भी सफ़िया के स्थान पर होते तो हमारी स्थिति भी सफ़िया की तरह ही होती। हम भी अपने भाइयों, मित्रों एवम् पड़ोसियों से मिलने के लिए लालायित रहते तथा माँ की फरमाइश को पूरा करने का अवश्य प्रयास करते।

3- भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं। व्यक्तिगत तौर पर आप इसमें क्या योगदान दे सकते/सकतीं हैं?


उत्तर– भारत-पाकिस्तान के आपसी सम्बन्धों को सुधारने के लिए दोनों सरकारें प्रयासरत हैं। व्यक्तिगत तौर पर हम इन सम्बन्धों को सुधारने के लिए ऊँच-नीच, जात-भेद, धर्म-भेद, सम्प्रदाय-भेद आदि विभेदों को दूर करने का प्रयास कर आपसी दिलों की दूरियों को दूर करने का प्रयास कर सकते हैं। सरहदीय  रेखा की परवाह न करते हुए दिलों की दूरी को दूर करने का प्रयास कर सकते हैं।

4. लेखिका ने विभाजन से उपजी विस्थापन की समस्या का चित्रण करते हुए साफिया व सिख बीबी के माध्यम से यह भी परोक्ष रूप से संकेत किया है कि इसमें भी विवाह की रीति के कारण स्त्री सब से अधिक विस्थापित है। क्या आप इससे सहमत हैं?

उत्तर– लेखिका ने सिख बीबी एवम् सफ़िया के द्वारा यह संकेत किया है कि विवाह के कारण स्त्री अधिक विस्थापित है। लाहौर में जन्मी सिख बीबी तथा सफ़िया का विवाह भारत में होता है इसलिए वे अपने सम्बन्धियों, भाइयों, मित्रों एवं पड़ोसियों, यहाँ तक कि अपनी जन्मभूमि से दूर भी हो जाती हैं। हम इस कथन से पूर्णतया सहमत हैं कि अधिकतर स्त्रियों के लिए विस्थापित होने का कारण विवाह सम्बन्ध है।

5. विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की अनेक भूमियाँ हो सकती हैं- रक्त संबंध, विज्ञान, साहित्य व कला। इनमें से कौन सबसे ताकतवर है और क्यों?

उत्तर– विभाजन के अनेक स्वरूपों में बँटी जनता को मिलाने की सबसे बड़ी ताकत रक्त सम्बन्ध, विज्ञान, साहित्य व कला में से रक्त सम्बन्ध है। रक्त सम्बन्ध के कारण ही विस्थापित और निर्वासित लोग अपनों से मिलने के लिए आतुर होते हैं। यह ठीक है कि विज्ञान भी उन्हें मिलाने में आवागमन साधनों द्वारा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साहित्य व कला भी मनुष्य के दिलों की दूरी को दूर करने में संस्कारों का काम कर सकती है किन्तु रक्त सम्बन्ध ही व्यक्ति को विभाजन के उपरान्त भी आपसी सम्बन्धों के लिए बेचैन करते हैं।

नमक पाठ आपकी राय

मान लीजिए आप अपने मित्र के पास विदेश जा रहे/रही हैं। आप सौगात के तौर पर भारत की कौन-सी चीज़ ले जाना पसंद करेंगे और क्यों?


नमक पाठ भाषा की बात


1. नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढ़िए

(क) हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।
(ख) क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं ?

सामान्यतः ‘ही’ निपात का प्रयोग किसी बात पर बल देने के लिए किया जाता है। ऊपर दिए गए दोनों वाक्यों में ‘ही’ के प्रयोग से अर्थ में क्याप रिवर्तन आया है? स्पष्ट कीजिए। ‘ही’ का प्रयोग करते हुए दोनों तरह के अर्थ वाले पाँच-पाँच वाक्य बनाइए।

उत्तर

() ‘हमारा वतन तो जी लाहौर ही है’ वाक्य में ‘ही’ निपात का प्रयोग लाहौर शब्द पर बल देने के लिए किया गया है। जिसका तात्पर्य है कि हमारा वतन लाहौर के अतिरिक्त हो ही नहीं सकता, चाहे हम कहीं पर भी रहें। ‘ही’ निपात हटाने से यह संभावना समाप्त हो जाएगी। लाहौर किसी का भी वतन हो सकता है, लेकिन वाचक का वतन लाहौर के अतिरिक्त नहीं हो सकता। इसी प्रकार के अन्य वाक्य नीचे दिए गए हैं

1- हमारा वतन तो जी देहली ही है।
2- हमारा ईमान तो हमारा देश ही है।
3- मेरा तो केवल एक ही पुत्र है।
4- वह झूठ के अतिरिक्त कुछ और बोल ही नहीं सकता।
5- बच्चे दो ही अच्छे । 

6- पुस्तक पढ़ने के लिए ही होती है।

() ‘क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं?’ वाक्य ऊपर लिखित वाक्य से भी भिन्न है। कानून हुकूमत के ही होते हैं?’ वाक्य ऊपरलिखित वाक्य से भी भिन्न है। कानून केवल हुकूमत के ही होते है और किसी के नहीं। ‘ही‘ निपात का प्रयोग किए बिना ऐसा अर्थ नहीं निकल सकता। वहाँ लाहौर के अतिरिक्त वतन दूसरा नहीं हो सकता। यहाँ इस वाक्य में हुकूमत के अतिरिक्त भी क़ानून होने की संभावना बनी हुई है। दोनों वाक्यों में ‘ही‘ निपात अलग अर्थ लिए हुए है । ऐसे ही अन्य वाक्य हैं ।

1- क्या सब कानून पुरुषों के खिलाफ ही होते हैं?
2- क्या रोजी-रोटी कमाना ही तो व्यक्ति का धर्म नहीं है?
3- क्या मनुष्य का जन्म मरने के लिए ही हुआ है?
4- क्या स्त्री केवल सम्भोग की ही वस्तु है?
5- क्या हम खाने के लिए ही जीवित है?

2. नीचे दिए गए शब्दों के हिंदी रूप लिखिए

मुरौवत, आदमियत, अदीब, साडा, मायने, सरहद, अक्स, लबोलहजा, नफीस उत्तर – न शब्दों के हिन्दी रूपांतर ‘शब्द-अर्थ’ के तहत देखिए

3. पंद्रह दिन यों गुजरे कि पता ही नहीं चला- वाक्य को ध्यान से पढ़िए और इसी प्रकार के (यों, कि, ही के पाँच वाक्य बनाइए )

उत्तर

() आकर यों ही मेरे गले पड़ रहो, जब कि मैं तो आपको जानता ही नहीं।
() बच्चा यों पैदा हो गया जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं।
() उसने फटा हुआ नोट यों चला दिया कि दुकानदार को पता ही नहीं चला। चलेगा कि कब आपरेशन हो गया।
() आप तो यों ही घबरा रहे हो, आपको तो पता नहीं।
() बच्चा यों ही दौड़ा था कि धावक ही बन गया।

इन्हें भी जानें

1- मुहर्रम – इस्लाम धर्म के अनुसार साल का पहला महीना, जिसकी दसवीं तारीख को इमाम हुसैन शहीद हुए।

2- सैयद – मुसलमानों के चौथे खलीफा अली के वंशजों को सैयद कहा जाता है।

3- इकबाल – सारे जहाँ से अच्छा के गीतकार नजरुल

4- इस्लाम– बांग्ला के क्रांतिकारी कवि

5- शमसुल इस्लाम – बांग्ला देश के प्रसिद्ध कवि

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