फिराक गोरखपुरी की रुबाइयां का भावार्थ या व्याख्या  आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ीहाथों पे झुलाती है उसे गोद भरी –रह-रह के हवा

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कवितावली, लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप  व्याख्या , भावार्थ, प्रश्न उत्तर  कवितावली का भावार्थ या व्याख्या  किसबी, किसान – कुल, बनिक, भिखारी, भाट,चाकर, चपल

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बादल राग कविता का भावार्थ या व्याख्या और प्रश्न उत्तर  तिरती है समीर – सागर परअस्थिर सुख पर दुख की छायाजग के दग्ध हृदय परनिर्दय

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