सिल्वर वैडिंग का प्रश्न उत्तर वितान भाग दो कक्षा 12 पूरक पाठ्य पुस्तक से यह पाठ लिया गया है
1- यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सफल होती है, लेकिन यशोधर बाबू असफल रहते हैं। ऐसा क्यों? चर्चा कीजिए।
उत्तर– यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ ढल सकने में सक्षम होती है। वह अपने बच्चों पर परम्पराओं का बोझ नहीं डालती। यशोधर बाबू जब गिरीश को अपने बेटे को बिगाड़ने का जिम्मेदार ठहराते हैं तो वह विरोध करती है। वह साफ शब्दों में कहती है कि एक तो आपका लड़का इतना कामयाब कर दिया ऊपर से आप उसे भला-बुरा कहते हो जब वह बेटी को बिना बाँह का टॉप पहने देखता है तो उसे टोकता है परन्तु वह अपनी बेटी का पक्ष लेती है। वह केक काटती है, खाती है तथा शृगार भी करती है। किन्तु यशोधर संकीर्ण विचारों के है, उन्होंने अपना आदर्श जिसे बनाया उसी में अपने आपको ढाल लिया परन्तु यह नहीं सोचा कि वे कुआँरे थे जबकी ये एक गृहस्थी हैं। समाज भी निरंतर बदलता है और समय चक्र भी बदल रहा है अतः अनुकूलन बहुत जरूरी है। जिंदगी निरंतर परिवर्तनशील है यह बात वे समझते तो थे पर इसे व्यवहार में नहीं लाते थे। इसके कारण हैं- शर्मीला स्वभाव, संकुचित विचार, व्यावहारिक ज्ञान का अभाव तथा एक ऐसा आदर्श जो कुआँरा और रीति-रिवाज को बेहद मानता था।
2- पाठ में ‘जो हुआ होगा’ वाक्य की कितनी अर्थ छवियाँ आप खोज सकते हैं? किशनदा की मौत का संबंध इस वाक्य से क्या रहा होगा?
उत्तर– ‘जो हुआ होगा’ वाक्य यहाँ कई जगह प्रयुक्त हुआ है। पहले जब किशनदा की मृत्यु हुई तब यशोधर ने एक परिचित से पूछा की उनकी मौत किस कारण हुई तो उसने कहा ‘जो हुआ हो’ अर्थात पता नहीं अर्थ स्पष्ट है कि जिसके स्वयं के बाल-बच्चे नहीं होते, लोग उसके हर बात को हल्के में ले लेते हैं चाहे मौत जैसा गम्भीर मसला हो । इसके बाद जब वे पार्टी से बचकर ध्यान लगाना चाहते हैं। उस समय उनकी किशनदा से बात होती है तब भी वह अपनी मौत को सबसे जोड़ते हुए कहता है कि सबकी मौत की वजह कुछ न कुछ जरूर होती है। पाठ के अंत में जब इनका बेटा उन्हें डेसिंग गाउन देकर कहता है कि आप फटा फुलोवर न पहन इसे पहन कर दूध लाएं। उसके बेटे ने अपना फर्ज अच्छी प्रकार से नहीं निभाया उसने यह नहीं कहा कि दूध मैं ले आऊँगा यहाँ ऐसी छवि प्रकट होती है कि हाशिए से बाहर होते मानवीय मूल्यों के कारण बड़े बुजूर्ग असहाय हो गए हैं और परिवार होते हुए भी वे एक साधन, एक नौकर, एक औजार बन कर रह गए हैं। इन्हें बच्चे इज्जत न देकर मानसिक रूप से पीड़ित करते हैं।
3- ‘समहाउ इंप्रापर’ वाक्यांश का प्रयोग यशोधर बाबू लगभग हर वाक्य के प्रारंभ में तकिया कलाम की तरह करते हैं। इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से क्या संबंध है?
उत्तर– यशोधर बाबू का तकिया कलाम है- समहाउ इंप्रापर’ जिसका अर्थ है असहज या असामान्य । इस वाक्यांश से उनका ऐसा व्यक्तित्व सामने आता है जिसने परम्पराओं के आगे घुटने टेक रखे हैं। ये पुरानी परम्पराओं को छोड़ नहीं पा रहे हैं और आधुनिक परम्पराओं को असहज समझ कर उनके साथ तारतम्य नहीं बिठा पा रहे। कहानी का कथ्य भी यही है कि कुछ लोग पीढी अंतराल और सामाजिक मूल्यों को सामान्य रूप से तारतम्य नहीं बिठा पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में स्वयं को या दूसरों को किसी भी रूप में असामान्य ही समझा जाता है।
4- यशोधर बाबू की कहानी को दिशा देने में किशनदा की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। आपके जीवन को दिशा देने में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा और कैसे?
उत्तर– किशनदा यशोधर बाबू के आदर्श पुरुष हैं क्योंकि किशनदा ने उनके जीवन को निश्चित दिशा देने में प्रमुख भूमिका निभाई है। यशोधर बाबू पंत हाई स्कूल पास करके एक असहाय व्यक्ति की तरह दिल्ली आए। तब उनकी उम्र नौकरी के लायक नहीं थी। उनको किशनदा ने अपने पास शरण दी। बाद में उनकी नौकरी भी लगा दी। ऑफिस का सारा काम सिखाया। आहार-व्यवहार, चाल-चलन में किशनदा का उन पर स्पष्ट प्रभाव था। इस प्रकार किशनदा ने हर क्षेत्र में उनके जीवन को दिशा प्रदान की और वे यशोधर बाबू के आदर्श पुरुष बन गए। मेरे माता-पिता, भ्राता, मित्र, चाचा, ताऊ, मामा आदि मेरे आदर्श पुरुष हैं। उन्होंने बचपन से मेरा मार्गदर्शन किया। मैं समय पर पढ़ाई, खेल, व्यायाम, खाना, सोना, सामाजिक कार्यों में भाग लेना, ये सब उन्हीं के मार्गदर्शन में करता आया हूँ। आज मैं अपने समाज व साथियों में अच्छा माना जाता हूँ क्योंकि मेरे आदर्श पुरुष द्वारा मुझे सही दिशा प्रदान की गई।
5. वर्तमान समय में परिवार की संरचना, स्वरूप से जुड़े आपके अनुभव इस कहानी से कहाँ तक सामंजस्य बिठा पाते हैं?
उत्तर– वर्तमान समय में परिवार संयुक्त नहीं के बराबर है। पहले ज्वाइंट (संयुक्त) परिवार होते थे जहाँ बहुत से बुजुर्ग, युवा और बच्चे साथ रहते थे। परिवार में बड़ों के नियम और हुक्म चलते थे। सास जिठानिया, देवरानिया, बहुएँ सभी पर नियम लागू होते थे। घूंघट प्रथा भी थी। परन्तु अब ज्यादातर एकल परिवार है जहाँ माता-पिता और बच्चे ही हैं। पर्दा प्रथा बंद गई। महिलाएँ शिक्षित हैं तथा रोजगार करती है लेकिन पहले वे सिर्फ घर की सुन्दर वस्तु थी । इस कहानी में हाशिए से बाहर होते मानवीय मूल्य हैं, वे अब भी कई जगह देखने को मिल जाते हैं। कुछ दिन पहले भी आज तक पर एक ऐसा परिवार दिखाया था जिन्होंने अपनी माँ को कैद कर रखा था। बहुत से परिवारों में बुजूर्गों की स्थितियाँ दयनीय भी है।
6. निम्नलिखित में से किसे आप कहानी की मूल संवेदना कहेंगे और क्यों ?
(क) हाशिए से बाहर होते मानवीय मूल्य
(ख) पीढ़ी अंतराल
(ग) पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव
उत्तर–
(क) हम हाशिएँ से बाहर होते मानवीय मूल्य को ही इस पाठ की मूल संवेदना कहेंगे क्योंकि पाठ के आरम्भ में ही चड्ढा को दिखाया गया है जो बड़ी घृष्टता से यशोधर से मजाक करता है तथा उनका हाथ पकड़ लेता है। बड़ी बेशर्मी से उन्हें कहता है कि तस्करी की हुई घड़ी ले आओ सस्ती मिलेगी। यशोधर की अपनी पत्नी और बच्चों से नहीं बनती। यही वजह है कि वे रोज घर देरी से पहुँचते हैं। बच्चे घर के कार्य में हाथ नहीं बटाते एक दिन उन्होंने सब्जी लाने को कह दिया तो उनकी तू-तू मैं-मैं हो गई और उन्होंने चुपचाप स्वयं ही कार्य करने शुरू कर दिए। परिवार में सभीअपनी मर्जी के मालिक है। किसी भी कार्य में यशोधर की राय नहीं ली जाती। पाठ के अंत में भी उनकी आँखो में आँसु आ जाते हैं कि भूषण ने वह नहीं कहा की दूध मैं ले जाऊगा और वैसे भी वह अपनी चीजों को घूने भी नहीं देता था।
7- अपने घर और विद्यालय के आस-पास हो रहे उन बदलावों के बारे में लिखें जो सुविधाजनक और आधुनिक होते हुए भी बुर्जुगों को अच्छे नहीं लगते। अच्छा न लगने के क्या कारण होंगे?
उत्तर– वर्तमान समय में वैज्ञानिक प्रगति एवं पाश्चात्य जीवन-शैली के परिवर्तन से घर-परिवार के अतिरिक्त समाज, विद्यालय में भी अप्रत्याशित परिवर्तन आए हैं। ये परिवर्तन जहाँ सुविधाजनक हैं, वहीं बड़े-बुजुर्गों के लिए अमान्य एवं असुविधाजनक हैं। सबसे पहले, वैज्ञानकि उन्नति के कारण नई पीढ़ी के लोगों में आध्यात्मिकता एवं नैतिकता का अत्यधिक ह्रास (पतन) हुआ है इस कारण लोगों में स्वार्थ केन्द्रिता हावी हुई है। यह तथ्य बुजुर्गों को अमान्य है । ईश्वरीय सत्ता का विरोध या उसकी अस्वीकृति से लोगों में नैतिक पतन हुआ है। यह तथ्य बुजुर्गों के लिए पीड़ादायक है। लोगो में बाह्याडम्बर की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। बाह्याडम्बरों में खर्चे की अधिकता होने से संयुक्त परिवार टूटने से बड़े-बुजुर्ग एकाकी एवं असहाय हो गए हैं। इस कारण घर के बड़े-बुजुर्ग स्वयं को दीन-हीन एवं असहाय मानने लगे हैं। उनके जीवन का अंतिम चरण असुरक्षित हो गया है।
आधुनिक शिक्षा-पद्धति के कारण परस्पर संघर्ष, वैमनस्य, ईर्ष्या-द्वेष भाव पनपने लगा है। पारिवारिक सदस्यों में परस्पर ईर्ष्या-द्वेष पनपने से घर में अशांति व कलह का वातावरण पैदा हो गया है। जीवन की व्यस्तता ने जीवन को नाटकीय जीवन की ओर धकेल दिया है। परस्पर सम्बन्धों में अश्लीलता छा गई है। इसके चलते लोग संवदेनशील होते जा रहे हैं। भौतिक सुख-साधनों में अनावश्यक खर्चे बढ़ गए हैं। इससे आदमी में संघर्ष व मेहनत करने की शक्ति क्षीण हो रही है। समाज में भ्रष्टाचार फैला है। भ्रष्टाचार के कारण ही समाज के हर क्षेत्र में हिंसा, शोषण व अन्याय का बोल-बाला बढ़ता जा रहा है। इससे देश व राष्ट्र की छवि बिगड़ रही है। भारत को माता का दर्जा देने वाले लोग अब भारत माता के साथ छल करने में नहीं हिचकते हैं। यह सब तथाकथित आधुनिकता का ही प्रभाव है। यह सभी कारण व परिवर्तन बड़े बुजुर्गों को व्यथित कर रहे हैं।
8. यशोधर बाबू के बारे में आपकी क्या धारणा बनती है? दिए गए तीन कथनों में से आप जिसके समर्थन में है. अपने अनुभवों और सोच के आधार पर उसके लिए तर्क दीजिए
(क) यशोधर बाबू के विचार पूरी तरह से पुराने है और वे सहानुभूति के पात्र नहीं है ।
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता तो है पर पुराना छोड़ता नहीं। इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की ज़रूरत है।
(ग) यशोधर बाबू एक आदर्श व्यक्तित्व है और नयी पीढ़ी द्वारा उनके विचारों को अपनाना उचित नहीं है।
उत्तर–
(ख) यशोधर बाबू में एक तरह का द्वंद्व है जिसके कारण नया उन्हें कभी-कभी खींचता है पर पुराना छोड़ता नही । इसलिए उन्हें सहानुभूति के साथ देखने की जरूरत है यह बात बिल्कुल सही है। पाठ में ऐसे बहुत से स्थान है जहाँ यह बात स्पष्ट होती है जैसे उनका बेटा एक अच्छी कम्पनी अच्छा वेतन लेता है। वह घर में से फ्रिज, ज्वलबैड, सोफा आदि ले आता है तो वे नुक्ताचीनी करते हैं परन्तु मन ही मन खुश हैं। जब लड़का उनकी सिल्वर वैडिंग मनाता है और कई प्रकार की मिठाइयाँ और कोल्ड ड्रिक्स मंगाता है तब भी वह खुश होते हैं। जब एक व्यक्ति उससे ईर्ष्या करता है तब भी वह खुश होता कि सब बहुत अच्छा है। वह केक काटते हैं तथा फोटो खिंचवाते हैं। वह प्रजेंट देखकर भी खुश होते हैं परन्तु शर्मीले स्वभाव, संकुचित विचार के कारण समय के साथ मिल कर नहीं चल पाते हैं। पाठ के अंत में भी उनके आंसू हमें भावुक बना देते हैं।