गलता लोहा प्रश्न उत्तर आरोह क्लास 11

गलता लोहा प्रश्न उत्तर

गलता लोहा पाठ के साथ

1- कहानी के उस प्रसंग का उल्लेख करें, जिसमें किताबों की विद्या और धन चलाने की विद्या का जिक्र आया है।

उत्तर– धनराम बार-बार याद करने पर भी तेरह का पहाड़ा याद नहीं कर पा रहा था। शायद उसकी मंदबुद्धि या मन में अध्यापक की पिटाई के प्रति डर आड़े आ रहा था। अध्यापक कहता है कि लोहे के काम के विषय में ही सोचने वाले को विद्या नहीं आ सकती है। धनराम के पिता भी उसे पढ़ाने में असमर्थ थे। अतः उसे अपने साथ धौंकनी फूँकने और लोहे के अन्य कामों में लगा लिया। धीरे-धीरे उसे हथौड़ा और घन चलाने की विद्या सिखा डाली।

2- धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं समझता था ?

उत्तर– मोहन कुशाग्र-बुद्धि का बालक था। वह कक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर देकर अध्यापक को संतुष्ट कर देता है। धनराम मोहन के प्रति आदर न स्नेह भाव रखता है। अध्यापक के कहने पर मोहन द्वारा बेंत मारे जाने को वह उसका अधिकार समझता है। बचपन से ही मन में बैठाई गई जातिगत हीनता की भावना के कारण भी धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं समझता।

3- धनराम को मोहन के किस व्यवहार पर आश्चर्य होता है और क्यों?

उत्तर– मोहन धनराम से लोहे की छड़ लेकर उसे तपाकर हथौड़े की चोट से पूर्णतः गोल रूप प्रदान करता है। भट्ठी पर बैठकर इस तरह के काम करने पर धनराम को आश्चर्य होता है क्योंकि मोहन एक पुरोहित का लड़का है। उस समय शिल्पकारों द्वारा ब्राह्मणों को बैठने के लिए कहना भी मर्यादा के विरुद्ध समझा जाता था।

4- मोहन के लखनऊ आने के बाद के समय को लेखक ने उसके जीवन का एक नया अध्याय क्यों कहा है?

उत्तर– मोहन के लखनऊ आने के बाद को लेखक ने उसके जीवन का एक अध्याय इसलिए कहा है क्योंकि वह एक देहात के वातावरण से निकलकर शहर के वातावरण में आ गया था। माँ-बाप से बिछुड़ने पर वह सहमा हुआ था। वहाँ उससे घर के कामों के साथ-साथ बाज़ार के भी काम करवाये जाने लगे। यहाँ तक की मुहल्ले की औरतें भी अपने काम-काज में हाथ बँटाने के लिए उसे बुलाने लगी थीं। उसकी स्थिति एक नौकर की तरह हो गई थी।

5- मास्टर त्रिलोक सिंह के किस कथन को लेखन ने ज़बान के चाबुक कहा है और क्यों ?

उत्तर– ‘तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे! विद्या का ताप कहा लगेगा इसमें? ‘ मास्टर त्रिलोक सिंह द्वारा कहे गए इस कथन को ज़बान की चाबुक कहा गया है। क्योंकि धनराम पूरे दिन घोटा लगाने के बाद भी तेरह का पहाड़ा याद नहीं कर पा रहा था। उनका इशारा धनराम के परिवार द्वारा अपनाए गए व्यवसाय विशेष की ओर भी था।

प्रश्न – 6-

1- बिरादरी का यही सहारा होता है।

(क) किसने किससे कहा?
(ख) किस प्रसंग में कहा?
(ग) किस आशय से कहा ?
(घ) क्या कहानी में यह आशय स्पष्ट हुआ है?

उत्तर

(क) मोहन के पिता वंशीधर ने अपने ही गाँव के युवक रमेश को कहा।
(ख) रमेश मोहन को पढ़ाने लिखाने के लिए अपने साथ लखनऊ ले जाने की बात कहता है।
(ग) बिरादरी के आपसी सहयोग की भावना को प्रदर्शित करने के लिए।
(घ) नहीं, यहाँ केवल स्वार्थ भावना प्रकट हुई है।

(2) उसकी आँखों में एक सर्जक की चमक थी कहानी का यह वाक्य

(क) किसके लिए कहा गया है?
(ख) किस प्रसंग में कहा गया है?
(ग) यह पात्र – विशेष के किन चारित्रिक पहलुओं को उजागर करता है?

उत्तर

(क) मोहन के लिए।
(ख) जब वह लोहे की छड़ को गोल छल्ले के रूप में देख रहा था।
(ग) – वह जाति में नहीं अपितु काम करने में विश्वास रखता है।
– वह एक कुशल कारीगर भी है।
– वह स्पर्धा और हार-जीत की भावना से परे है।

गलता लोहा पाठ के आस-पास

1- गाँव और शहर, दोनों जगहों पर चलने वाले मोहन के जीवन संघर्ष में क्या फर्क है? चर्चा करें और लिखें।

उत्तर– गाँव के खुले वातावरण ने मोहन को कुशाग्र-बुद्धि वाला बना दिया था। वहाँ के वातावरण में घुले-मिले होने के कारण वह पढ़ाई में बहुतअच्छा था। वहाँ सभी उसके परिचित थे। अतः किसी प्रकार की कोई कठिनाई नहीं आती थी। शहर का वातावरण उसके लिए पूरी तरह से नयाथा। उसका जीवन एक सीमा में बँध कर रह गया था। उससे रात-दिन काम करने के कारण वह पढ़ाई में अपनी विशेष पहचान नहीं बना पाया। 


2- एक अध्यापक के रूप में त्रिलोक सिंह का व्यक्तित्व आपको कैसा लगता है? अपनी समझ में उनकी खूबियों और खामियों पर विचार करें।

उत्तर– मास्टर त्रिलोक सिंह एक परंपरागत अध्यापक हैं। वे बच्चों को मार-पीटकर पढ़ाई कराने में विश्वास रखते हैं। बच्चों को डाँटना, पीटना औरकटु वचन कहना मानो उनका अधिकार है। वे धनराम पर तीनों तरीके आजमाते हैं।

मास्टर जी के मन में जातिगत उच्चता और नीचता का भाव भी गहरे बैठा हुआ है। इसलिए वे मोहन को प्रेम करते हैं तथा धनराम का तिरस्कार करते हैं। धनराम को दिमाग में लोहा होने का व्यंग्य – वचन कहना शोभनीय नहीं कहा जा सकता। वे धनराम से मुफ्त में दराँतियों पर धार भी लगवाते हैं। इसकी भी प्रशंसा नहीं की जा सकती।

मास्टर त्रिलोक सिंह बच्चों को पढ़ाने लिखाने, सिखाने और आगे बढ़ाने में रूचि लेते हैं। उनके तरीके अशोभनीय हो सकते हैं, किंतु शिक्षा – कर्म मेंउनकी निष्ठा सच्ची है।

3- गलता लोहा कहानी का अंत एक खास तरीके से होता है। क्या इस कहानी का कोई अन्य अंत हो सकता है? चर्चा करें।

उत्तर– इस कहानी का अन्य अंत यह भी हो सकता है कि मोहन लखनऊ से हाथ का काम सीखकर गाँव में आए और वहाँ एक छोटा उद्योग लगाए।जिसमें वह स्वयं और गाँव के बेरोज़गार व्यक्ति काम करके अपना तथा अपने परिवार का पेट भर सकें।


गलता लोहा भाषा की बात

पाठ में निम्नलिखित शब्द लौहकर्म से संबंधित हैं किसका क्या प्रयोजन है? शब्द के सामने लिखिए

क- धौंकनी………….
ख- सँड़सी…………..
ग- दराँती……………
घ- आफर……………
ड़- हथौड़ा………………

उत्तर

(क) आग दहकाने के लिए
(ख) वस्तु पकड़ने के लिए
(ग) घास काटने के लिए
(घ) लोहे का काम करने की जगह
(ङ) वस्तु आदि कूटने के लिए

2- पाठ में काट-छाँटकर जैसे कई संयुक्त क्रिया शब्दों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच शब्द पाठ में से चुनकर लिखिए और अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।

उत्तर
(क) उलट-पलट – दिनेश के नई पुस्तक को उलट-पलटकर देखा
(ख) खा-पीकर – एक ही महीने में वह खा-पीकर स्वस्थ हो गया।
(ग) घूम-फिरकर- हमने सुबह को शाम तक चाँदनी चौक को घूम-फिरकर अच्छी तरह से देखा ।
(घ) नयी तुली – सुरेश हमेशा नयी तुली बात कहता है ।
(ङ) भूल-चूक – कोई भूल-चूक हो गई हो तो माफ़ कर देना ।

3- बूते का प्रयोग पाठ में तीन स्थानों पर हुआ है उन्हें छाँटकर लिखिए और जिन संदर्भों में उनका प्रयोग है, उन संदर्भों में उन्हें स्पष्ट कीजिए।

उत्तर
(क) बूढ़े वंशीधर जी के बूते का अब यह सब काम नहीं रहा
(ख) जन्म भर जिस पुरोहिताई के बूते पर उन्होंने घर-संसार चलाया था, वह भी अब वैसे कहाँ कर पाते हैं।
(ग) दान-दक्षिणा के बूते पर वे किसी तरह परिवार का आधा पेट भर पाते थे। पहले का अर्थ सामर्थ्य से बाहर, दूसरे का आधार रूप, तीसरे का बल पर है।

4- मोहन ! थोड़ा दही तो ला दे बाजार से ।
    मोहन! ये कपड़े धोबी को दे तो आ ।
    मोहन! एक किलो आलू तो ला दे।

ऊपर के वाक्यों में मोहन को आदेश दिए गए हैं। इन वाक्यों में आप सर्वनाम का इस्तेमाल करते हुए उन्हें दुबारा लिखिए।

उत्तर
मोहन! आप बाज़ार से थोड़ा दही ला दीजिए।
मोहन! आप ये कपड़े धोबी को दे आइए।
मोहन ! आप एक किलो आलू ला दीजिए ।

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