स्पीति में बारिश प्रश्न उत्तर
स्पीति में बारिश पाठ के साथ
1- इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता। क्यों?
उत्तर– ऊँचे दरों और कठिन रास्तों के कारण इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता।
2- स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं?
उत्तर– दुर्गम घाटियाँ और ऊँचे पहाड़ स्पीति को दुनिया से अलग करने वाले घटक हैं। बर्फ पड़ने के कारण यहाँ के लोग वर्ष में आठ-नौ महीने शेष दुनिया से कटे रहते हैं। वे ठंड से ठिठुरते रहते हैं। उन्हें वर्ष में केवल एक ही फसल मिलती है। उनके पास सर्दी से बचने के साधनों का भी अभावहै। यहाँ पर चलने वाली तेज हवाएँ हाथ मुँह और शरीर के खुले अंगों पर शूल की तरह चुभती हैं। यहाँ के लोगों को जोरावर सिंह जैसे लुटेरे का भी खतरा बना रहता है।
3- लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर करने के पक्ष में क्यों हैं?
उत्तर– लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर करने के पक्ष में इसलिए है क्योंकि ध्वनि मंत्र ‘ओं मणि पद्मे हुँ’ बौद्धों का बीज मंत्रहै। इस मंत्र के उच्चारण से करुणा की उत्पत्ति होती है तथा इसका बड़ा महात्म्य है। संक्षेप में इसे ही माने कहते हैं। अतः इन पहाड़ियों में इस मानेमंत्र का जाप होने के कारण इन श्रेणियों को यह नाम देना चाहिए।
4- ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं। इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से क्या आग्रह किया है?
उत्तर– लेखक ने युवा वर्ग से आग्रह किया है कि वे यहाँ आकर हँसे, खेलें कूदे ताकि प्रसन्नता से युक्त चेहरों को देखकर इनकी उदासीनता भंग हो जाए और ये खुशी के वातावरण का अनुभव करें। युवक-युवतियों के ठहाकों से यहाँ के लोगों का दुख-दर्द कुछ तो कम होगा।
5. वर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है – लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर– स्पीति में बारिश बहुत कम होती है। जब कभी बारिश होती है तो उसे एक घटना माना जाता है, साथ उसे संयोग भी कहा जाता है। बारिश ही बूँदों के साथ बर्फ के अंश भी पड़ते हैं। गिरती हुई बूँदों से नगाड़ों पर थाप पड़ने का आभास होता है। हवा के तीव्र प्रवाह में महाशंख की ध्वनि व्याप्त है जो पूरी घाटी में छा जाती है ।
6. स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर– स्पीति मध्य हिमालय में स्थित है। इसकी समुद्र तल से ऊँचाई लगभग 14,000 फीट है। स्पीति के पहाड़ लाहुल के पहाड़ों से ज़्यादा ऊँचे, नंगे और भव्य हैं। यहाँ बर्फ के जमाव के कारण ठंड की अधिकता है। यह बर्फ़ ठिठुराने वाली, गलाने वाली और दुःख देने वाली है। ये पहाड़स्पीति को पूर्व में तिब्बत, पश्चिम में लाहुल, दक्षिण में किन्नौर और उत्तर में लद्दाख से अलग करते हैं। यहाँ पर वर्षा न के बराबर होती है
स्पीति में बारिश पाठ के आस-पास
1. स्पीति में बारिश का वर्णन एक अलग तरीके से किया गया है। आप अपने यहाँ होने वाली बारिश का वर्णन कीजिए।
उत्तर– हमारे यहाँ वर्षा का मौसम बहुत सुहाना होता है। गर्मियों की वर्षा का तो कहना ही क्या! जब धरती लू बरसा रही होती है तो वर्षा की रिमझिम बूँदे स्वर्ग-सा सुख प्रदान करती हैं। मैदानी इलाकों में सबसे रोमांटिक और सुहावनी ऋतु वर्षा ऋतु ही होती है। चारों तरफ पानी की पानीबरसता है। सड़कों, गलियों में पानी भर जाता है। मूसलाधार वर्षा में नहाते बच्चे खूब आनंद – विनोद करते हैं।
2. स्पीति के लोगों और मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जीवन की तुलना कीजिए। किनका जीवन आपको ज्यादा अच्छा लगता है और क्यों?
उत्तर– स्पीति के लोगों का जीवन दुख-कष्टों से भरा हुआ है। वे शेष दुनिया से लगभग कटकर रहते हैं। बर्फ़ की अधिकता के कारण वहाँ ठंडअधिक होती है। मैदानी भागों में लोग साधन-सम्पन्न हैं। यहाँ समय-समय पर छहों ऋतुओं का आगमन होता है। मैदानी भागों में रहने वाले लोगों का जीवन ज़्यादा अच्छा है क्योंकि वे स्पीति के लोगों की तरह दुनिया से कटकर नहीं रहते। उन्हें सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। उन्हें पूरे वर्ष ठंड की मार नहीं झेलनी पड़ती।
3. स्पीति में बारिश एक यात्रा-वृत्तांत है। इसमें यात्रा के दौरान किए गए अनुभवों, यात्रा-स्थल से जुड़ी विभिन्न का बारीकी से वर्णन किया गया है।आप भी अपनी किसी यात्रा का वर्णन लगभग 200 शब्दों में कीजिए ।
उत्तर– विद्यार्थी स्वयं करें।
4. लेखक ने स्पीति की यात्रा लगभग तीस वर्ष पहले की थी। इन तीस वर्षों में क्या स्पीति में कुछ परिवर्तन आया है? जानें, सोचें और लिखें।
उत्तर– विद्यार्थी स्वयं करें।
कुछ बिंदु
(क) आवागमन के साधन पहले से अच्छे
(ख) नदी पर बाँध व बिजली उत्पादन
(ग) आवास के लिए कुछ छोटे होटल
(घ) दूर संचार व्यवस्था
(ङ) टेलीविजन देखने की सुविधा
(च) विदेशी पर्यटकों का आवागमन
स्पीति में बारिश भाषा की बात
पाठ में से दिए गए अनुच्छेद में क्योंकि, और, बल्कि, जैसे ही, वैसे ही, मानो, ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हुए उसे दोबारा लिखिए –
उत्तर– लैंप की लौ तेज़ की। जैसे ही खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने वैसे ही पल्लाभिड़ा दिया और उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश हो रही थी। मैं उसे देख नहीं रहा था बल्कि सुन रहा था। अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका ऐसे आ रहा था मानो बर्फ का अंश लिए तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं।