अक्क महादेवी की कविता का भावार्थ, अक्क महादेवी की कविता का प्रश्न उत्तर,
हे भूख ! मत मचल
प्यास, तड़प मत
हे नींद ! मत सता
क्रोध, मचा मत उथल-पुथल
हे मोह ! पाश अपने ढील
लोभ, मत ललचा
हे मद! मत कर मदहोश
ईर्ष्या, जला मत
ओ चराचर! मत चूक अवसर
आई हूँ संदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का
अक्क महादेवी की कविता का प्रसंग -प्रस्तुत ‘वचन’ वीर शैव आंदोलन से जुड़ी महत्त्वपूर्ण कवयित्री ‘अक्कमहादेवी’ द्वारा रचित है। इस वचन का अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद केदारनाथ सिंह ने किया है। इसमें इंद्रियों पर नियंत्रण करने का संदेश दिया गया है। कवयित्री अपने अराध्य शिव का संदेश सुनाते हुए कहती है कि
अक्क महादेवी की कविता का व्याख्या – हे प्राणी! तुम भूख से व्याकुल होकर मचलो मत, प्यास से बेहाल होकर तड़पो मत, नींद किसी प्रकार से तुम्हें सताने न पाए, क्रोध के कारण किसी प्रकार के भावों की हलचल न हो मोह का बंधन ढीला होने से मानव का लालच न बढ़े, ज्यादा पाने के लिए वह लालायित न होने पाए, समृद्धि या कामयाबी के नशे में मनुष्य इतना मतवाला न बने कि वह ईर्ष्या और द्वेष की आग में जलने लगे। अंत में कवयित्री कहती है कि है कि हे जड़ चेतन! सुनो, मैं तुम्हारे लिए चन्नमल्लिकार्जुन अर्थात् शिव का यह संदेश लाई हूँ कि सभी अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखें। सभी प्रकार के विषय-विकारों से बचें।
अक्क महादेवी की कविता का विशेष – यहाँ कवयित्री से प्रत्येक प्राणी को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखने की प्रेरणा दी है। उन्होंने उपदेश न देकर प्रेमपूर्वक अनुरोध किया है।’मत’ शब्द की आवृत्ति से विषय विकारों से बचने पर जोर दिया गया है ‘मचा मत’, ‘मद, मत मदहोश’ में अनुप्रास अलंकार है। सरल, सहज, भावानुकूल भाषा का प्रयोग किया गया है।
हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
मँगवाओ मुझसे भीख
और कुछ ऐसा करो
कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह
झोली फैलाऊँ और न मिले भीख
कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को
तो वह गिर जाए नीचे
और यदि मैं झुकूं उसे उठाने
तो कोई कुत्ता आ जाए
और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।
अक्क महादेवी की कविता का प्रसंग – प्रस्तुत वचन में कवयित्री से अपने आराध्य के प्रति पूर्ण समर्पण भाव व्यक्त हुए इच्छा प्रकट की है कि वह भौतिक साधनों में न उलझनें पाए तथा सारा अहंकार समाप्त हो जाए। कवयित्री कहती है कि अक्क महादेवी की कविता का व्याख्या – हे मेरे जूही के फूल के समान निर्मल, स्वच्छ भगवान! आप मुझसे भीख मँगवाइए और कोई ऐसा उपाय कीजिए जिससे अपने घर और उससे जुड़ी हुई स्मृतियों को पूरी तरह से भूल जाऊँ मेरी दशा ऐसी हो जाए कि मैं भीख माँगू और कोई भी व्यक्ति मुझे भीख न दें। यदि कोई हाथ बढ़ाकर कुछ देना भी चाहे तो वह उसके हाथ से छूटकर नीचे धरती पर जा गिरे।यदि मैं उसे झुककर उठाना चाहूँ तो कहीं से कोई कुत्ता आकर मुझ पर झपटे और उस वस्तु को मुझसे छीनकर ले जाए। हे भगवान! ऐसा कीजिए कि मैं भौतिक वस्तुओं के बंधन से मुक्त रहूँ और मुझमें किसी प्रकार का अहंकार उत्पन्न न होने पाए। अक्क महादेवी की कविता का विशेष – यहाँ कवयित्री ने बताना चाहा है कि भौतिक वस्तुओं से मुक्त होकर ही अपने आराध्य में ध्यान लगाया जा सकता है। प्रथम पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार है ‘मँगवाओ मुझसे’, ‘कोई कुत्ता’ में अनुप्रास अलंकार है।
अक्क महादेवी की कविता का प्रश्न उत्तर
1. लक्ष्य प्राप्ति में इंद्रियाँ बाधक होती हैं इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।
उत्तर– लक्ष्य प्राप्ति के लिए इंद्रियों पर नियंत्रण होना अति आवश्यक है। यदि हम भूख प्यास, नींद को सहन करने की क्षमता नहीं रखते हैं तो हम अपने लक्ष्य से विचलित होने की स्थिति में आ जाते हैं। क्रोध, ईर्ष्या, लोभ, मोह आदि से मानसिक शक्ति कुंठित हो जाती है। अतः ज्ञानेंद्रियाँ और कर्मेद्रियाँ हमारे वश में नहीं हैं तो लक्ष्य धूमिल हो जाता है।
2. ओ चराचर! मत चूक अवसर- इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– इस पंक्ति का आशय यह है कि चन्नमलिकार्जुन (शिव) के माध्यम से इंद्रियों पर नियंत्रण करने का संदेश दिया गया है| जड़-चेतन को इस कल्याणकारी अवसर से न चूकने का आग्रह किया गया है।
3. ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है? ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।
उत्तर– ईश्वर के लिए जूही के फूल का प्रयोग किया गया है। ईश्वर और जूही का फूल दोनों ही निर्मल एवं पवित्र हैं। दोनों ही सौम्य एवं आनंद प्रदान करने वाले हैं।
4- अपना घर से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर– अपना घर से तात्पर्य है- सांसारिक मोह माया। इसे भूला देने की बात इसलिए कही गई है ताकि अपने-आपको ईश्वर के प्रति पूर्ण रूप में समर्पित किया जा सके।
5- दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?
उत्तर– दूसरे वचन में ईश्वर से कामना की गई है कि वे कवयित्री से भीख मँगवाएँ, अपने घर-परिवार के मोह को भूल जाए, झोली फैलाकर भीख माँगे और भीख में कुछ न मिले, यदि कोई कुछ देना भी चाहे तो वह भी नीचे गिर जाए, और उस गिरी हुई वस्तु को उठाने का प्रयास करूँ तो उसे कुत्ता छीनकर ले जाए। ऐसी कामना इसलिए की गई है ताकि कवयित्री का अहंकार समाप्त हो जाए।
अक्क महादेवी की कविता के आस-पास
1- क्या अक्कमहादेवी को कन्नड़ की मीरा कहा जा सकता है? चर्चा करें।
उत्तर– किसी कवयित्री या कवि को उसकी एक-दो कविताओं के आधार पर बहुत बड़ी उपाधि नहीं दी जा सकती। परंतु यदि हम मीराऔर अक्कमहादेवी के इन वचनों की तुलना करें तो कहा जा सकता है कि अक्कमहादेवी की कविता के भाव मीरा से मिलते-जुलते हैं। मीरा कृष्ण की दीवानी थी। उसने अपने जीवन में केवल कृष्ण को ही अपना लिया था। वे पूर्ण समर्पिता थीं। अक्कमहादेवी शिव की भक्त हैं। वे भी सांसारिकता तजकर उसी में लीन होना चाहती है। वे ईश्वर के सम्मुख पूरी तरह समर्पित हो जाना चाहती हैं।