आलो आँधारि पाठ का प्रश्न उत्तर वितान क्लास 11

आलो आँधारि पाठ का प्रश्न उत्तर वितान क्लास 11 


1. पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है। क्या वर्तमान समय में स्त्रियों कीइस सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर– पाठ के अधिकाधिक अंश इस बात को प्रमाणित करते हैं कि पुरुष के बिना का कोई नहीं है या है भी तो इतना मामूली सा कि उसका कोई विशेष महत्त्व नहीं ठहरता। इस प्रसंग में पात शुरुआत को ही देख जा सकता है जिसमें लेखिका ने बताया कि कैसे लोग उससे उसके पति के बारे में पूछताछ करते थे और उसे हिकारत और संवेदना मिश्रित नज़रों से देखते थे। आगे पाठ में लेखिका के अपने किराए के घर की मकान मालकिन का यह प्रश्न कि कहाँ जाती है रोज़, तेरा स्वामी तो है नहीं, तू तो अकेली ही है तुझे इतना घूमने घामने की क्या दरकार इस बात को और पुष्टकरता है कि एक स्त्री भी एक पुरुष – विहीन स्त्री के प्रति कैसे व्यंग्य और अपेक्षा का भाव रखती है। लोग बाग लेखिका से छेड़खानी करने की भी कोशिश करते। पुरुष के बिना स्त्री के प्रति समाज का यही रवैया है। आज की परिस्थितियों में यह समस्याएँ एकदम खत्म तो नहीं हुई हैं, किंतु महिलाओं की सामाजिक सजगता, स्वावलंबन और निर्भीकता ने इनके खात्मे के संकेत अवश्य दे दिए हैं।

2. अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?

उत्तर– रेलगाड़ी से लेकर तातुश के परिवार तक आने के सफ़र में लेखिका के जीवन में अनेकों मोड़ आए। रिश्तों के परिप्रेक्ष्य में इन्हें देखने से यह पता चलता है कि कैसे व्यक्ति जिन्हें अपना समझता है वे उसके अपरिचित और अनजाने की भूमिका में आ जाते हैं जबकि जिनसे उसका कोई पूर्व परिचय या लगाव नहीं होता उनसे मिलकर, उनके साथ वह आत्मीय संबंध और अपनत्व का निर्माण कर लेता है, जैसे लेखिका तातुश के घरमें काम करने वाली नौकरानी के रूप में आई और परिवार के सदस्य की भाँति मान्य और स्वीकृत हो गई। इससे पता चलता है कि सद्व्यवहार ही सबसे बड़ा गुण और मानवता ही सबसे बड़ा रिश्ता है।

3. इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करनापड़ता है। इस पर विचार करिए।

उत्तर– घरेलू नौकरों को पाठ में वर्णित जटिलताओं के अतिरिक्त अपने जीवन में जिन अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनमें सर्वप्रमुख मकान मालिकों की उनके काम के प्रति असंतुष्टि की समस्या है। नौकर चाहे कितना भी अच्छा काम क्यों न करें, मकान मालिक उसमें कोई-न-कोई खोट अवश्य ही निकाल देते हैं। इसके अतिरिक्त कम पैसे देकर अधिक काम करवाने और सब कुछ के बावजूद नौकर के साथ अच्छी तरह पेश न आने की समस्याएँ भी आमतौर पर देखी जा सकती हैं।

4. आलो आँधारि रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है। किन्हीं दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर– आलो आँधारि रचना में वर्णित समस्याएँ जैसे सामाजिक असुरक्षा, लांछन की प्रवृत्ति, औरतों के साथ दुर्व्यवहार की समस्या, कामकाजी जीवन की आर्थिक तंगी और पढ़ने-लिखने की असुविधा की समस्याएँ और इनसे जुड़ा सामाजिक दृष्टिकोण कई मुद्दों पर एक साथ विचार करनेको प्रेरित करता है। महिलाओं के प्रति समाज का दृष्टिकोण अब भी उपेक्षा और प्रताड़नापूर्ण है। घर में महिलाओं को दोयम श्रेणी का दियाजाता है। कामकाजी महिलाओं के साथ भी उनके कार्य स्थलों पर कमोबेश यही बर्ताव किया जाता है। सामाजिक असुरक्षा और महिलाओं केसाथ छेड़खानी बलात्कार की कोशिशें और उन्हें अन्याय तरीकों से आतंकित और प्रताड़ित किया जाता है। स्वेच्छाचारी और निरंकुश पुरुष प्रधानसमाज उनपर तरह-तरह के आरोप-प्रत्यारोप लगाता है और उन्हें घुटनभरी जिंदगी जीने को मज़बूर करता है। उनके स्वावलंबन कामकाज औरअर्थोपार्जन को भी उपेक्षित दृष्टि से देखा जाता है। यह पाठ स्पष्ट करता है कि उपर्युक्त समस्याएँ व्यक्तिगत न होकर सामाजिक और सार्वजनिक हो गई हैं।

5. तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो- जेठू का यह कथन रचना संसार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?

उत्तर– रचना का संसार अनवरत श्रमशील लोगों का संसार है। आशापूर्णा देवी इस बात का सर्वाधिक सशक्त उदाहरण है; जिस प्रकार आशापूर्णाजी ने जीवन की तमाम विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए भी कामकाज के बीच समय निकालकर विपुल मात्रा में साहित्य सृजन किया; वैसे ही लेखिका को भी कामकाज के बीच से ही अवकाश लेकर लिखने-पढ़ने की बात सुझाते हुए जेठू ने यह कहा। अनेकों विश्व प्रसिद्ध साहित्यकार जिनमें समान रूप से महिलाएँ और पुरुष दोनों हैं, इस कथन के उदाहरण के तौर पर लिए जा सकते हैं। जैसे मैक्सिम गोर्की मज़दूरथे, फिर भी उन्होंने विश्वस्तरीय साहित्य लिखा

6. बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन कैसा होता ? कल्पना करें और लिखें।

उत्तर– बेबी की जिंदगी में यदि तातुश का परिवार न आया होता तो उसे अपने जीवन में अनेकों अवांछित समस्याओं का सामना करना पड़ता है।सामाजिक असुरक्षा की समस्या उनमें सर्वप्रमुख हैं। यदि तातुश के परिवार ने उसे सहारा न दिया होता तो उसके बच्चे पढ़-लिख नहीं पाते, वह स्वयं भी कामकाजी महिलाओं की तरह इधर-उधर काम ढूँढ़ने और करने को मजबूर होती । कम पैसों और तंगहाली में गुज़ारा करने से पढ़ने-लिखने की उसकी हार्दिक इच्छा का दमन हो जाता। मनुष्य के रूप में स्नेह और गरिमा प्राप्त कर एक सम्मानित जीवन जीने का उसका सपना टूट जाता। इस प्रकार तातुश और उनके परिवार ने बेबी को सामाजिक सुरक्षा, स्थायित्व, आर्थिक स्वतंत्रता पढ़ने-लिखने का अवसर और अपनत्व प्रदान किया। जिनके अभाव में आदमी का जीवन बिखर जाता है, नष्ट हो जाता है।

7. ‘सबेरे कोई पेशाब के लिए उसमें घुसता तो दूसरा उसमें घुसने के लिए बाहर खड़ा रहता । टट्टी के लिए बहार जाना पड़ता था लेकिन वहाँ भीचैन से कोई टट्टी नहीं कर सकता था क्योंकि सुअर पीछे से आकर तंग करना शुरू कर देते। लड़के-लड़कियाँ, बड़े-बूढ़े, सभी हाथ में पानी कीबोतल ले टट्टी के लिए बाहर जाते। अब वे वहाँ बोतल सँभालें या सुअर भगाएँ! मुझे तो यह देख-सुनकर बहुत खराब लगता’-अनुवाद के नाम परमात्र अंग्रेज़ी से होने वाले अनुवादों के बीच भारतीय भाषाओं में रची-बसी हिंदी का यह एक अनुकरणीय नमूना है-उपर्युक्त पंक्तियों को ध्यान मेंरखते हुए बताइए कि इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं।

उत्तर– इन पंक्तियों के द्वारा वस्तु-स्थिति का सटीक चित्रण हुआ है। स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने से पूर्व घनी आबादी वाले नगरों, मोहल्लों मेंयह समस्या आम थी। किराए के मकान में जैसा किराया, वैसी सुविधा दी जाती थी। कम किराया वाले कमरों में कई कमरों के साथ एक शौचालय, स्नानघर की सुविधा रहती थी। उपर्युक्त कथन से मैं पूर्णतया संतुष्ट हूँ। अनुवाद से भाषा जटिल हो जाती है। उसमें भारतीय भाषाओं मेंरची-बसी हिंदी की तरह प्रवाह नहीं होता है।

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