रहीम के दोहे का भावार्थ, प्रश्न उत्तर, अभ्यास प्रश्न कक्षा 7

रहीम के दोहे का भावार्थ / rahim ke dohe ka bhavarth class 7 

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। 
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।1।।
रहीम के दोहे का भावार्थ व व्याख्या-रहीम जी कहते हैं कि जब-तक मनुष्य के पास धन-दौलत और मान-सम्मान रहता है तब तक लोग उसके साथ अनेक प्रकार के रिश्ते-नाते बनाने के लिए कई प्रकार के ढंग निकालते रहते हैं लेकिन जो लोग दुख, दरिद्रता और विपत्ति के समय काम आते हैं, वही सच्चे मित्र होते हैं।
जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह। 
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।12।
रहीम के दोहे का भावार्थ व व्याख्या -पानी में जाल डालने पर मछली तो जाल में फँस जाती है लेकिन पानी बहकर निकल जाता है। रहीम जी कहते हैं कि मछली तो जल से प्रेम करती है उसका विछोह होते ही तड़पकर प्राण त्याग देती है लेकिन जल उससे प्रेम नहीं करता इसीलिए मछली को जाल में छोड़कर बह जाता है। वास्तव में रहीम यह कहना चाहते हैं कि हमें मछली की भाँति ईश्वर से प्रेम करना चाहिए।
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान। 
कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान।।3।।
रहीम के दोहे का भावार्थ व व्याख्या– रहीम जी कहते है कि दूसरों के हित के कारण ही वृक्ष अपने फलों को स्वयं नहीं खाते तथा सरोवर अपना जल नहीं पीते। ठीक इसी प्रकार दूसरों के प्रति उपकार की भावना रखने के कारण ही सज्जन धन जोड़ते हैं।
थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात। 
धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात।।4।।
रहीम के दोहे का भावार्थ व व्याख्या -रहीम जी कहते हैं कि आश्विन के महीने में बादल गहराते अर्थात् उमड़कर आते तो हैं लेकिन खोखले होते हैं, इसलिए बरसते नहीं, जबकि सावन महीने में बादल जमकर बरसते हैं। जैसे धनी पुरुष निर्धन हो जाने पर अमीरी की ही बातें करते रहते हैं जिनका कोई लाभ नहीं होता।
धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह। 
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह।।5।।
व्याख्या-रहीम जी कहते हैं कि धरती का नियम है कि वह सभी मुख्य ऋतुओं शरद, ग्रीष्म व वर्षा सभी को बराबर रूप से सहती है, वैसे ही मनुष्य देह को भी जीवन में प्राप्त सुखों और दुखों को समान रूप से सहना चाहिए।

रहीम के दोहे के प्रश्न उत्तर / rahim ke dohe ke question answer 

दोहे से

1. पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणि करनेवाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की शक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।

उत्तर– 
पंक्ति कथन दोहा 
‘कहि रहीम संपति सगे—-तेई साँचे मीत।’ 
‘धरती की सी रीत है—रहीम यह देह ।’ 
कथन को प्रमाणित करने वाले दोहे 
जाल परे जल जात बहि —–तऊ न छाँड़ति छोह ।’ 
‘तरूवर फल नहिं खात है——संपति संचहिं सुजान।’ 
‘थोथे बादर क्वार के ——-करें पाछिली बात।

2. रहीम ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों में क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजनेवाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर – रहीम जी ने क्वार  के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना निर्धन हो गए व्यक्तियों से की है। इसका मुख्य कारण यह है कि क्वार मास में बादल उमड़-घुमड़ कर तो आते हैं परन्तु बरसते नहीं है। सावन के बरसने और गजरने वाले बादल उन महान लोगों की भांति हैं जो अपने कार्य अर्थात् बरसकर दूसरों के लिए आदर्श स्थापित करते हैं। दिखावे अथवा आडंबरों की ओर ध्यान नहीं देते।

दोहे से आगे

प्रश्न- नोचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार ले तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए

(क) तरुवर फल——- सँचहि सुजान।।
(ख) धरती की-सी———-यह देह।।

रहीम के दोहे भाषा की बात

1 निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित हिंदी रूप लिखिए
जैसे- परे-पेड़ (रे. ड़े)

बिपति, बादर, मछरी, सीत

उत्तर
बिपति- विपत्ति
बादर- बादल
मछरी- मछली
सीत- शीत
2. नीचे दिए उदाहरण पढ़िए-
(क) बनत बहुत बहु रीत।
(ख) जाल परे जल जात बहि।

उपयुक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में ‘ब’ का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में ‘ज’ का प्रयोग। इस प्रकार बार बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर- 
1-संपति-संचहिं सुजान
2-दावे न दवे

रहीम के दोहे अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न– कवि ने अश्विनी के बादलों की तुलना किससे की है?
प्रश्नसच्चे मित्र की क्या पहचान होती है?
प्रश्नरहीम जी ने मछली और जल में किस तरह के रिश्ते को स्पष्ट किया है?
प्रश्नकवि मनुष्य को धरती से क्या सीख देना चाहता है?
प्रश्न– रहीम के दोहे वर्तमान में कैसे सार्थक हैं लिखिए

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