आश्रम का अनुमानित व्यय सार या सारांश, प्रश्न उत्तर, क्लास 7

इस पोस्ट में हमलोग आश्रम का अनुमानित व्यय पाठ का सारांश, आश्रम का अनुमानित व्यय पाठ का प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे| यह पाठ क्लास 7 हिन्दी वसंत भाग 2 के चैप्टर 19 से लिया गया है|

आश्रम का अनुमानित व्यय पाठ का सार या सारांश / ashram ka anumanit vyay summary  

आश्रम का अनुमानित व्यय पाठ गांधी जी द्वारा रचित है। इसे पढ़कर हम यह जान सकते हैं कि गांधी जी कितनी सूझ-बूझ व तरीके से काम करते थे। यहाँ एक आश्रम के अनुमानित व्यय का ब्योरा उन्होंने पेश किया है। 

उनका मानना है कि आरंभ में आश्रम में चालीस के करीब लोग होंगे तथा कुछ समय बाद पचास भी हो सकते हैं। समयानुसार अतिथि भी आश्रम में आएँगे। इनका औसत हम दस लगा सकते हैं। अतिथियों के बारे में यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि तीन-पाँच अतिथि सपरिवार भी आ सकते हैं।

आश्रम में तीन रसोईघर हों और मकान 1,50,000 वर्ग में बनना चाहिए। 3000 पुस्तकें जिसमें आ जाएँ इतना बड़ा पुस्तकालय भी होना चाहिए। अनाज उत्पन्न करने योग्य कम-से-कम पाँच एकड़ भूमि भी चाहिए। 

आश्रम में अत्यधिक सामान की भी आवश्यकता पड़ेगी। खेती हेतु कुदालियाँ, फावड़े व खुरपे। बढ़ईगिरी के लिए 5 बड़े हथौड़े, 3 बसूले, 5 छोटी हथौड़ियाँ, 2 एरन, 3 नम, 10 छोटी-बड़ी छेनियाँ, 4 रद. 1 सालनी, 4 केतियाँ, 4 छोटी-बड़ी बेधनियाँ, 4 आरियाँ, 5 छोटी-बड़ी संड़ासियाँ, 20 रतल कीलें छोटी-बड़ा, । मोंगरा (लकड़ी का हथौड़ा) लेना पड़ेगा। इसके साथ ही मोची के औजारों का 500 रुपए व रसोई के सामान का 150 रुपए का खर्च होगा। मेहमानों के लिए एक बैलगाड़ी की भी आवश्यकता पडेगी ताकि उन्हें स्टेशन से सामान लान में परेशानी न उठानी पड़े। खाने के खर्च में यदि 10 रुपए मासिक प्रति व्यक्ति लगाया जाए तो 50 लोगों का वार्षिक खर्च 6000 रुपए आएगा।

प्रमुख लोगों की इच्छा यह थी कि अहमदाबाद में यह प्रयोग एक वर्ष तक किया जाए। अहमदाबाद एक वर्ष तक सब खर्च उठाए। गांधी जी की तो यह माँग भी थी कि अहमदाबाद उन्हें पूरी ज़मीन और मकान सभी दे दे तो बाकी खर्च वे कहीं और से या दूसरी तरह जुटा लेंगे। फिर उन्होंने सोचा कि एक वर्ष का या इससे कुछ कम दिनों का खर्च अहमदाबाद को उठाना चाहिए। यदि अहमदाबाद एक वर्ष के खर्च का बोझ उठाने के लिए तैयार न हो तो खाने के खर्च का इंतजाम मैं कर सकता हूँ। उन्होंने यह भी कहा कि खर्च का यह अनुमान जल्दी में तैयार किया है, इसलिए यह संभव है कि कुछ मदें मुझसे छूट गई हों। इसके अतिरिक्त खान के खर्च के सिवा मुझे स्थानीय स्थितियों की जानकारी नहीं है। इसलिए मेरे अनुमान में भूल भी हो सकती हैं। उनका विचार था कि अहमदाबाद सब खर्च उठाए तो विभिन्न मर्दों में खर्च इस तरह होगा–

बंगला और खेत की ज़मीन किताबों की अलमारियों का खर्च, बढ़ई के औजार, मोची के औजार, चौके (रसोई घर) का सामान, एक बैलगाड़ी या घोड़ागाड़ी, एक वर्ष के लिए खाने का खर्च – 6,000 रु. ।मेरा ख्याल है कि हमें लुहार और राज के औजारों की भी ज़रूरत होगी। दूसरे-बहुत-से औजार भी चाहिए; किंतु इस हिसाब से मैंने उनका खर्च और शिक्षण-संबंधी सामान का खर्च शामिल नहीं किया है । शिक्षण के सामान में पाँच-छह देशी हाथ-करघों की भी आवश्यकता होगी।

आश्रम का अनुमानित व्यय का प्रश्न उत्तर / ashram ka anumanit vyay question answer 

लेखा-जोखा 

प्रश्न 1. हमारे यहाँ बहुत से काम लोग खुद नहीं करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। लेकिन गांधी जी पेशेवर कारीगरों के उपयोग में आने वाले औजार छेनी, हथौड़े, बसूले इत्यादि क्यों खरीदना चाहते होंगे? 

उत्तर-यह सत्य है कि हमारे यहाँ अर्थात् भारत में बहुत से काम लोग खुद न करके किसी पेशेवर कारीगर से करवाते हैं। गांधी जी छेनी, हथौड़े, वसूले इसलिए खरीदना चाहते होंगे ताकि लोग कुटीर उद्योग, लुहार व बढ़ईगिरी आदि को बढ़ावा दें। आत्मनिर्भर बनें व छोटे-छोटे कामों के लिए दूसरों का मुँह न ताकें। 

प्रश्न 2. गांधी जी ने अखिल भारतीय कांग्रेस सहित कई संस्थाओं व आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी जीवनी या उन पर लिखी गई किताबों से उन अंशों को चुनिए जिनसे हिसाब-किताब के प्रति गांधी जी की चुस्ती का पता चलता है।

उत्तर-गांधी जी कोई भी कार्य बिना हिसाब किताब के नहीं करते थे। वे प्रत्येक विषय के प्रति नकारात्मक व सकारात्मक सोच बराबर रखते थे। निम्न उदाहरणों द्वारा इस वक्तव्य को स्पष्टता दे सकते हैं 
1. गांधी जी तो लोगों को संबोधित किए बिना रह नहीं सकते थे तो पहले ही यह योजना बना ली गई कि यदि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया तो अब्बास तैयवजी दांडी यात्रा का नेतृत्व करेंगे।
2. असहयोग आंदोलन के समय भी वे यह हिसाब लगाने में पूर्णतया सक्ष्म थे कि किस स्थान पर किस तरह से ब्रिटिश शासन पर प्रहार करना है। 
3. वे बिल्कुल भी फिजूल खर्च न करते थे एक-एक पैसा सोच समझकर खर्च करते थे ।

प्रश्न 3. मान लीजिए, आपको कोई बाल आश्रम खोलना है। इस बजट से प्रेरणा लेते हुए उसका अनुमानित बजट बनाइए। इस बजट में दिए गए किन-किन मदों पर आप कितना खर्च करना चाहेंगे। किनको जोड़ना-हटाना चाहेंगे?

विद्यार्थी स्वयं करें। 

प्रश्न 4. आपको कई बार लगता होगा कि आप कई छोटे-मोटे काम (जैसे-घर की पुताई, दूध दुहना, खाट बुनना) करना चाहें तो कर सकते हैं। ऐसे कामों की सूची बनाइए, जिन्हें आप चाहकर भी नहीं सीख पाते। इसके क्या कारण रहे होंगे? उन कामों की सूची भी बनाइए, जिन्हें आप सीखकर ही छोड़ेंगे।

उत्तर-हमारे जीवन में ऐसे बहुत से कार्य होते हैं जिन्हें हम चाहकर भी नहीं सीख पाते जैसे-घर की पुताई सफ़ेदी वाला करता है, दूध वाला दूध दोह देता है और खाट (चारपाई) बुनने वाले से बुनवाई जाती है। कुछ ऐसे ही निम्न कार्य हैं जो मैं चाहकर भी नहीं सीख पाता
1. खेती-बाड़ी करना-मुझे खेतों में घूमना, अनाज-फल बोना व फसलें देखना बहुत अच्छा लगता है। मेरा भी मन चाहता है कि किसान की तरह कड़ी मेहनत करूँ 
2. कॉपी बनाना-मुझे बहुत शौक है कि मोटी-मोटी कॉपियाँ खुद बनाऊँ। क्योंकि कॉपी बनाने में सारा काम हाथ से ही करना होता है। 
3. मेज कुर्सी बनाना-कभी-कभी मेरा मन करता है कि अपने पढ़ने के लिए अपने आप एक मेज-कुर्सी बनाऊँ। 
4. कपड़े रंगना-कपड़े रंगना मुझे बहुत अच्छा लगता है लेकिन गर्म पानी में हाथ डालने से डर लगता है और साथ ही रंग मिलान समझ नहीं आता। 

प्रश्न -5 इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद आश्रम के उद्देश्यों और कार्यप्रणाली के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए जा सकते हैं? 

उत्तर-इस अनुमानित बजट को गहराई से पढ़ने के बाद हम आश्रम के ये उद्देश्य जान सकते हैं अतिथि सत्कार, ज़रूरतमंदों को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना, बेकार लोगों को आजीविका प्रदान करना, श्रम का महत्त्व समझाना, कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देना, चरखे आदि से स्वदेशी आंदोलन को आगे बढ़ाना। इस आश्रम की कार्यप्रणाली का मुख्य आधार आत्मनिर्भरता है।

आश्रम का अनुमानित व्यय भाषा की बात

प्रश्न 1. अनुमानित शब्द अनुमान में इत प्रत्यय जोड़कर बना है। इत प्रत्यय जोड़ने पर अनुमान का न नित में परिवर्तित हो जाता है। नीचे-इत प्रत्यय वाले कुछ और शब्द लिखे हैं। उनमें मूल शब्द पहचानिए और देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-

प्रमाणित, विचित्र, द्रवित, मुखरित 
झंकृत, शिक्षित, मोहित, चर्चित

इत प्रत्यय की भाँति इक प्रत्यय से भी शब्द बनते हैं और तब शब्द के पहले अक्षर में भी परिवर्तन हो जाता है, जैसे-सप्ताह + इक = साप्ताहिक। नीचे इक प्रत्यय से बनाए गए शब्द दिए गए हैं। इनमें मूल शब्द पहचानिए देखिए कि क्या परिवर्तन हो रहा है-

मौखिक, संवैधानिक, प्राथमिक 
नैतिक, पौराणिक, दैनिक
 
उत्तर –
इत प्रत्यान्त शब्द,  मूल शब्द,   प्रत्यय
प्रमाणित = प्रमाण +इत
व्यथित =व्यथा+इत
द्रवित = द्रव+इत
मुखरित = मुखर+इत
झंकृत =झंकार+इत
शिक्षित =शिक्षा +इत
मोहित =मोह+इत
चर्चित= चर्चा +इत
इक प्रत्यान्त शब्द,   मूल शब्द,   प्रत्यय 
मौखिक =मुख+इक
संवैधानिक =संविधान +इक
प्राथमिक= प्रथम+इक
नैतिक =नीति+इक
पौराणिक =पुराण+इक
दैनिक=दिन+इक

प्रश्न 2. बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी शब्द दो शब्दों को जोड़ने से बने हैं। इसमें दूसरा शब्द प्रधान है, यानी शब्द का प्रमुख अर्थ दूसरे शब्द पर टिका है। ऐसे समास को तत्पुरुष समास कहते हैं। ऐसे छह शब्द और सोचकर लिखिए है, और समझिए कि उनमें दूसरा शब्द प्रमुख क्यों है?

उत्तर –
तुलसीकृत= तुलसी द्वारा कृत या रचित 
राहखर्च= राह के लिए खर्च 
गंगाजल= गंगा का जल 
क्रीडाक्षेत्र= क्रीडा के लिए क्षेत्र 
घुड़सवार =घोड़े पर सवार 
वनवास= वन में वास
कक्षा 7 हिन्दी (संपूर्ण हल)
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