कठपुतली कविता की व्याख्या व भावार्थ, प्रश्न उत्तर, अभ्यास प्रश्न, क्लास 7

20200523 132400

कठपुतली कविता की व्याख्या,भावार्थ / kathaputali kavita ka explain class 7 

ठपुतली गुस्से से उबली बोली-ये धागे
क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?
इन्हें तोड़ दो; मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
सुनकर बोलीं और-और कठपुतलियाँ कि हाँ,
बहुत दिन हुए हमें अपने मन के छंद छुए।
मगर…
पहली कठपुतली सोचने लगी
ये कैसी इच्छा मेरे मन में जगी?

कठपुतली कविता की व्याख्या व भावार्थ भवानी प्रसाद मिश्र कहते हैं कि एक बार एक कठपुतली को धागे में अपने हाथ पैर बंधे हुए जानकर बहुत ही गुस्सा आया। वह अपने आप को बंधन में पाकर बहुत ही क्रोधित हुई। उसने अपने मन के भावों को व्यक्त करते हुए जोर देकर कहा इन धागों बंधनों को तोड़ दो मैं आत्मनिर्भर बनाना चाहती हूं।
पहली कठपुतली की बात को सुनकर अन्य कठपुतलियां भी उसका समर्थन करते हुए बोली हां हमें भी बंधन में पड़े हुए बहुत दिन बीत चुके हैं। यानी पहली कठपुतली की बात सुनकर दूसरी कठपुतलियों के मन में भी बंधन मुक्त होने की इच्छा जागी। पहली कठपुतली सोचने लगी कि उसके मन में स्वतंत्र होने के भाव कैसे पैदा हो गए तब उसे पता चला कि यह सब जागरूकता के कारण हुआ है। अर्थात आज के समय में प्रत्येक व्यक्ति सजग और जागरूक बनता जा रहा है।

कठपुतली कविता के प्रश्न उत्तर / kathaputali kavita question answer class 7 

कविता से

1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?

उत्तर– कठपुतली को  धागे में बंधे होने के कारण गुस्सा आया। कठपुतली धागों में बंधी होने के कारण अपने मन से स्वतंत्र होकर कहीं आ-जा नही सकती थी। पराधीनता के भाव का बोध होने पर वह आवेशित हो उठती है और स्वतंत्रता! स्वतंत्रता! की पुकार लगाने लगाती है।

2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?

उत्तर– पहली कठपुतली अपने पांव पर खड़ी होना चाहती है। जब वह धागे के बंधन से मुक्त होने की बात कहती है, तो अन्य कठपुतलियां भी स्वतंत्र होने के लिए लालायित होने लगती हैं। तब पहली कठपुतली को बोध हुआ कि अन्य कठपुतलियों की स्वतंत्रता की जिम्मेदारी उसी के सर पर है इसलिए वह खड़ी नहीं होना चाहती।

3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगी?

उत्तर– पहली कठपुतली के मुख से स्वतंत्र होने की बात अन्य कठपुतलियों को भी अच्छी लगी। स्वतंत्र रहना कौन नहीं चाहता अर्थात स्वतंत्रता सभी को पसंद है। दूसरी कठपुतलियों को लगा कि यदि पहली कठपुतली आजाद हो गई तो वह भी अवश्य ही आजाद हो जाएंगी। पहली कठपुतली के स्वतंत्रता की बात अन्य कठपुतलियों को अच्छी लगी।

4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-‘ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे?/ इन्हें तोड दो;/ मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’-तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि-‘ये कैसी इच्छा / मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए

* उसे दूसरी कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी महसूस होने लगी।
*उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
*वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
*वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
उत्तर– पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि मेरे आगे-पीछे जो धागे हैं, उन्हें तोड़ दो मुझे अपने पैरों पर खड़ा होना है। उसकी यह बात सुनकर अन्य कठपुतलियां भी उसका समर्थन करने लगी। पहली कठपुतली दूसरी कठपुतली की बात सुनकर चिंतित हो गई क्योंकि सभी कठपुतलियां स्वतंत्रता की मांग करने लगी।
पहली कठपुतली ने स्वतंत्रता की इच्छा तो प्रकट कर दी परंतु उसके सम्मुख स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने की जिम्मेदारी थी। दूसरी कठपुतलियों की आजादी को भी बचाए और बनाए रखने के लिए उसे निरंतर प्रयास करते रहना होगा। हो सकता है आजादी के लिए दूसरी कठपुतलियां उसकी सहायता न करें। उसकी अपरिपक्व बुद्धि, सोच-विचार के कारण स्वतंत्रता उनके लिए नुकसानदेह न हो।

कविता से आगे

‘बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।’ इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? नीचे दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-

(क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत दिन हो गए. मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
(ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
(घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
उत्तर– पंक्ति का अर्थ है कि हमने अपने मन से कभी कोई कार्य नहीं किया। दूसरे की इच्छाओं के अनुसार नाचते रहे। वह अपने मन के दुख को दूर करके स्वतंत्र होकर खुशहाल रहना चाहती हैं। कठपुतलीयाँ निर्जीव हैं कवि ने उनके अंदर भी स्वतंत्रता की भावना का संचार करते हुए परतंत्रता की अवहेलना की है। कठपुतलियां स्वयं को बंधन में पाकर दुखी और विवश हो जाती हैं। कठपुतलियां भी अन्य प्राणियों की तरह स्वतंत्र जीवन जीना चाहती हैं। वे प्रकृति के खुले वातावरण में अपनी इच्छा अनुसार विचरण करना चाहती हैं।

2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए (क) सन् 1857 (ख) सन् 1942

उत्तर-
1857- तात्या टोपे, बेगम हजरत महल, रानी लक्ष्मीबाई
1942- महात्मा गांधी, गोपाल कृष्ण गोखले, जवाहरलाल नेहरू

कठपुतली कविता अनुमान और कल्पना

स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियाँ कैसे लड़ी होंगी और स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से की होगी?

उत्तर– स्वतंत्रता ऐसी चीज है जो सभी को पसंद है, इसीलिए स्वतंत्र होने के लिए कठपुतलियां एकजुट हो गई होंगी उन्होंने स्वतंत्रता पाने के लिए अपने हाथों पैरों में  लगे धागों के बंधनों को तोड़ डाला होगा। बंधन मुक्त होकर वे इधर-उधर विचरण करने लगी होंगी। उन्होंने स्वावलंबी बनने के लिए अपनी सुरक्षा का प्रबंध किया होगा। उन्होंने हथियार उठा लिए होगा और मुक्त नाचने-गाने लगी होंगी। यदि  उन्हें धागे में बांधकर नचाने का प्रयत्न किया होगा तो उन्होंने इसका जोरदार विरोध की होंगी। अपनी आत्मरक्षा, स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए उन्होंने हथियार उठा लिए होंगे। उन्होंने बंधन में रहने के बजाय स्वतंत्र रहकर मर जाना ज्यादा श्रेयस्कर समझा होगा।

कठपुतली भाषा की बात

कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए-

जैसे-काठ (कठ) से बना-कठगुलाब, कठफोड़ा
हाथ-हाथ, सोना-सोन, मिट्टी-मट
उत्तर– हथकड़ी, हथगोला, सोनपरी, सोनपुर, सोनभद्र, सोनजुही, मटमैला, मटका,

2. कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे-आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में ‘पीछे-आगे’ का प्रयोग हुआ है। यहाँ ‘आगे’ का ‘.. बोली ये धागे’ से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए- दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि।

उत्तर– पतला-दुबला, उधर-इधर, नीचे-ऊपर, बाएं-दाएँ, काला-गोरा, पीला-लाल।

कठपुतली कविता अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न किन लोगों की तुलना कठपुतली से की जाती है? 
प्रश्न कठपुतली कविता से क्या संदेश मिलता है?
प्रश्न कठपुतली कविता का क्या उद्देश्य है?
प्रश्न कठपुतली धागे तोड़ने का आग्रह क्यों करती है?
प्रश्न कठपुतली का जीवन कैसा था?

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