कैदी और कोकिल कविता का सारांश, भावार्थ, व्याख्या,प्रश्न उत्तर ,अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न कक्षा-9

इस पोस्ट में हमलोग कैदी और कोकिल कविता का सारांश, कैदी और कोकिल कविता का भावार्थ व व्याख्या, कैदी और कोकिल कविता का प्रश्न उत्तर का अध्ययन करेंगे| कैदी और कोकिल कविता क्लास 9 के क्षितिज भाग 1 के चैप्टर 12 से लिया गया है|

कैदी और कोकिल कविता का सारांश / summary of kaidi aur kokil kavita 

कैदी और कोकिल कविता के कवि माखनलाल चतुर्वेदी हैं| इस कविता में कवि ने परतंत्रता के समय अंग्रेजी हुकूमत का व्यंग्यपूर्ण चित्रण किया है| जेल में स्वाधीनता सेनानियों के साथ अंग्रेजों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार का वास्तविक चित्रण इस कविता में किया गया है| 

कवि देश को आजाद कराने के उद्दम से अंग्रेजों द्वारा जेल में डाल दिया गया है | वह जेल में एकाकी जीवन बीता रहा है | तभी सामने पेड़ पर अर्धरात्रि के समय एक कोयल बोलती है| कवि उस कोयल से बात करते हुए कहता है कि हे कोयल इस अर्धरात्रि के समय तुम क्यों बोल रही हो क्या तुम्हें कोई कष्ट है? फिर थोड़ी देर बार कवि कल्पना करते हुए कहता है कि क्या तुमसे मेरा यह हथकड़ी रूपी गहना नहीं देखा जा रहा है| इस पूरी कविता में कवि ने कोयल से उसके कूकने का कारण जानना चाहा है| कोयल से उत्तर न मिलने पर कवि तरह-तरह से अपनी कल्पना द्वारा उसका उत्तर निकालना चाहा है| 

कैदी और कोकिल कविता की व्याख्या व भावार्थ 

क्या गाती हो? क्यों रह-रह जाती हो?
कोकिल बोलो तो! 
क्या लाती हो? संदेशा किसका है? 
कोकिल बोलो तो!

ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, 
बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट भर खाना, 
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है, 
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली, 
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली?

क्यों हूक पड़ी? वेदना बोझ वाली-सी; 
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा? मृदुल वैभव की रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो! 
क्या हुआ बावली? अर्द्धरात्रि को चीखी. 
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
कोकिल बोलो तो!
कैदी और कोकिल कविता की व्याख्या व भावार्थ– कोयल! तुम क्या गा रही थी, क्या संदेश लाई हो, यह किसका संदेश है मुझे इसके विषय में बताओ। जेल की इन ऊँची, काली दीवारों के घर अर्थात् जेल की कोठरी में जिसमें चोर डाकू जेबकतरे सभी बंद हैं| यहाँ आदमी न तो जी सकता है और न हि मर सकता है| इस प्रकार तड़प-तड़प कर रहना पड़ता है। जीवन पर कड़ा पहरा लग गया है। वह शासन की आलोचना करते हुए कहता है कि यह शासन है या अंधेरे का घना प्रभाव। इस काली अंधेरी रात में जबकि दुख ही दुख है तू भी काली ही हैं, क्यों इस प्रकार जग रही है। तथा इस समय क्यों आ गई। तुम्हारी बोली सुनकर क्यों हृदय की पीड़ा फिर से उभर गई है यह पीड़ा बहुत बोझ वाली है अर्थात् गंभीर हैं किसने यहाँ क्या लूट लिया कि वैभव (संपत्ति) की रक्षा करने वाली के समान तूँ बोल पड़ी। अरे ओ बावली कोयल तू आधी रात को क्यों चीखने लगी, कुछ इस बोलने का कारण बता। किस भयंकर आग की लपटें देखकर तू बोलने लगी है।

क्या?-देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ?-जीवन की तान,
गिट्टी पर उँगलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, 
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली, 
इसलिए रात में गज़ब ढा रही आली?

इस शांत समय में, अंधकार को बेध, 
रो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज इस भाँति बो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!

कैदी और कोकिल कविता की व्याख्या व भावार्थ-कोयल! क्या तुम्हें शरीर पर पडे जंजीरों के गहने नहीं दिखाई देते। ये हथकड़ियाँ नहीं हैं, अरे ये ही तो अंग्रेजी शासन के आभूषण (गहने) हैं। कोल्हू चलाने से निकली वाली आवाज है| यह  आवाज ही अब हमारे जीवन की तान बन गई है , गिट्टी तोड़ते-तोड़ते  उंगलियों ने उन पर अपने गीत लिख दिए हैं। जेल के कुओं में पानी खींचने वाले मोट भी पेट पर जुआ बाँधकर हमीं चलाते हैं। और अंग्रेजों के शासन की अकड़ से भरे जलकूपों को खाली करते हैं; अर्थात् उनकी सत्ता को कमजोर बनाते हैं, तू भी हमारे ऊपर हो रहे इस अत्याचार को देखकर दिन में इसलिए नहीं बोलती कि शायद हमारे भीतर कष्टों को झेलने के विषय में सोचने पर करुणा जग जाए। इसलिए तुम रात में ही मुझे सुना रही हो यह अजब अमानवीय संदेश और व्यथा।

काली तू. रजनी भी काली, 
शासन की करनी भी काली, 
काली लहर कल्पना काली, 
मेरी काल कोठरी काली,टोपी काली, कमली काली, 
मेरी लौह-श्रृंखला काली. पहरे की हुंकृति की ब्याली, 
तिस पर है गाली, ऐ आली!

इस काले संकट-सागर पर मरने की, 
मदमाती! कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को क्योंकर हो तैराती! 
कोकिल बोलो तो!

कैदी और कोकिल कविता की व्याख्या व भावार्थ– कवि कोयल को संबोधित करता हुआ कहता है कि आधी रात में जबकि चारों ओर शांति हीशान्ति छाई हुई है तू बोलती है तो लगता है जैसे शांत अंधकार को भेदती हुई रुलाई हो। हे कोयल! बताओ कि तुम अपने गान के माध्यम से इतनी मधुरता से शासन के प्रति विद्रोह के बीज क्यों बो रही हो; अर्थात् शासन के खिलाफ लोगों में विद्रोह की भावना जगाने के भाव की सूचना दे रही हो। रात काली है, तू भी काली है, इस शासन की करतूते भी काली हैं लहरें भी काली, कल्पना का रंग भी काला, सिपाहियों की टोपियाँ, कैदियों के कंबल सभी काले हैं, मेरी लोहे की जंजीरें भी काली हैं अर्थात् पूरा परिवेश अमानवीय है, जुल्म और जलालत से भरा हुआ है। प्राणों पर भी संकट है, ऐसे में जबकि शासन इतना क्रूर और निर्दयी है, पराधीनता के इस संकट रुपी सागर में मुक्ति की आकांक्षा रुपी इन चमकीले गीतों को क्यों तैरा रही हो।

तुझे मिली हरियाली डाली, 
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार 
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह, 
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी, 
बजा रही तिस पर रणभेरी!
इस हुंकृति पर, अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर, प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो!

कैदी और कोकिल कविता की व्याख्या व भावार्थ– कवि कहता है कि हे कोयल। तुम्हें तो हरियाली युक्त डाल अर्थात् सुख-सुविधाएँ मिली हुई हैं जबकि मेरे भाग्य में जेल की काली कोठरी है। तुम आकाश में विचरण करती हो, पूरा आकाश ही तुम्हारे संचरण के लिए है। जबकि मेरा संसार तो इस दस फुट की जेल-कोठरी में ही सिमट कर रह गया है। तुम्हारे गीत से तुम वाह-वाही की पात्र बनती हो जबकि मैं तो रो भी नहीं सकता। कवि अप्रत्यक्ष रुप से पराधीनता के काल में अंग्रेजो द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की ओर संकेत कर रहा है| किन्तु यदि मेरी विवशता जानते हुए भी तुम मुझे अपनी स्वर रुपी रण भेरी सुना-सुनाकर मुक्ति के संग्राम के लिए प्रेरित कर रही हो तो तुम्हारी इस हुंकार के बदले तुम्हीं बताओ मैं और कृति (रचना) के माध्यम से और क्या कर दूं। हे कोयल! तुम्ही बताओ कि गाँधी के देश की स्वतंत्रता के व्रत की रक्षा के लिए अपने प्राणों के रस का आसव बनाकर किसके प्राणों में भर दूँ।

कैदी और कोकिल पाठ के प्रश्न उत्तर / question answer of kaidi aur kokil 

1-कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?

उत्तर– कोयल की कूक सुनकर कवि को लगा कि जैसे वह किसी का संदेश लाई है, इसलिए कवि उससे कहता है कि तुम चुप क्यों हो जाती हो। कोयल! स्पष्ट बोलो। बताओ क्या कहना चाह रही हो |

2. कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?

उत्तर– कवि ने संभावना जताई है कि कोयल शायद कोई संदेश लाई हो, अथवा किसी दावानल की ज्वाला उसने देखी है या मधुर विद्रोह-बीज बोने के लिए वह बोल उठी है। या तो फिर बोल-बोलकर अंग्रेजी शासन से मुक्ति की रणभेरी बजा रही हो।

3. किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई और क्यों?

उत्तर– अंग्रेजी शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है। क्योंकि अंधेरा काला होता है; और उसके प्रभाव के कारण कुछ नहीं सूझता। अंग्रेजों की गुलामी के शासन से मुक्ति का कोई मार्ग नहीं सूझ रहा था। इसी कारण कवि ने अंग्रेजों के शासन की तुलना तम के प्रभाव से की है।

4-कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर– पराधीन भारत की जेलों में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को अनेकों दारुण कष्ट दिए जाते थे। उन्हें सामान्य रुप से अवांछनीय तत्वों के साथ रखा जाता था, पेट भर खाना न देना, कठिन श्रम से मोट खिंचवाना, कोल्हू चलवाना, श्रमिक की भांति दिन-भर कार्य कराना और किसी से मिलने-जुलने की इजाजत न देना आदि अनेक अवर्णनीय कष्ट दिये जाते थे।

5. भाव स्पष्ट कीजिए

(क) दिन के दुख का रोना है निश्वासों का ..।
(ख) बेसुरा! मधुर क्यों गाने आई आली?

उत्तर 
(क) प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि एक-एक श्वास कारावास के दिनों की पीड़ा का वर्णन कर रहा है। 
(ख) प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि दुख के दिनों में सुख के भाव न के बराबर हो जाते हैं।

6-अर्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है?

उत्तर- अर्ध रात्रि में कोयल की चीख से कवि को ‘विद्रोह के बीजवपन’ या विद्रोह की नींव पड़ने  की आशंका लगती है।

7. कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है?

उत्तर-कोयल परतंत्र देश में रहकर भी आकाश में स्वच्छन्दता पूर्वक विचरण करती है जबकि कवि जेल में बंद परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। इसीलिए कवि को कोयल से ईर्ष्या हो रही है।

8. कवि के स्मृति पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है?

उतर– कवि के स्मृति पटल पर कोयल के गीतों की चमकीली तथा वाह-वाही भरी स्मृतियाँ अंकित हैं इन्हें ही परतंत्रता रुपी संकट सागर पर तैराकर वह नष्ट करने पर तुली

9-हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है?

उत्तर– स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे सेनानी हथकड़ियों को ही अपना आभूषण मानते थे इसलिए भी इन्हें यहाँ गहना कहा गया है तथा गहने शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, और चूँकि हथकड़ियाँ भी शरीर पर ही झूल रही हैं, अत: इन्हें गहना कहा गया है।

10. ‘काली तू ऐ आली’-इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।

उत्तर– यहाँ अनुप्रास और यमक दोनों अलंकार है। वर्णों की आवृत्ति से अनुप्रास है तथा काली-काली में पहली का अर्थ रंग और दूसरी का अर्थ कुव्यवस्था है। हैं।

11. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए

(क) किस दावानल की ज्वालाए हैं दीखीं?
(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी! 

विद्यार्थी स्वयं करें।

कैदी और कोकिल रचना और अभिव्यक्ति

12 कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है?

उत्तर- कवि ने निश्चित रूप से जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना सुना होगा, पर वे दिन के उजाले में चहकते होंगे। वे आधी रात के अंधकार में नहीं चहके होंगे। कोकिला रात को तब चहकती थी, जब कवि अपनी पीड़ा की गहराई को अनुभव कर रहा था। उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि उसकी तरह कोयल भी स्वयं को देश रूपी कारागार में अनुभव कर रही है। कोयल बाहर रो रही थी और कवि कारागार के भीतर। इसलिए एक-सी स्थिति को अनुभव करने के कारण कवि ने कोकिला की ही बात की थी।

13 आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा?

उत्तर– ब्रिटिश शासन के अंतर्गत स्वतंत्रता सेनानियों को अपराधी माना जाता था और उनके साथ वैसा ही व्यवहार किया जाता था, जैसा चोर डाकुओं व बटमारों से किया जाता था चोर, डाकू और बटमारों के द्वारा गिने-चुने लोगों की ही धन-संपत्ति छीनी जाती है पर स्वतंत्रता सेनानी तो अंग्रेज सरकार को ही निर्मूल कर देना चाहते थे।

कैदी और कोकिल परीक्षोपयोगी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न– कवि कोयल से क्या जानना चाहता है?
प्रश्न– कवि ने दावानल की ज्वाला ने किसे कहा है?
प्रश्न– कारागार में कवि की कैसी दशा थी?
प्रश्न– रात के समय कोकिला किस कारण आई थी?
प्रश्न– कवि को कारागार में दंड रूप में कौन-कौन से शारीरिक परिश्रम के काम करने पड़ते थे

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