जॉर्ज पंचम की नाक पाठ कृतिका क्लास 10 सीबीएसई बोर्ड से लिया गया है। इसमें हमलोग जॉर्ज पंचम की नाक का प्रश्न उत्तर सारांश व अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को हल करेंगे। इस पाठ के लेखक धर्मवीर भारती हैं।
जॉर्ज पंचम की नाक का सारांश
इन दिनों इंग्लैंड की हर खबर भारत में तुरंत आ रही थी। दिल्ली में विचार हो रहा था कि जो इतना महंगा सूट पहन कर आएगी, उनका स्वागत कितना भव्य करना पड़ेगा। किसी के बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने राजधानी सुन्दर, स्वच्छ तथा इमारते सुंदरियों सी सज गई लेखक आगे बताता है कि दिल्ली में किसी चीज की कमी नहीं थी एक चीज को छोड़कर और वह थी लाट से गायब जॉर्ज पंचम की नाक।
लेखक कहता है कि इस नाक के लिए कई दिन आन्दोलन चले थे। कुछ कहते थे कि नाक रहने दी जाए, कुछ हटाने के पक्ष में थे। नाक रखने वाले रात दिन पहरे दे रहे थे। हटाने वाले ताक में थे। लेखक कहता है कि भारत में जगह-जगह ऐसी नाकें थीं और उन्हें हटा-हटा कर अजायबघर पहुंचा दिया गया था। कहीं-कहीं इन शाही नाकों के लिए छापामार युद्ध की स्थिति बन गई थी।लेखक कहता है कि लाख चौकसी के बावजूद इंडिया गेट के सामने वाले खम्भे से जॉर्ज पंचम की नाक चली गई और रानी पति के राज्य में आए और राजा की नाक न पाए तो इससे बड़ी व्यथा क्या हो सकती है। सभाएँ बुलाई गई, मंत्रणा हुई कि जार्ज की नाक इज्जत का सवाल है। इस अति आवश्यक कार्य के लिए मूर्तिकार को सर्वसम्मति से यह कार्य सौंप दिया गया। मूर्तिकार ने कहा कि नाक तो बन जाएगी पर ऐसा पत्थर लाना होगा।
सभी नेताओं ने पत्थर लाने की बात पर एक दूसरे को ऐसे ताका जैसे यह कार्य अपने से दूसरे पर थोप रहे हों। फिर इस सवाल का हल क्लर्क को सौंप कर हो गया। क्लर्क ने पुरातत्व विभाग की फाइलें चैक की। कुछ हासिल न होने पर काँपते हुए समिति से माफी मांग ली। सबके चेहरे उतर गए। अब एक और कमेटी तैयार करके यह काम उसे हर हालत में करने का आदेश दिया गया। दूसरी समिति ने फिर मूर्तिकार को बुलाया और मूर्तिकार ने कहा कि भारत में क्या चीज है जो नहीं मिलती। वह हर हाल में यह काम करेगा चाहे पूरा भारत खोजना पड़े। उसकी मेहनत का भाषण तुरंत अखबार में छप गया।
मूर्तिकार ऐसे पत्थर की खोज करने गया जिससे लाट पर मूर्ति बनी थी परन्तु उसने निराशाजनक जवाब देते हुए कहा कि नाक विदेशी पत्थर की बनी है। सभापति ने क्रोधित होकर कहा कि कितने बेइज्जती की बात हैं कि भारतीय संस्कृति ने पाश्चात्य संस्कृति पूरी तरह अपना ली। फिर भी पत्थर नहीं मिला। उदास मूर्तिकार अचानक चहककर बोला कि उपाय एक है लेकिन अखबार वालों तक न पहुँचे। सभापति खुश हुआ। चपरासी ने गुप्त वार्ता के लिए सारे दरवाजे बंद कर दिए। मूर्तिकार झिझकते हुए बोला कि अगर इजाजत हो तो अपने नेताओं की किसी मूर्ति की नाक उतार कर इस पर लगा दी जाएगी। कुछ झिझक के बाद सभापति ने खुशी से स्वीकृति देते हुए इस कार्य को बड़ी होशियारी से अंजाम देने को कहा।
लेखक कहता है कि नाक के लिए मूर्तिकार फिर यात्रा पर चल दिया। वह दिल्ली से बम्बई गया, गुजरात और बंगाल गया. यूपी., मद्रास, मैसूर, केरल आदि पूरे भारत के चप्पे-चप्पे में गया परन्तु सब प्रतिष्ठित देशभक्त नेताओं की नाक जार्ज की नाक से लम्बी थी। यह जवाब पाकर सब फिर क्रोधित हुए। मूर्तिकार ने ढांढस बँधाते हुए कहा कि सन् बयालिस में शहीद हुए बच्चों की नाक शायद ऐसी मिल जाए। परन्तु दुर्भाग्य बच्चों की नाक भी जॉर्ज की नाक से बड़ी थी। मूर्तिकार ने फिर निराश होते हुये जवाब दे दिया।
दिल्ली की तमाम तैयारियां पूरी हो गई परन्तु नेता नाक के लिए परेशान थे। मूर्तिकार पैसों का लालच नहीं छोड़ पा रहा था। उसने एक और उपाय सुझाया कि चालिस करोड़ जनता में से किसी का तो नाक नाप का मिलेगा और इसके लिए आप परेशान न हो क्योंकि नाक की जिम्मेदारी उसकी है। कानाफूसी के बाद उसे इजाजत दे दी गई।
जॉर्ज पंचम की नाक का प्रश्न उत्तर
1.सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिता या बदहवासी विखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है।
(छ) एक विभाग अपनी जिम्मेदारी दूसरे पर, दूसरा तीसरे पर डालता रहता है और कार्य इसी तरह फंसता चला जाता है।
2- रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएंगे?
उत्तर– रानी एलिजाबेथ साम्राज्ञी थी, कोई छोटी हस्ती नहीं थी। दरजी पर रानी की वेशभूषा की जिम्मेदारी थी। उसे ही तय करना था कि रानी हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर कब कौन-सी ड्रेस पहनेंगी। अत: उसका परेशान होना बिल्कुल तर्कसंगत है।
3. ‘और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा’-नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयास किए गए होंगे?
(5) सरकारी लॉनों तथा पलकों की हरी-भरी घास को काँट-छौँटकर लान को चमकाया गया होगा।
4. आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है
उत्तर–
(क) हम नहीं समझते की इस प्रकार कि पत्रकारिता समय व धन की बर्बादी के सिवाय कुछ दे सकती है। इस किस्म की पत्रकारिता घटिया होती है क्योंकि आम लोगों को चर्चित हस्तियों के पहनावे. उनके अंगरक्षकों, उनके पालतू जानवरों तथा कामगारों की जीवनियों को जानने या पढ़ने की उत्सुकता बिल्कुल नहीं होती है।
(ख)युवा उनके पहनावे की नकल करने की कोशिश में जीवन को गलत दिशा में मोड़ देते हैं। यह फैशनपरस्ती युवा पीढ़ी पर बुरा असर डालती है क्योंकि अगर उनके पास पैसा न हो तो देखा-देखी के चक्कर में गलत धंधों में पड़ जाते हैं और पथभ्रष्ट हो जाते हैं।
5. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्ल किए?
(ङ) जिंदा नाक लगाने का पूरा प्रयत्न किया।
6. प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए ‘फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं।’ ‘सब हुक्मरानो ने एक दूसरे की तरफ ताका।’ पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।
(7) सभापति ने धीमे से कहा, “लेकिन बड़ी होशियारी से।”
7. नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।
उत्तर– यह पाठ व्यंग्य रचना है। नाक व्यक्ति की प्रतिष्ठा का प्रतीक होता है। जॉर्ज पंचम की नाक कट जाने का अर्थ उसकी प्रतिष्ठा का धूल में मिल जाना है। यह दोनों देशों के लिए परेशानी का सबब बन गया। ब्रिटिश साम्राज्य की प्रतिष्ठा और भारत पर खतरे का प्रतीक बन गया। पाठ में यह सत्य भी उद्घाटित हुआ है कि भारत के नेताओं, शहीदों, बच्चों सभी की प्रतिष्ठा हमारे लिए विदेशियों से अधिक है। उन्होंने हमारे देश पर शासन किया परन्तु आत्मा पर भारत माता का शासन था. है और हमेशा रहेगा ।
8. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।
उत्तर– यह बात संकेत देती है कि हमारे देश के लिए शहीद हुए भारतीय नेताओं और बच्चों की प्रतिष्ठा और मान सम्मान विदेशी शासकों की तुलना में बहुत अधिक है। निर्दयी विदेशी शासकों को हम सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते। इसे सोचने पर भी गुलामी की बू आती है।
9. अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?
उत्तर– इस खबर को इस प्रकार प्रस्तुत किया गया- “जॉर्ज पंचम के जिन्दा नाक लगाई गई है.. यानी ऐसी नाक जो कतई पत्थर की नहीं लगती। इसके अलावा कोई खबर नहीं छपी जैसे स्वागत की, समारोह की तथा उद्घाटन की। यह नाक का विरोध करने का एक ढंग था।
10. “नयी दिल्ली में सब था….सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर– इस कथन का आशय है कि भले ही दिल्ली में ब्रिटिश साम्राज्य का आधिपत्य था परन्तु सम्मान नहीं था। भारतीयों ने उनकी प्रतिष्ठा को धूल में मिला दिया था।
11. जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?
जॉर्ज पंचम की नाक अतिरिक्त प्रश्न उत्तर
प्रश्न– जॉर्ज पंचम की नाक का क्या उद्देश्य है?
उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का उद्देश्य यह है कि अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भी सत्ता से जुड़े विभिन्न प्रकार के लोगों की औपनिवेशिक दौर की मानसिकता और विदेशी आकर्षण पर गहरी चोट करना है।
प्रश्न– जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का क्या संदेश है?
उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का संदेश यह है कि हमें अंग्रेजी सत्ता से जुड़े किसी भी व्यक्ति में आस्था न रखते हुए अपने देश के स्वतंत्रता सेनानी या महापुरुषों में आस्था रखनी चाहिए।
प्रश्न– जॉर्ज पंचम की नाक की साहित्यिक विधा क्या है?
उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक की साहित्यिक विधा व्यंग्यात्मक कहानी है।
प्रश्न– जॉर्ज पंचम की नाक के लेखक कौन हैं?
उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक के लेखक कमलेश्वर हैं।
प्रश्न– जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में रानी एलिजाबेथ द्वितीय किन देशों की यात्रा के लिए निकली थी?
उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में रानी एलिजाबेथ द्वितीय हिंदुस्तान’, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर निकली थी,
प्रश्न– जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में रानी एलिजाबेथ का दर्जी परेशान क्यों था?
उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में रानी एलिजाबेथ का दर्जी परेशान था कि हिंदुस्तान, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर रानी कब और क्या पहनेगी।
प्रश्न– जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए क्या-क्या इंतजाम किए गए थे?
उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए हथियारबंद पहरेदार तैनात किए गए थे। जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए पुलिस गश्त भी लगाई जा रही थी जिससे नाक बची रहे।
प्रश्न– एलिजाबेथ के भारत आगमन से पहले ही सरकारी तंत्र के हाथ-पैर क्यों भूल रहे थे?
उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक को कैसे ठीक किया जाए कि रानी को जार्ज पंचम की नाक सही सलामत हालत में मिले इसी चिंता में सरकारी तंत्र के हाथ पैर फूले जा रहे थे।
प्रश्न– रानी एलिजाबेथ के भारत आगमन के समय अखबारों में उनके सूट के बारे में क्या-क्या खबरें छप रही थी?
उत्तर– अखबारों ने प्रकाशित किया कि रानी ने एक ऐसा हल्के नीले रंग का सूट बनवाया है जिसका रेशमी कपड़ा हिंदुस्तान से मँगवाया गया है। जिस पर करीब चार सौ पौंड का खर्च आया है । उस समय अखबारों में सूट के संबंध में यही सब खबरें छप रही थी।
प्रश्न– मूर्तिकार ने भारतीय हुक्मरानों को किस हालत में देखा?
उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर हुक्मरानों के चेहरे पर अजीब परेशानी देखी वह उदास और कुछ बदहवास हालत में थे।
प्रश्न– जॉर्ज पंचम की नाक पाठ में मूर्तिकार ने भारतीय हुक्मरानों की परेशानी दूर करने के लिए क्या कहा?
उत्तर– मूर्तिकार ने कहा कि नाक लग जाएगी पर मुझे यह मालूम होना चाहिए कि यह लाट कब और कहां बनी थी तथा इसके लिए पत्थर कहां से लाया गया था।
प्रश्न– एलिजाबेथ के भारत आगमन पर इंग्लैंड और भारत दोनों स्थानों पर कैसी तैयारी चल रही थी?
उत्तर– एलिजाबेथ के दौरे की करने वालों में विभिन्न समाचार पत्र, दिल्ली ,एलिजाबेथ का दर्जी, विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी, मंत्री गण विशेष रूप से सम्मिलित थे । इसके अलावा अन्य तैयारियों के लिए अफसरों और मंत्रियों की परेशानी तो देखते ही बनती थी क्योंकि जॉर्ज पंचम की नाक की टूटी नाक जोड़ने का प्रबंध उन्हें जो करना था।
प्रश्न– कमलेश्वर का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर– कमलेश्वर का जन्म सन 1932 में मैनपुरी उत्तर प्रदेश में हुआ था?
प्रश्न– कमलेश्वर ने किन-किन पत्रिकाओं का संपादन किया?
उत्तर– कमलेश्वर ने सारिका, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर इत्यादि पत्रिकाओं का संपादन किया।
प्रश्न– नई कहानी आंदोलन के प्रवर्तक रहे कमलेश्वर की प्रमुख रचनाएं कौन-कौन है?
उत्तर– कमलेश्वर की प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं- राजा निरबंसिया, खोई हुई दिशाएं, सोलह छतों वाला घर, जिंदा मुर्दे (कहानी संग्रह) वही बात, आगामी अतीत, डाक बंगला, काली आंधी और कितने पाकिस्तान (उपन्यास)
⇒ क्षितिज कृतिका संपूर्ण समाधान
⇒ क्षितिज कृतिका MCQ
⇒ हिन्दी व्याकरण MCQ
जॉर्ज पंचम की नाक का शब्दार्थ
नाज़नीनो – कोमलांगी
खैरख्वाहो –है भलाई चाहने वाला
दारोमदार – किसी कार्य के होने या ना होने की पूरी जिम्मेदारी या कार्यभार
सरगरमी – गहमागहमी या हलचल
जान हथेली पर लेना – प्राणों की परवाह न करना
करिश्मा –आश्चर्य है या जादू
मसला – मामला या समस्या
लाट – खंभा या मूर्ति
कतरन – टुकड़ा
मय – सहित
पन्ने रंगना –बहुत कुछ लिखना
मशवरा – सलाह
खता –गलती
हुक्काम – अधिकारीगण
चप्पा-चप्पा – प्रत्येक जगह
इजाजत –अनुमति
जान में जान आना – राहत महसूस करना
लानत – धिक्कार
बूत – मूर्ति
फीता काटना – उद्घाटन करना
रवाब – गंदगी युक्त मिट्टी या गाद
कतई – बिल्कुल
ढांढस बधाना – दिलासा दिलाना
कानाफूसी होना – धीरे-धीरे बातें होना
हैरतअंगेज खयाल – चकित कर देने वाला विचार
आंखों में चमक आना – आशा भरा नया विचार आना
खानसामा – राज दरबार के रसोईघर का व्यवस्थापक
मजाल – हिम्मत
अजायबघर – पुरानी एवं दुर्लभ वस्तुओं का संग्रह
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