जहां पहिया है का सारांश / jahan pahiya hai summary class 8
जहाँ पहिया है नामक पाठ के लेखक पी० साईनाथ हैं। जहाँ पहिया है की साहित्यिक विधा रिपोर्ताज है।यह पाठ स्त्री विमर्श से संबंधित है। यह पाठ एक प्रेरणा स्त्रोत है। जिसमें लेखक ने पुडुकोट्टई (तमिलनाडु) की महिलाओं के जीवन संघर्ष का वर्णन किया है। इस पाठ में लेखक ने पुड्कोट्टई में हो रहे सामाजिक परिवर्तन और महिलाओं की आज़ादी का ज्वलन्त उदाहरण लोगों के सम्मुख प्रस्तुत किया है।
तमिलनाडु राज्य में स्थित पुडुकोट्टई एक छोटा-सा जिला है। यह भारत के गरीब जिलों में गिना जाता है। साइकिल चलाना यहाँ एक सामाजिक आंदोलन है। इस गाँव में लोग साइकिल बहुत ही गर्व के साथ चलाते हैं। कुछ अजीब-सी बात है, लेकिन चौंकने वाली बात नहीं है। पुडुकोट्टई की महिलाओं ने इसे कर दिखाया है। पिछले दिनों यहाँ की ग्रामीण महिलाओं ने अपनी आजादी, गतिशीलता एवं स्वाधीनता को अभिव्यक्त करने के लिए प्रतीक के रूप में साइकिल को चुना। इनमें से अधिकांश एसी युवतियां थी जो नवसाक्षर थीं। इन महिलाओं में से सत्तर हजार महिलाओं ने प्रदर्शन एवं प्रतियोगिता’ जैसे सार्वजनिक कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर अपने नए कौशल का प्रदर्शन किया। उन्होंने साइकिल चलाने की इच्छा भी व्यक्त की। इसलिए वहाँ कई प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं। वहाँ युवा मुस्लिम लड़कियाँ सड़कों पर अपनी साइकिल से जाती हुई प्रायः देखी जा सकती हैं। इस गाँव की सभी औरतें किसी भेदभाव के बिना संयुक्त रुप से साइकिल चलाती थी।
जहां पहिया है पाठ में जमीला बीवी नामक एक युवती, जिसने साइकिल चलाना शुरू किया था, उससे लेखक की बात हुई तो उसने कहा-“यह मेरा अधिकार है, अब हम कहीं भी जा सकती हैं। अब हमें बस का इंतजार नहीं करना पड़ता। मुझे पता है कि जब मैंने साइकिल चलाना शुरू किया तो लोग फ़ब्तियों कसते थे, लेकिन मैंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया।” फातिमा एक विद्यालय में अध्यापिका है। वह शाम को आधे घंटे के लिए किराए पर साइकिल लेकर चलाती है। इस विषय में फातिमा ने बताया-“साइकिल चलाने में एक खास तरह की आज़ादी हैं। हमें किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। मैं कभी इसे नहीं छोड़ेगी।” इस प्रकार की बातों से स्पष्ट होता है कि पुडुकोट्टई की स्त्रियों में साइकिल के प्रति कितना गहरा प्रेम है और समाज के प्रति कितना रोष।
पुडुकोट्टई जिले में साइकिल की पूरी तरह से धूम मची हुई है अर्थात् जिले में चारो तरफ साइकिल की ही चर्चा हो रही है। अब हर क्षेत्र एवं व्यवसाय से जुड़ी महिलाएँ इसका खूब प्रयोग कर रही हैं; फिर चाहे वे खदानों, स्कूलों, होटलों, आँगनबाड़ी आदि क्षेत्रों में ही क्यों न काम कर रही हों। दोपहर का खाना पहुँचाने वाली औरतें इसका भरपूर प्रयोग कर रही हैं। इसी संदर्भ में साइकिल आंदोलन की एक नेता का कहना है-“मुख्य बात यह है कि इस आंदोलन ने महिलाओं को बहुत आत्मविश्वास प्रदान किया। महत्त्वपूर्ण यह है कि इसने पुरुषों पर उनकी निर्भरता कम कर दी है।” अब साइकिल एक संपूर्ण सवारी बन चुकी है। सड़क पर माँ, उसका बच्चा और पीछे ढेर-सा सामान लादे हुए साइकिल चलाती महिला का दृश्य देखा जा सकता है।
class 8 hindi vasant bhag 3 chapter 13 summary
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