हिंदी अपठित काव्यांश फॉर आल क्लास, अपठित का अर्थ होता है जो पढ़ा न गया हो | काव्यांश का अर्थ होता है काव्य का अंश या हिस्सा | अपठित काव्यांश को अपठित पद्यांश भी कहते है क्योकि पद्यांश का अर्थ पद्य का अंश या हिस्सा होता है | काव्यांश और पद्यांश दोनों बातें एक ही है | इसमे कोई भी अंतर नहीं है | अपठित काव्यांश से बच्चों में तत्काल सूझ-बूझ की क्षमता विक्सित होती है | अपठित काव्यांश के माध्यम से बच्चे की ज्ञानात्मक क्षमता का मूल्यांकन करना आसान हो जाता है |
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -1
सुख-दुख मुस्काना नीरज से रहना,
वीरों की माता हूँ वीरों की बहना।
मैं वीर नारी हूँ साहस की बेटी,
मातृभूमि-रक्षा को
वीर सजा देती।
आकुल अंतर की पीर राष्ट्र हेतु सहना,
वीरों की माता हूँ वीरों की बहना।
मात-भूमि जन्म-भूमि
राष्ट्र-भूमि मेरी,
कोटि-कोटि वीर पूत
द्वार-द्वार दे री।
जीवन-भर मुस्काए भारत का अँगना,
वीरों की माता हूँ वीरों की बहना।
1- सुख दुख में मुस्कुराते हुए कैसे रहना चाहिए
(क) धीरज
(ख) धीर
(ग) शीर
(घ) वीर
Answer is )क
2- आकुल अंतर की पीड़ा किसके लिए सहनी चाहिए
(क) राष्ट्र
(ख) समाज
(ग) जाति
(घ) धर्म
Answer is )क
3- मातृभूमि जन्मभूमि………….. मेरी। उपयुक्त शब्द खाली स्थान में भरिए
(क) देवभूमि
(ख) गांव भूमि
(ग) शहर भूमि
(घ) राष्ट्रभूमि
Answer is )घ
4- भारत का अंगना कब तक मुस्कुराए
(क) जीवन भर
(ख) उम्र भर
(ग) मुट्ठी भर
(घ) पल भर
Answer is )क
5- माता के लिए पर्यायवाची छांटिए
(क) जननी
(ख) दादी
(ग) नानी
(घ) बुआ
Answer is )क
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -2
हर किरण, तेरी संदेश वाहिका
पवन, गीत तेरे गाता
तेरे चरणों को छूने को
लालायित हिमगिरि का माथा!
तुझसे ही सूर्य प्रकाशित है
आलोक सृष्टि में तेरा है,
संपूर्ण सृष्टि का रोम-रोम
चिर ऋणी, उपासक तेरा है!
अगणित आकाश गंगाएँ
नन्हीं बूंदें तेरे आगे
तू आदि-अंत से मुक्त
काल-अस्तित्व हीन तेरे आगे!
हे जगत् नियंता, जगत-पिता,
है व्याप तेरा कितना ईश्वर,
तेरे चरणों में नत मस्तक,
कितनी धरती, कितने अंबर!
1- ईश्वर के चरण चुमने के लिए कौन लालायित रहता है
(क) पहाड़
(ख) नदियां
(ग) दरिया
(घ) हिमगिरी
Answer is )घ
२- किसका रोम रोम तेरा चिर ऋणी है
(क) छोटी सृष्टि
(ख) बड़ी सृष्टि
(ग) कम सृष्टि
(घ) संपूर्ण सृष्टि
Answer is )घ
3- तू आदि……….से मुक्त। रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(क) अब
(ख) तक
(ग) अंत
(घ) जब
Answer is )ग
4- सत्य कथन पर सही का चिन्ह लगाइए
(क) ईश्वर के चरणों में धरती अंबर नतमस्तक हैं
(ख) ईश्वर के चरणों में अंबर और हवा नतमस्तक हैं
(ग) ईश्वर के चरणों में धरती और आग नतमस्तक हैं
(घ) ईश्वर के चरणों में आग और हवा नतमस्तक
Answer is )क
5- जगत पिता किसे कहा गया है
(क) ईश्वर
(ख) आज
(ग) संसार
(घ) समाज
Answer is )क
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -3
क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो।
तीन दिवस तक पंथ माँगते रघुपति सिंधु किनारे ।
बैठे पढ़ते रहे छंद अनुनय के प्यारे-प्यारे।।
उत्तर में जब एक नाद भी उठा नहीं सागर से।
उठी अधीर धधक पौरुष की आग राम के शर से।।
सिंधु देह धर ‘त्राहि-त्राहि’ करता आ गिरा शरण में।
चरण पूज दासता ग्रहण की, बँधा मूढ़ बंधन में ।।
सच पूछो, तो शर में ही बसती है दीप्ति विनय की।
संधि-वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की। ।
1- ‘क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो’ पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
(क) दुर्बल व्यक्ति का जीवन बेकार है?
(ख) विषैले सर्प किसी को क्षमा नहीं करते
(ग) क्षमा करने की बात उसी व्यक्ति को शोभा देती है, जिसके पास बल हो।
(घ) दुर्बल व्यक्ति किसी को क्षमा करने योग्य नहीं होता।
Answer is )ग
2- ‘पौरूष की आग राम के शर से’ पंक्ति में निहित अलंकार का नाम चुनिए
(क) रूपक
(ख) अनुप्रास
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) अनुप्रास
Answer is )क
3- जब राम की प्रार्थना का समुद्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो राम ने क्या किया सबसे उपयुक्त विकल्प चुनिए
(क) राम को बहुत क्रोध आ गया।
(ख) राम ने धनुष संभाल लिया।
(ग) राम ने सागर को सुखाने का निश्चय कर लिया।
(घ) राम ने सागर को सबक सुखाने के लिए अपने तरकश से एक अग्निबाण निकाल लिया।
Answer is )घ
4- ‘संधि वचन संपूर्ण उसी का जिसमें शक्ति विजय की’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए
(क) दुर्बल व्यक्ति कोई काम नहीं कर सकता।
(ख) दुर्बल व्यक्ति की बात कोई नहीं मानता।
(ग) दुर्बल व्यक्ति का सभी उपहास करते हैं।
(घ) दुर्बल व्यक्ति से संधि प्रस्ताव का कोई औचित्य नहीं है।
Answer is )घ
5- अनुप्रयुक्त पर्यायवाची शब्द छांटिए
(क) भुजंग
(ख) नाग
(ग) विष
(घ) उरग
Answer is )ग
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -4
लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल,
नम होगी यह मिट्टी जरूर, आँसू के कण बरसाता चल।
आशा के स्वर का भार, पवन को लेकिन, लेना ही होगा,
रंगों के सातों घट उड़ेल, यह अँधियाली रंग जाएगी,
उषा को सत्य बनाने को जावक नभ पर छितराता चल ।
प्रतिमा प्रतिमा से लड़ती है, धरती की किस्मत फूट रही
जब-जब मस्तिष्क जयी होता, संसार ज्ञान से चलता है,
शीतलता की है राह हृदय, तू यह संवाद सुनाता चल।
1- लोहे के पेड़ किसके प्रतीक हैं ?
(क) नकली पेड़
(ख) मशीनें
(ग) मशीनी संस्कृति
(घ) विज्ञान
Answer is )ग
2- नम होगी यह मिट्टी जरूर कहकर कवि किस ओर संकेत कर रहा है ?
(क) प्रेम के बल पर शुष्क हृदयों में भाव भरे जा सकते हैं
(ख) वर्षा न होने के कारण सूखी मिट्टी वर्षा आने पर नम जरूर हो जाएगी
(ग) सूखी आंखें फिर आंसुओं से नम हो जाएंगी
(घ) इतने आंसू बहाओ की मिट्टी गीली हो जाए
Answer is )क
3- दुख और निराशा के वातावरण में मनुष्य का क्या कर्तव्य होना चाहिए ?
(क) सपने देखें और साकार करें
(ख) आशा का संचार करें
(ग) मिट्टी नम करें
(घ) विज्ञान यान पर सवार हो
Answer is )ख
4- प्रेम की भावना से इस भौतिक बौद्धिक संसार पर विजय पाई जा सकती है यह भाव किस पंक्ति से व्यंजित हो रहा है ?
(क) जीवित सपनों के लिए मार्ग मुर्दों को देना ही होगा
(ख) आशा के स्वर का भार पवन को लेकिन लेना ही होगा
(ग) जब जब मस्तिष्क जयी होता संसार ज्ञान से चलता है
(घ) शीतलता की है राह ह्रदय, तू यह संवाद सुनाता चल
Answer is )घ
5- विज्ञान यान में कौन सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास अलंकार
(ख) उपमा अलंकार
(ग) रूपक अलंकार
(घ) अन्योक्ति अलंकार
Answer is )ग
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -5
बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी।।
चिंता-रहित खेलना, खाना, वह फिरना निर्भय स्वच्छंद,
रोना और मचल जाना भी क्या आनंद दिखाते थे।,
बड़े-बड़े मोती से आँसू जयमाला पहनाते थे।
मैं बचपन को बुला रही थी बोल उठी बिटिया मेरी,
नंदन वन-सी फूल उठी यह, छोटी-सी कुटिया मेरी।
माँ ओ! कहकर बुला रही थी मिट्टी खाकर आई थी
कुछ मुख में कुछ लिए हाथ में मुझे खिलाने लाई थी
मैंने पूछा-“यह क्या लाई ?” बोल उठी वह-“माँ काओ”
हुआ प्रफुल्लित हृदय खुशी से मैंने कहा “तुम्हीं खाओ।”
1- कवयित्री को बार-बार बचपन की याद क्यों आती है?
(क) बचपन के दिन मधुर होते हैं
(ख) बच्चे सबको प्यारे लगते हैं
(ग) बचपन के दिन स्वच्छंद और उल्लासपूर्ण होते हैं
(घ) बचपन के दिन चिंता रहित होते हैं
Answer is )ख
2- बचपन की कौन सी बात बोली नहीं जा सकती
(क) कोई काम न करना
(ख) चिंता रहित जीवन उल्लासपूर्ण खेलना कूदना
(ग) मचलना
(घ) माता-पिता से अपनी हठ पूरी करवाना
Answer is )क
3- नंदनवन का प्रयोग किसके लिए किया गया है
(क) अपनी बिटिया के लिए
(ख) अपने घर के लिए
(ग) स्वयं के लिए
(घ) अपने लिए और अपनी पुत्री के लिए
Answer is )क
4- ‘बड़े बड़े मोती से आंसू जयमाला पहनाते थे’ पंक्ति में निहित अलंकार का नाम बताइए
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) उत्प्रेक्षा
(घ) अनुप्रास
Answer is )ग
5- तत्सम शब्द छांटिए
(क) मिट्टी
(ख) हाथ
(ग) मुख
(घ) आंसू
Answer is )ग
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -6
आ रही रवि की सवारी
नव-किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों-से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक धारी।
आ रही रवि की सवारी।
विहग बंदी और चारण,
भा रहे हैं कीर्ति-गायन,
छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी।
आ रही रवि की सवारी।
चाहता, उछलूँ विजय कह
पर ठिठकता देखकर यह
रात का राजा खड़ा है, राह में बनकर भिखारी
आ रही रवि की सवारी।
1- ‘कलि कुसुम से पथ सजा है’ पंक्ति में निहित अलंकार का नाम बताइए
(क) उपमा
(ख) रूपक
(ग) मानवीकरण
(घ) उत्प्रेक्षा
Answer is )ख
2- सूर्योदय का दृश्य कैसा नहीं लगता है
(क) सूर्योदय के समय हलचल हो जाती है
(ख) आकाश में दिखने वाले नक्षत्र धीरे-धीरे अदृश्य हो जाते हैं।
(ग) पक्षियों का कलरव सुनायी देता है जो सूर्य की वंदना के समान लगता है।
(घ) ऐसा लगता है मानो सूर्य को आता देखकर तारों की फौज भाग खड़ी होती है।
Answer is )क
3- ‘पर ठिठकता देखकर यह’ पंक्ति से कविता का क्या आशय है?
(क) कवि सूर्य को आता देखकर ठिठक जाता है।
(ख) कवि सूर्य को आता देखकर प्रसन्न हो जाता है।
(ग) कवि को सूर्योदय का दृश्य बहुत अच्छा लगता है।
(घ) सूर्य के सामने चंद्रमा को निस्तेज देखकर वह ठिठक जाता है।
Answer is )घ
4- अनुपयुक्त कथन छांटिए
(क) सूर्य का रथ नई किरणों का है
(ख) बादल सूर्य के सेवक हैं
(ग) चंद्रमा रात का राजा है
(घ) पक्षीगण सूर्य की फौज हैं
Answer is )घ
5- अनुपयुक्त समानार्थी कौन है
(क) कुसुम
(ख) प्रसून
(ग) पादप
(घ) सुमन
Answer is )ग
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -7
खेत की धरती बने न बंजर, चले न जादू-टोना।।
दुकिया दादी. अन्नो बेटी,
झूम-झूम कर गाएँ,
पकी फसल को इसनेवाले,
सफल नहीं हो पाएँ।।
सत्यमेव जयते” बन-बनके, खाएँ भर-भर दौना।।
सुखुवा, दुखुवा, गंगू, मंगू,
खुद ही जोते-बोएं।
अपनी फसल आप ही कांटे,
और न ज्यादा रोएँ।।
जो खोया सो खोया भइया, वक्त नहीं अब खोना।।
प्रगति पथ पर निर्माणों के,
नव स्वर संचानों।
समता की सुरसरि के,
सुख को भागीरथ जानो।।
स्वर्ग उतर आए धरती पर, चमके कोना-कोना।
मिट्टी से सोना उपजाओ इस मिट्टी से सोना ।।
1- सफल कौन नहीं हो सकता
(क) पकी फसल को डसने वाले
(ख) पकी फसल को बोने वाले
(ग) पकी फसल रखने वाला
(घ) पकी फसल पकाने वाला
Answer is )क
2- हमें………. नहीं खोना चाहिए काव्यांश के आधार पर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए
(क) वक्त
(ख) धन
(ग) अन्न
(घ) खाना
Answer is )क
3- सुख को क्या जानना है
(क) भागीरथ
(ख) कावेरी
(ग) ताप्ती
(घ) नर्मदा
Answer is )क
4- कोना कोना कब चमकेगा?
(क) जब धरती पर स्वर्ग उतरेगा
(ख) जब धरती पर नर्क उतरेगा
(ग) जब धरती पर कलयुग उतरेगा
(घ) जब तक धरती पर भ्रष्टाचार होगा
Answer is )क
5- सत्य कथन पर सही का चिन्ह लगाइए
(क) कवि ने मिट्टी में चांदी उपजाने का संदेश दिया है।
(ख) कवि ने मिट्टी से सोना उपजाने का संदेश दिया है।
(ग) कवि ने मिट्टी से अनाज उपजाने का संदेश दिया है।
(घ) कवि ने मिट्टी से अन्न उपजाने का संदेश दिया है।
Answer is )ख
अपठित काव्यांश प्रश्न उत्तर सहित भाग -8
अंबर बने सुखों की चादर, धरती बने बिछौना ।
मिट्टी से सोना उपजाओ, इस मिट्टी से सोना ।।
यह मिट्टी जगती की जननी, इसको करो प्रणाम्।
कर्मयोग के साधन बनना, ही सेवा का काम।।
हाली उठा हाथ से हल को, बीज प्रेम के बोना।
चना, मटर, जौ, धान, बाजरा और गेहूँ की बाली।।
मिट्टी से सोना बन जाती, भर-भर देती थाली।
दूध-दही पी-पी मुस्काए, मेरा श्याम सलौना।।
हीरा, मोती, लाल, बहादुर, कह-कह तुम्हें पुकारें।
खुशहाली हर घर में लाए, बिगड़ी दशा सुधारें।।
1- अंबर किसकी चादर बने
(क) दुखों
(ख) दास्तानों
(ग) भावनाओं
(घ) सुखों
Answer is )घ
2- यह मिट्टी किसकी जननी है?
(क) जगती
(ख) माता
(ग) पिता
(घ) पुत्र
Answer is )क
3- ‘……………के साधक बनना।’ पंक्ति में रिक्त स्थान की पूर्ति करिए
(क) हठयोग
(ख) भक्तियोग
(ग) ज्ञानयोग
(घ) कर्मयोग
Answer is )घ
4- श्याम सलौना क्या-क्या पीकर मुस्कुराता है?
(क) लस्सी
(ख) शरबत
(ग) दही
(घ) दूध-दही
Answer is )घ
5- खुशहाली हर घर में लाए, बिगड़ी दशा…….।
(क) सुधारे
(ख) संवारे
(ग) गाड़े
(घ) फोड़े
Answer is )क
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