सदाचार: का अनुवाद अर्थ / sadachar class 9 hindi anuvad up board 

सदाचार पाठ के अनुवाद के साथ साथ इसके अर्थ को पढ़ेंगे। बिलकुल आसान से आसान तरीके से समझेंगे। sadachar ka anuvad class 9 up board के अंतर्गत आता है। 

संदर्भ – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी में सम्मिलित संस्कृत के अंतर्गत सदाचार: नामक पाठ से लिया गया है। 

सतां सज्जनानाम् आचारः सदाचारः। ये जनाः सद् एव विचारयन्ति, सद् एव आचरन्ति च, ते एव सज्जनाः भवन्ति। सज्जनाः यथा आचरन्ति तथैवाचरणं सदाचारः भवति। सदाचारेणैव सज्जनाः स्वकीयानि इन्द्रियाणि वशे कृत्वा सर्वैः सह शिष्टं व्यवहारं कुर्वन्ति।

सदाचार अनुवाद – सत्य अर्थात् सज्जनों का आचरण ही सदाचार है। जो लोग सत्य ही विचार करते हैं, सत्य ही आचरण करते हैं वे ही सज्जन होते हैं। सज्जन जैसा आचरण करते हैं वही आचरण सदाचार होता है। सदाचार के द्वारा सज्जन इंद्रियों को वश में करके सभी के साथ शिष्टता का व्यवहार करते हैं।

विनयः हि मनुष्याणां भूषणम्। विनयशीलः जनः सर्वेषां जनानां प्रियः भवति। विनयः सदाचारात् उद्भवति। सदाचारात् न केवलं विनयः अपितु विविधाः अन्येऽपि सद्‌गुणाः विकसन्ति; यथा-धैर्यम्, दाक्षिण्यम्, संयमः, आत्मविश्वासः, निर्भीकता। अस्माकं भारतभूमेः प्रतिष्ठा जगति सदाचारादेव आसीत्। पृथिव्यां सर्वमानवाः स्वं स्वं चरित्रं भारतस्य सदाचार-परायणात् जनात् शिक्षेरन्। भारतभूमिः अनेकेषां सदाचारिणां पुरुषाणां जननी। एतेषां महापुरुषाणाम् आचारः अनुकरणीयः।

सदाचार अनुवाद – विनम्रता ही मनुष्यों का आभूषण है। विनयशील लोग सभी लोगों को प्रिय होते हैं। विनय सदाचार से उत्पन्न होती है। सदाचार से न केवल विनम्रता आती है बल्कि विविध प्रकार के अन्य सद्गुण भी विकसित होते हैं जैसे धैर्य, उदारता, संयम, आत्मविश्वास, निर्भीकता। हमारे भारत भूमि की प्रतिष्ठा सदाचार से ही स्थापित थी।  पृथ्वी पर सभी मनुष्यों को अपने-अपने चरित्र के बारे में भारत के सदाचार परायण लोगों से सीखना चाहिए। भारत भूमि अनेक सदाचारी पुरुषों की माता है। इन महापुरुषों का आचरण अनुकरणीय है।

सदाचारः नाम नियमसंयमयोः पालनम्। इन्द्रियसंयमः सदाचारस्य मूले तिष्ठति। इन्द्रियसंयमः युक्ताहारविहारेण युक्तस्वप्प्रावबोधेन च सम्भवति। किं युक्तं किम् अयुक्तम् इति सदाचारेण निर्णेतुं शक्यते।

अनुवाद – सदाचार नियम संयम के पालन का नाम है। इंद्रिय संयम सदाचार के मूल में स्थित है। इंद्रिय संयम, उचित आहार-विहार और उचित सोना जागना आचरण से ही संभव है। क्या उचित है क्या अनुचित है इसका निर्णय करने में सदाचार ही समर्थ है। 

ये केऽपि पुरुषाः महान्तः अभवन् ते संयमेन सदाचारेणैव उन्नतिं गताः। यः जनः नियमेन अधीते, यथासमयं शेते, जागर्ति, खादति, पिबति च सः निश्चयेन अभ्युदयं गच्छति। सदाचारस्य महिमा शास्त्रेषु अपि वर्णितः-

अनुवाद – जो कोई पुरुष महान हुआ है वह संयम और सदाचार से ही उन्नति को प्राप्त हुआ है। जो लोग नियम से अध्ययन करते हैं, उचित समय सोते हैं, जागते हैं, खाते हैं और पीते हैं वह निश्चय ही उन्नति को प्राप्त होते हैं। सदाचार की महिमा शास्त्रों में भी कही गई है।

सर्वलक्षणहीनोऽपि यः सदाचारवान् नरः।
श्रद्धालुरनसूयश्च शतं वर्षाणि जीवति ।।
आचाराल्लभते ह्यायुराचाराल्लभते श्रियम्। 
आचाराल्लभते कीर्तिम् आचारः परमं धनम्।।

सदाचार अनुवाद – सभी शुभ लक्षणों से हीन होने पर भी जो मनुष्य सदाचारी होता है, श्रद्धावान और द्वेषरहित होता है। वह सौ वर्षों तक जीता है। सदाचार से आयु, लक्ष्मी।और यश की वृद्धि होती है। सदाचार सभी धनों में प्रमुख धन है।

अतएव सदाचारः सर्वथा रक्षणीयः। महाभारते अपि सत्यम् एव उक्तं यत् अस्माभिः सदा चरित्रस्य रक्षा कार्या, धनं तु आयाति याति च, चरित्रं यदि नष्टं स्यात् तर्हि सर्व विनष्टं भवति ।

अनुवाद – इसलिए सदाचार की रक्षा प्रमुख रूप से होनी चाहिए। महाभारत में सत्य ही कहा गया है कि हमें चरित्र की सदैव रक्षा करनी चाहिए। धन तो आता है और चला जाता है, यदि चरित्र नष्ट हुआ तो सब कुछ नष्ट हो जाता है। 

वृत्तं यत्नेन संरक्षेत्, वित्तमायाति याति च।
अक्षीणो वित्ततः क्षीणो, वृत्ततस्तु हतोहतः ।।

अनुवाद – चरित्र की यत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए। धन तो आता है और चला जाता है। धन से क्षीण हुआ मनुष्य क्षीण नहीं होता लेकिन चरित्र से क्षीण हुआ मनुष्य मृत के समान हो जाता है।

Leave a Comment

error: Content is protected !!