पुष्प की अभिलाषा कविता की व्याख्या / pushp ki Abhilasha kavita ki vyakhya

Pushp ki Abhilasha vyakhya

पुष्प की अभिलाषा कविता प्रसिद्ध कवि माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित है। यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य संग्रह युगचरण से लिया गया है। यह उनकी देशभक्ति-भावना से ओतप्रोत एक अत्यंत प्रसिद्ध कविता है। इसमें कवि ने एक फूल (पुष्प) के माध्यम से देशप्रेम, त्याग और बलिदान की भावना को व्यक्त किया है।

पुष्प की अभिलाषा कविता का भावार्थ / व्याख्या pushp ki Abhilasha kavita ki vyakhya 

चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ में देना तुम फेंक।
मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक।

व्याख्या – पुष्प वनमाली से अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहता है कि मेरी इच्छा यह नही है कि मैं देव कन्याओं के गहनों में गूंथा जाऊं। मेरी यह नहीं है कि मैं प्रेमी की माला में बंधकर एक दूसरे को आकर्षित करूं। मेरी इच्छा यह नहीं है कि सम्राटों के मृत शरीर पर डाला जाऊं। मैं यह नहीं चाहता कि देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर इठलाऊं। पुष्प कहता है कि हे वनमाली तुम मुझे तोड़कर उस मार्ग में फेंक देना जिस मार्ग से मातृभूमि को शिश चढ़ाने के लिए वीर जाते हों।

कविता का मूल भाव 

देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा देना।कवि बताता है कि जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है देश की सेवा और उसके लिए मर मिटना है।

कविता की भाषा और शैली

कविता की भाषा सरल, भावपूर्ण और प्रेरणादायक है।शैली में देशभक्ति और प्रतीकात्मकता का अद्भुत समन्वय है। ‘फूल’ के माध्यम से कवि ने देशभक्ति का गूढ़ संदेश बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है।

पुष्प की अभिलाषा कविता से क्या शिक्षा मिलती है?

हमें जीवन में केवल अपने सुख की नहीं, बल्कि राष्ट्र के हित की भावना रखनी चाहिए। देशप्रेम, त्याग और बलिदान से ही जीवन सार्थक बनता है।

कविता का निष्कर्ष 

“पुष्प की अभिलाषा” कविता भारतीय युवाओं को देशभक्ति, त्याग और बलिदान की भावना से प्रेरित करती है। कवि का यह संदेश आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है —

“सुख में नहीं, बलिदान में ही जीवन की सच्ची सार्थकता है।”

कविता का संक्षेप में भावार्थ :

कवि ने “पुष्प की अभिलाषा” कविता में यह संदेश दिया है कि फूल की तरह मनुष्य को भी अपने जीवन का उपयोग देश की सेवा में करना चाहिए, न कि विलासिता में। सच्चा सौंदर्य वही है, जो राष्ट्रभक्ति और बलिदान से भरा हो।

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