चंद्रलोक में प्रथम बार कविता की व्याख्या chandralok mein pratham bar vyakhya class 10

चंद्रलोक में प्रथम बार chandralok mein pratham bar कविता सुमित्रानंदन पंत के काव्य संग्रह ऋता से लिया गया है। इस भाग में इस पाठ की व्याख्या vuakhya या भावार्थ bhawarth को सरल से सरल तरीके से समझेंगे। यह पाठ up board class 10 se लिया गया है।

चंद्रलोक में प्रथम बार कविता की व्याख्या chandralok mein pratham bar vyakhya class 10

चन्द्रलोक में प्रथम बार,
मानव ने किया पदार्पण,
छिन्न हुए लो, देश काल के,
दुर्जय बाधा बंधन !
दिग्विजयी मनु-सुत, निश्चय
यह महत् ऐतिहासिक क्षण,
भू-विरोध हो शांत,
निकट आएँ सब देशों के जन।

चंद्रलोक में प्रथम बार कविता की व्याख्या – चंद्रमा पर जब मनुष्य ने अपना पहला कदम रखा होगा तब देशकाल की सभी अजेय बाधाएं जो मनुष्य को बांध कर रखी थी वह सब समाप्त हो गई होगी। इस प्रकार से मनु की संतान ने सभी दिशाओं में विजय प्राप्त कर ली होगी। निश्चित रूप से यह एक महान और ऐतिहासिक पल रहा होगा, जब सभी लोगों के आपसी मतभेद दूर हो गए होंगे। चारो तरफ शांति का वातावरण बन गया होगा। सभी देश प्रेम की भावना से परिपूर्ण होकर एक दूसरे के निकट आ गए होंगे।


युग-युग का पौराणिक स्वप्न
हुआ मानव का संभव,
समारंभ शुभ नये चन्द्रयुग का
भू को दे गौरव !
फहराए ग्रह उपग्रह में
धरती का श्यामल अंचल,
सुख संपद् सम्पन्न जगत् में
बरसे जीवन-मंगल !

चंद्रलोक में प्रथम बार कविता की व्याख्या – युगयुगांतर से जो पौराणिक सत्य मनुष्य के लिए रहस्य बना हुआ था। आज वह संभव हो गया है। रहस्य सुलझ जाने के बाद एक नए चन्द्रयुग का आरंभ हो गया। इसका पूरा श्रेय पृथ्वी को है। पृथ्वी के श्यामवर्णी आंचल में ग्रह और उपग्रह लहराते हुए दिखाई दे रहे हैं।


अमरीका सोवियत बनें
नव दिक् रचना के वाहन
जीवन पद्धतियों के भेद
समन्वित हों, विस्तृत मन !

अणु-युग बने धरा जीवन हित
स्वर्ग सृजन का साधन,
मानवता ही विश्व सत्य
भू-राष्ट्र करें आत्मार्पण।
धरा चन्द्र की प्रीति परस्पर
जगत प्रसिद्ध, पुरातन,
हृदय-सिंधु में उठता
स्वर्गिक ज्वार देख चन्द्रानन

चंद्रलोक में प्रथम बार कविता की व्याख्या- अमेरिका और सोवियत रूस नई दिशाओं की खोज करने वाला बनेगा। जिससे एक जीवन से दूसरे जीवन के बीच जो भेद हैं वह समाप्त हो जायेंगे। सभी का विस्तृत मन एक हो जाएगा। आण्विक या वैज्ञानिक शक्ति विकसित होने से पृथ्वी पर लोक कल्याण की भावना बढ़ेगी। जिससे पृथ्वी का वातावरण स्वर्ग जैसा हो जाएगा। संसार में जो व्यक्ति मानवता को सत्य मानेगा वह वह अपने राष्ट्र पर अपने आपको समर्पित करने के लिए सदैव तैयार रहेगा। संसार में पृथ्वी और चंद्रमा का परस्पर प्रेम बहुत ही प्राचीन और प्रसिद्ध है। पृथ्वी के हृदय रूपी सागर में चंद्रमा के मुख को देखकर स्वर्गिक ज्वार उठता है।

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