उषा कविता का भावार्थ और प्रश्न उत्तर

उषा कविता का भावार्थ या व्याख्या और प्रश्न उत्तर  प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसेभोर का नभराख से लीपा हुआ चौका(अभी गीला पड़ा है )बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर सेकि जैसे धुल गई होस्लेट पर या लाल खड़िया चाकमल दी हो किसी ने उषा कविता का प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी … Read more

सहर्ष स्वीकारा है भावार्थ, व्याख्या और प्रश्न उत्तर कक्षा 12

सहर्ष स्वीकारा है कविता की व्याख्या और प्रश्न उत्तर कक्षा 12 जिंदगी में जो कुछ है, जो भी है सहर्ष स्वीकारा है; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है। सहर्ष स्वीकारा है कविता का प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह‘ में संकलित ‘सहर्ष स्वीकारा है‘ कविता से उद्धृत … Read more

कैमरे में बंद अपाहिज कविता की व्याख्या और प्रश्न उत्तर

कैमरे में बंद अपाहिज कविता की व्याख्या और प्रश्न उत्तर आरोह भाग दो  हम दूरदर्शन पर बोलेंगेहम समर्थ शक्तिवानहम एक दुर्बल को लाएँगेएक बंद कमरे में कैमरे में बंद अपाहिज प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक ‘आरोह’ में संकलित ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ शीर्षक कविता से उद्धृत है। इस कविता के कविश्री ‘रघुबीर-सहाय’ … Read more

कविता के बहाने, बात सीधी थी पर कविता की व्याख्या, प्रश्न उत्तर आरोह भाग दो

कविता के बहाने, बात सीधी थी पर कविता की व्याख्या, प्रश्न उत्तर आरोह भाग दो   कविता के बहाने कविता की व्याख्या  कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहानेकविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जानेबाहर भीतरइस घर उस घरकविता के पंख लगा उड़ने के मानेचिड़िया क्या जाने? कविता के बहाने प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी … Read more

पतंग कविता की व्याख्या, प्रश्न उत्तर, भावार्थ कक्षा 12

आलोक धन्वा की पतंग कविता की व्याख्या, प्रश्न उत्तर, भावार्थ कक्षा 12 सबसे तेज़ बौछारें गयीं भादो गयासवेरा हुआखरगोश की आँखों जैसा लाल सवेराशरद आया पुलों को पार करते हुएअपनी नयी चमकीली साइकिल तेज़ चलाते हुएघंटी बजाते हुए ज़ोर-ज़ोर सेचमकीले इशारों से बुलाते हुएपतंग उड़ाने वाले बच्चों के झुंड कोपतंग कविता का प्रसंग – प्रस्तुत … Read more

आत्मपरिचय और एक गीत कविता की व्याख्या, प्रश्न उत्तर आरोह कक्षा 12

आत्मपरिचय और एक गीत कविता की व्याख्या, प्रश्न उत्तर आरोह कक्षा 12 मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ, फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ; कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर मैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ! मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ, मैं कभी न जग का ध्यान … Read more

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