हिमालय की क्लास 7 हिन्दी के अंतर्गत हिमालय की बेटियाँ का सारांश, हिमालय की बेटियाँ का प्रश्न उत्तर का अध्ययन करेंगे| यह पाठ क्लास 7 हिन्दी वसंत भाग 2 के चैप्टर 3 से लिया गया है|
हिमालय की बेटियां पाठ का सारांश / himalay ki betiyan summary class 7
लेखक जब दूर से हिमालय को गोदी से निकलती नदियों की देखता था तो वे उसे अति सुदर प्रतीत होती थीं। उनका स्वरूप एकदम गंभीर, शात और अपने आप में मस्त दिखाई देता था। वे शिष्ट महिला की भौँति दिखती थी। लेखक के मन में उनके प्रति बहुत आदर और श्रद्धा का भाव था। जब वह उनमें डुबकियाँ लगाता है. तो ऐसा प्रतीत होता जैसे-माँ, दादी, मौसी या मामी की गोद में खेल रहा हो अर्थात् नदियों के साथ लेखक को आत्मीय भावना जुड़ गई थी।
कई वर्षों तक लेखक नदियों को काफी दूर से देखता रहा, लेकिन एक बार वह हिमालय की काफी चढाई चढ़ा, तो उसे नदियों का बदला हुआ आकर्षक रूप देखने का अवसर प्राप्त हुआ। उसे बहुत हैरानी थी। पर्वतों के मध्य तो गंगा, यमुना, सतलुज कितनी दुबली-पतली दिखती हैं लेकिन समतल धरातल (मैदान) पर पहुंचते ही विशाल रूप में बदल जाती हैं। इनका उछलना, कूदना, खिलखिलाना, भाव-भंगिमाएं बनाना और उल्लास सब समाप्त हो जाता है अर्थात् जल नदियाँ पहाड़ों से निकलती हैं तो जल की धाराओं के रूप में तेजी से बहकर व खूब शोर करके, अनेक स्वरूप बदलकर उत्साह से परिपूर्ण आगे बढ़ती हैं। वे बिल्कुल अल्हड़ बाला की भौँति प्रतीत होती हैं लेकिन मैदानों में आते ही विशाल और शांत रूप में बहने लगती हैं। लेखक को लगता है कि कोई सुंदर कन्या या कली भी इतना आकर्षित नहीं करती जितना ये हिमालय की बेटियाँ करती हैं।
लेखक को यह समझ नहीं आता कि निरंतर, शांत स्वरूप में आगे बढ़ती नदियों का लक्ष्य क्या है? ये किससे मिलने की चाह में आगे की ओर बढ़ती जा रही हैं? अपार प्रेम करने वाले पिता हिमालय को छोड़कर ये किसका प्रेम पाना चाहती हैं? जिस प्रकार बेटियाँ ससुराल जाने के समय मायके की हर चीज़ जिसे वे प्रेम करती हैं, खुशी-खुशी छोड़ जाती हैं, उसी प्रकार ये हिमालय की बेटियाँ भी बर्फ से ढकी पहाड़ियाँ, पौधों से भरपूर घाटियाँ, गहरी गुफाएं, हरी-भरी घाटियाँ सब कुछ छोड़कर समुद्र की ओर बढ़ जाती हैं कुछ आगे बढ़कर देवदार, चीड़,चिनार, सफ़ेदा, कैल के जंगलों में जाकर उन्हें अवश्य अपने बचपन की याद आती होगी। जैसे-घर का बड़ा-बूढ़ा अपनी संतान की फिक्र करता है, उसी तरह हिमालय भी अपनी बेटियों के लिए चिंतित होता होगा। नदियों के चले जाने के बाद पूरे उत्तर में निराशा के बादल छा जाते है।
सिंधु और ब्रह्मपुत्र दो ऐसी महान नदियाँ हैं जो हिमालय के हृदय की बर्फ की पिघली बूदं से अपना अस्तित्व पाती हैं और निरंतर समुद्र की ओर प्रवाहित होती हैं इन्हें महानद भी कहा जाता है। लेकिन इनको देखकर लेखक की आँखों के सामने हिमालय की अन्य छोटी-बड़ी सभी नदियाँ रावी, सतलुज, व्यास, चनाब, झेलम. काबुल, कपिशा, गंगा, यमुना, सरयू, गंडक, कोसी आदि का सुंदर स्वरूप भी लेखक के सामने छान लगता है।
नदियों को देखकर लेखक को यह भी याद आता है कि एक बार कालीदास के विरही यक्ष ने मेघदूत अर्थात् बादल से कहा था कि तुम वेत्रवती नदी को प्रेम का संदेश अवश्य देना। वह तुम्हें प्रेम करती है और तुम्हें पाकर अवश्य प्रसन्न होगी। लेखक को लगता है कि महाकवि को भी नदियों का जीवंत और सजीव रूप पसंद था। वास्तव में पहाड़ों से निकलती नदियाँ व समतल धरातल पर बहती नदियों को जो भी देखेगा वह दोनों में अत्यधिक अंतर पाएगा क्योंकि पहाड़ों पर बहने वाली नदियाँ तो अल्हड़ बच्चियों के रूप में दिखाई देती हैं व मैदानों में बहती नदियाँ अपने-आप में मस्त नवयौवना के रूप में सभी को आकर्षित करती हैं।
काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता का रूप दिया क्योंकि ये सर्वस्व कल्याण ही करती हैं। कुछ कवियों ने इन्हें प्रेयसी अर्थात् प्रेमिका माना है और कितने ही कवियों ने इन्हें बहन का स्थान भी दिया है। एक बार लेखक स्वयं मन से बहुत उदास था तो तिब्बत में सतलुज के किनारे जाकर बैठा। पाँव पानी में लटका दिए तो थोड़ी देर में तन और मन ताज़ा-सा प्रतीत होने लगा और लेखक कह उठा कि सतलुज बहन तुम्हारी जय हो, तुम्हारा स्वरूप बहुत प्रिय है। तुमसे तो हृदय प्रसन्न हो, सारी खुमारी अर्थात् आलस्य दूर हो गया। मैं तुम पर बलिहारी जाता हूँ। तुम पुत्री हो और यह हिमालय तुम्हारा पिता। पिता हिमालय चुपचाप रहकर भी तुम्हारे लिए चिंतित है। प्रकृति तो नर्तकी के समान है। इसी प्रकृति के प्रांगण में हिमालय अपनी अद्भुत और अनुपम छटा बिखेर रहा है। हे सतलज बहन तुम्हारी जय हो।
हिमालय की बेटियाँ पाठ के प्रश्न अभ्यास / himalay ki betiya question answer class 7
लेख से
प्रश्न-1-नदियों को मां मानने की परंपरा हमारे यहां काफी पुरानी है लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
प्रश्न-2- सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या-क्या विशेषताएं बताई गई हैं?
प्रश्न-3-काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
प्रश्न-4-हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
लेख से आगे
प्रश्न-1- नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएं लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।
प्रश्न-2-गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’ रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आंगन’ में पढ़िए और तुलना कीजिए ।
प्रश्न-3- यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलने वाली नदियों में क्या क्या बदलाव आए हैं?
प्रश्न-4- अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?
हिमालय की बेटियाँ अनुमान और कल्पना
प्रश्न-1- लेखक ने हिमालय से निकलने वाली नदियों को ममता भरी आंखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियां कहा है। आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? नदियों की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य हो रहे हैं। जानकारी प्राप्त करें और अपना सुझाव दें।
प्रश्न-2- नदियों से होने वाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों का एक निबंध लिखिए।
हिमालय की बेटियाँ भाषा की बात
प्रश्न-1- अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक समानताएं प्रस्तुत की है। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है उदाहरण
क-संभ्रांत महिला की भांति वे प्रतीत होती थीख- मां और दादी मौसी और मामी की गोंद की तरह उनकी धारा में डूबकियाँ लगाया करता।अन्य पाठों से ऐसे पांच तुलनात्मक प्रयोग निकालकर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर प्रयोगों को कापी में भी लिखिए।
प्रश्न-2- निर्जीव वस्तुओं को मानव संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएं भी मानो जीवित हो उठतीं हैं। लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं जैसे-
प्रश्न-3- पिछली कक्षाओं में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं नीचे दिए गए विशेषण और विशेष्य का मिलान कीजिए।
प्रश्न-4- द्वंद्व समास के दोनों पद प्रधान होते हैं इस समास में और शब्द का लोप हो जाता है। जैसे राजा-रानी द्वंद समास है। जिसका अर्थ है राजा और रानी पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समास का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोज कर वर्णमाला क्रम में लिखिए।
प्रश्न-5- नदी को उल्टा लिखने से दीन होता है। जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पांच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उल्टा लिखने पर सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए जैसे नदी से दीन (भाववाचक संज्ञा)
प्रश्न-6- समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप बदलते हैं जैसे बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप वेत्रवती है। नीचे दिए गए शब्दों में से ढूंढ कर इन नामों के अन्य रूप लिखिए।
प्रश्न-7- “उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में ये बच्चियाँ बनकर कैसे खेला करती हैं
उपर्युक्त पंक्ति में ही के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। ही वाला वाक्य के नकारात्मक अर्थ दे रहा है। इसीलिए ही वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कर सकते हैं- उनके ख्याल में शायद यह बात न आ सके।
इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार नहीं के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं। जैसे- महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता। दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।
हिमालय की बेटियाँ पाठ के अभ्यास प्रश्न
कक्षा 7 हिन्दी (संपूर्ण हल) कक्षा 7 हिन्दी (quiz/mcq) |