इस पोस्ट में हमलोग मानवीय करुणा की दिव्य चमक का सारांश, मानवीय करुणा की दिव्य चमक, मानवीय करुणा की दिव्य चमक का प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे
मानवीय करुणा की दिव्य चमक का सारांश
मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ के आरंभ में लेखक बताता है कि फादर बुल्के की मृत्यु एक जहरीले फोड़े के कारण हुई थी। लेखक को यह समझ में नहीं आ रहा था कि जिसके अंदर प्रेम का असीम मिठास भरा हुआ था उसमें जहर कहाँ से आया?
भगवान में आस्था और विश्वास रखने वाले के अंतिम दिन इतने घोर कष्ट में व्यतीत हुए? लेखक बताता है कि फादर का शरीर लम्बा, चौड़ा था, रंग गौर था, एकदम सफेद दाढ़ी और नीली आँखें थी। वे एक मिलनसार व्यक्ति थे। उनमें ममत्व और अपनत्व की भावना थी। फादर को याद करना उदासी से भरे शांत संगीत जैसा था। वे व्यवहार में निर्मलता और कार्य करने का दृढ़ संकल्प देने वाले थे। ‘परिमल’ पत्रिका के माध्यम से लेखक की उनसे भेट हुईं थी और धीरे-धीरे उनसे पारिवारिक संबंध बन गए थे। वे गंभीर विषयों पर बहस करते और बेहिचक उचित सलाह भी देते। वे प्रत्येक उत्सव पर बड़े भाई और पुरोहित के रूप में आशीर्वाद देने आते। उनका सानिध्य देवदार के वृक्ष के समान सघन, विशाल एवं शीतलता प्रदान करने वाला
फादर बुल्के ने भारत आकर पादरियों के बीच धर्माचरण की पढ़ाई करने के बाद कोलकाता से बी०ए० और इलाहाबाद एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। सन् 1950 में उन्होंने ‘रामकथा: उत्पत्ति और विकास पर शोध कार्य किया। वे जेवियर्स कॉलेज राँची में हिन्दी और संस्कृत विभाग के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने अंग्रेजी-हिन्दी कोश तैयार किया और बाइबिल का अनुवाद किया। रांची में बीमार होने के कारण वे पटना आ गए और 73 वर्ष की आयु स्वर्ग सिधार गए। संबंधों की घनिष्टता के कारण वे संन्यासी होते हुए भी संन्यासी नहीं लगते थे। वे दिल्ली आने पर लेखक से अवश्य मिलते थे। उनकी इच्छा थी कि हिन्दी राष्ट्रभाषा बने। हिन्दी के प्रति लोगों की उदासीनता देखकर वे झुंझला उठते थे। वे जिससे भी मिलते उसके घर-परिवार, सुख-दुख की अवश्य पूछते थे। बड़े-से-बड़े दुख में भी उनके द्वारा बोले गए सांत्वना के शब्द जीवन में आशा का संचार करते थे।
लेखक दुख व्यक्त करता हुआ कहता है कि छायादार फल-फूल, गंधयुक्त, सबसे अलग और सबका बनकर रहने वाला, जो सबको मानवता का पाठ पढ़ाता था, वह प्रकृति में विलीन हो गया। उनकी पवित्र यादें सबके दिलों में यज्ञ की पवित्र अग्नि की भाँति सबमें बसी हुई है। लेखक उस महान आत्मा को श्रद्धापूर्वक नमस्कार करता है।
मानवीय करुणा की दिव्य चमक के प्रश्न उत्तर
1-फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?
2-फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
3- पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
4- इस पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
5- लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करूणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?
6- फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?
7. आशय स्पष्ट कीजिए
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।
(ख) फादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
मानवीय करुणा की दिव्य चमक का रचना और अभिव्यक्ति
8.आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
9- ‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि-रेम्सचैपल’-इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं?
मानवीय करुणा की दिव्य चमक का भाषा-अध्ययन
10. मेरा देश भारत विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए।
11- आपका मित्र हडसन एंड ऑस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु आमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
12 निम्नलिखित वाक्यों में समुच्चयबोधक छाँटकर अलग लिखिए
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।
(ड़)पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर दब जाते।
मानवीय करुणा की दिव्य चमक के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
1- मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ का उद्देश्य क्या है?
2- मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ का संदेश क्या है?
3- मानवीय करुणा की दिव्य चमक के लेखक कौन है?
4- मानवीय करुणा की दिव्य चमक किसके जीवन पर आधारित है?
5- मानवीय करुणा की दिव्य चमक की विधा क्या है?
6- फादर कामिल बुल्के का जन्म कहां हुआ था?
7- फादर कामिल बुल्के की मृत्यु कैसे हुई?
8- फादर कामिल बुल्के की मृत्यु कब और कहां हुई?
9- फादर कामिल बुल्के किस विषय पर किसके निर्देशन में और कहां से अपना शोध प्रबंध पूरा किया?
10- भारत आने के लिए पूछने पर फादर क्या जवाब देते थे?
11- परिमल क्या है?
उत्तर-परिमल इलाहाबाद की एक साहित्यिक संस्था है। जिसमें युवा वर्ग और साहित्य प्रेमी अपने विचार अपनी रचनाओं के माध्यम से एक दूसरे के समक्ष रखते हैं।
12- लेखक ने फादर का शब्द चित्र किस प्रकार चित्रित किया है?
उत्तर– लेखक ने फादर का शब्द चित्र खींचते हुए लिखा है कि गोरा रंग, सफेद भूरी दाढ़ी, नीली आंखें, आतुर प्रेम से भरे हुए फादर लोगों के दिलो पर राज करते थे।
13- फादर बुल्के ने हिंदी उत्थान के लिए क्या क्या प्रयास किए?
उत्तर– फादर बुल्के ने हिंदी उत्थान के लिए निम्नलिखित प्रयास किए
उत्तर-
1-हिंदी भाषियों द्वारा हिंदी की उपेक्षा करने पर वे दुख प्रकट करते हैं।
2-फादर बुल्के हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने के लिए चिंतित रहते हैं।
3-फादर बुल्के हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए तरह-तरह के आंदोलन किए।
4-फादर बुल्के प्रत्येक मंच से हिंदी की दुर्दशा पर दुख प्रकट किए।
14– मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ के आधार पर फादर की विशेषताएं बताइए?
उत्तर– मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ के आधार पर फादर की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-
1-फादर को भारत और हिंदी से असीम प्रेम था।
2-फादर सुख-दुख में परिवार के सदस्यों की भांति सदैव खड़े रहते थे।
3-फादर अपने परिचितों एवं उनके परिवार वालों के साथ मधुर संबंध रखते थे।
4-फादर संकल्प के सन्यासी थे मन के नहीं।
5-फादर जिससे जो संबंध बना लेते थे उसको वह अंत तक निभाते थे।
15– फादर और लेखक के पारस्परिक संबंधों का उल्लेख कीजिए
उत्तर– फादर और लेखक के बीच बहुत ही गहरे और आत्मीय संबंध थे। फादर जब भी दिल्ली आते लेखक से जरूर मिलते थे वे इलाहाबाद में जब आए तब लेखक से मिले
16- मानवीय करुणा की दिव्य चमक का क्या अर्थ है?
मानवीय करुणा की दिव्य चमक का शब्दार्थ
विरल का अर्थ कम मिलने वाला
अकाट्य का अर्थ जो कट न सके अर्थात जिसकी बात को काटी न जा सके
लबालब का अर्थ भरा हुआ
आवेश का अर्थ जोश
करील का अर्थ झाड़ी के रूप में उगने वाला एक कटीला और बिना पत्ते का पौधा
ताबूत का अर्थ शव या मुर्दा ले जाने वाला संदूक या बक्सा
निर्लिप्त का अर्थ आसक्ति रहित या जो लिप्त न हो
गैरिक वसन का अर्थ साधुओं द्वारा धारण किए जाने वाले गेरुए रंग के वस्त्र
आतुर का अर्थ अधीर या उत्सुक
देहरी का अर्थ दहलीज
जहरबाद का अर्थ गैंग्रीन, एक तरह का जहरीला और कष्ट साध्य फोड़ा
पादरी का अर्थ ईसाई धर्म का पुरोहित या आचार्य
आजीवन का अर्थ जीवन भर
स्याही फैलाना मुहावरे का अर्थ लिखने का असफल प्रयास करना
खामोश का अर्थ चुप
बेबाक का अर्थ स्पष्ट
निर्मल का अर्थ स्वच्छ
अपरिचित का अर्थ अनजाने लोग
विधान का अर्थ तरीका या नियम
अस्तित्व का अर्थ उपस्थिति
यातना का अर्थ पीड़ा
मानवीय करुणा का अर्थ है मनुष्य के मन में उमड़ने वाली दया की भावना