इस पोस्ट में हमलोग संघर्ष के कारण मैं तुनकमिजाज हो गया धनराज पाठ का सारांश, संघर्ष के कारण मैं तुनकमिजाज हो गया धनराज पाठ का प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे| यह पाठ क्लास 7 हिन्दी वसंत भाग 2 के चैप्टर 18 से लिया गया है|
संघर्ष के कारण में तुनुकमिजाज हो गया पाठ का सार / summary
संघर्ष के कारण मैं तुनकमिजाज हो गया धनराज पाठ एक भेंटवार्ता है। इसमें हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी ‘धनराज पिल्लै’ के व्यक्तित्व को ‘विनीता पांडेय ने उभारने का प्रयत्न किया है।
धनराज बचपन में पुणे की तंग गलियों में रहते थे। बचपन बडी कठिनाइयों से बीता क्योंकि पारिवारिक व आर्थिक मजबूरियाँ आड़े आती रहीं। अधिक पढ़ाई इन्होंने न की, केवल दसवीं तक ही पढे। ये स्वभाव से बड़े तुनुकमिज़ाज हैं। किसी को भी साफ़-स्पष्ट रूप में कोई भी बात कहने में हिचकिचाते नहीं। ये देखने माँ की प्रेरणा-धनराज ने अपने जीवन में अपनी माँ को अपनी प्रेरणा-शक्ति माना है। उनका मानना है कि मेरी माँ ने सभी भाई-बहनों में अच्छे संस्कार डाले। वे अपने आप को माँ का करीबी समझते थे। उनकी माँ ने ही उन्हें प्रेरणा दी कि प्रसिद्धि के साथ विनम्रता भी अनिवार्य है। वे अपनी भाभी को भी माँ की भाँति मानते थे।
वे मानते हैं कि उनका स्वभाव तुनुकमिज़ाज है क्योंकि उन्होंने जीवन में सब कुछ बहुत मुश्किलों से प्राप्त किया। वैसे वे नरम दिल इंसान हैं किसी को कभी दुख में नहीं देख सकते। अपने परिवार, करीबी रिश्तेदारों व मित्रों की बहुत कद्र करते हैं। अपनी किसी भी गलती के लिए किसी से भी माफ़ी माँगने में शर्म महसूस नहीं करते।
शुरू में तो उनके पास हॉकी स्टिक तक नहीं थी। जब उनके बड़े भाई को भारतीय कैंप’ के लिए चुना गया तो उन्होंने अपनी स्टिक धनराज को दे दी। बस तब से तो उनके हाथ में जादू आ गया। 1985 में जूनियर राष्ट्रीय हॉकी में, 1986 में इन्हें सीनियर टीम में डाला गया । इसके बाद ऑलविन एशिया कप जीतने के बाद इन्होंने जीवन में पीछे मुड़कर न देखा। निरंतर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते चले गए। यहाँ तक कि इन्हें राष्ट्रपति ने भी सराहा, कई फिल्मी सितारे भी इन्हें बहुत पसंद करते हैं जैसे जैकी श्राफ, प्रेम चोपड़ा आदि।
सन् 1988 में इन्होंने दिल्ली में नेशनलज में भाग लिया तो पहली बार इन्होंने एस्ट्रो टर्फ देखी। इनके कोच सोमश्य और कार्बोल्हो एस्ट्रो टर्फ पर खेलने के तरीके बताते रहे और ये विज्ञान की तरक्की के बारे में सोच रहे थे कि कैसे कृत्रिम घास बनाई है। प्रसिद्धि को महत्त्व-ये अत्यधिक साधारण परिवार से संबंध रखने वाले हैं। इतनी प्रसिद्धि पाने के बावजूद भी इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी न थी। ये आम लोगों की तरह लोकल ट्रेन में ही यात्रा करते थे। एक बार तो एक पत्रकार ने रेलवे स्टेशन पर इनकी फोटो खींचकर समाचार पत्र में भी छाप दिया कि “हॉकी का सितारा पिल्लै अभी भी मुंबई के लोकल ट्रेनों में सफ़र करता है।” इन्हें शोहरत तो मिली लेकिन आर्थिक स्थिति अधिक मजबूत न बना पाए। यहां तक कि घर और कार लेना भी इनके लिए मुश्किल रहा।
इनके जीवन की यह चाह है कि लोग इन्हें इनकी सूरत की वजह से नहीं, बल्कि इनके खेल के कारण इन्हें पसंद करें। ऐसा होने पर इन्हें अपारखुशी प्राप्त होती है। ये सदा अपने देश के लिए ही खेलना चाहते हैं।
संघर्ष के कारण मैं तुनकमिजाज हो गया धनराज पाठ का प्रश्न उत्तर / question answer
साक्षात्कार से
प्रश्न 1. साक्षात्कार पढ़कर आपके मन में धनराज पिल्लै की कैसी छवि उभरती है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-धनराज पिल्लै का साक्षात्कार पढ़कर यही छवि उभरती है कि वे सीधा-सरल जीवन व्यतीत करने वाले मध्यमवर्गीय परिवार से नाता रखने वाले हैं। वे देखने में बहुत सुंदर नहीं हैं। हॉकी के खेल में इतनी प्रसिद्धि प्राप्त करने का जरा भी अभिमान उनमें नहीं है। आम लोगों की भाँति लोकल ट्रेनों में सफर करने में भी कतराते नहीं।
प्रश्न 2. धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने तक की यात्रा तय की है। लगभग सौ शब्दों में इस सफ़र का वर्णन कीजिए।
उत्तर-यह कहना अनुचित नहीं कि धनराज पिल्लै ने ज़मीन से उठकर आसमान का सितारा बनने का सफर तय किया है क्योंकि वे बहुत ही साधारण परिवार से थे उनका बचपन बहुत मुश्किलों भरा था। एक हॉकी स्टिक खरीदने की भी उनकी हैसियत नहीं थी। लेकिन उनकी चाह, मेहनत व लगन ने उन्हें जीवन की सब मुश्किलों का सामना करने की शक्ति दी और इस खिलाड़ी ने विश्व-स्तरीय ख्याति प्राप्त करके ही दम लिया। 1985 में वे जूनियर हॉकी टीम में चुने गए। 1986 में उन्हें सीनियर टीम में डाल दिया गया। 1989 में ऑलविन एशिया कप के मैच में चुने जाने के बाद इन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा निरंतर सफलता की ओर ही बढ़ते रहे हैं।
प्रश्न 3. ‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’-धनराज पिल्लै की इस बात का क्या अर्थ है?
उत्तर-धनराज पिल्लै का यह कहना ‘मेरी माँ ने मुझे अपनी प्रसिद्धि को विनम्रता से सँभालने की सीख दी है’ का तात्पर्य है कि मनुष्य चाहे कितनी भी सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ जाए उसे कभी घमंड नहीं करना चाहिए और किसी को अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। माँ की इसी सीख को उन्होंने जीवन में अपनाया है।
साक्षात्कार से आगे
प्रश्न 1. ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है। क्यों? पता लगाइए।
उत्तर-ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहा जाता है क्योंकि जैसे जादूगर अपने दावपेंचों से हमारी ही आँखों सामने न जाने क्या-क्या करतब कर दिखाता है और हम दाँतों तले उँगली दबा लेते हैं वैसे ही ध्यानचंद भी हॉकी खेलने में माहिर हैं। कोई भी ऐसा दावपेंच नहीं जो उन्हें न आता हो। कोई भी हॉकी में उन्हें मात नहीं दे सकता।
प्रश्न 2. किन विशेषताओं के कारण हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल माना जाता है?
उत्तर-भारत में हॉकी सबसे पुराना खेल है। इसे राजा-महाराजाओं से लेकर देहात के लोग भी चाव से खेला करते थे। इस खेल में भारतीयों की रुचि कभी कम नहीं हुई। न ही इस खेल को खेलने हेतु अधिक पैसों की आवश्यकता पड़ती है। पुराने जमाने में तो पेड़ों की टहनियों द्वारा ही इस खेल को खेला जाता था। यह खेल वर्षो से निरंतर आगे ही बढ़ता रहा है और अपना लंबा इतिहास रखता है। इसलिए इसे राष्ट्रीय खेल माना जाता है।
प्रश्न 3. आप समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में छपे हुए साक्षात्कार पढ़ें और अपनी रुचि से किसी व्यक्ति को चुनें, उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर कुछ प्रश्न तैयार करें और साक्षात्कार लें।
छात्र स्वयं करें।
संघर्ष के कारण मैं तुनकमिजाज हो गया धनराज पाठ काअनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. ‘यह कोई ज़रूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए’-क्या आप धनराज पिल्लै की इस बात से सहमत हैं? अपने अनुभव और बड़ों से बातचीत के आधार पर लिखिए।
उत्तर-धनराज पिल्लै का यह कहना कि यह कोई जरूरी नहीं कि शोहरत पैसा भी साथ लेकर आए, सही है क्योंकि धनराज को स्वयं जितनी शोहरत मिली उतना पैसा प्राप्त नहीं हुआ। वे भी काफी समय तक आम लोगों की भाँति लोकल ट्रेनों में सफर करते रहे जिसे लोग भी देखकर हैरान होते थे। अपने अनुभव के आधार पर भी इस बात को हम सत्य मान सकते हैं। कवि या साहित्यकार अपनी लेखनी से समाज को परिवर्तित करने की क्षमता रखते हैं लोग भी उन्हें अत्यधिक आदर-सत्कार देते हैं।
प्रश्न 2.
(क) अपनी गलतियों के लिए माफी माँगना आसान होता है या मुश्किल?
(ख) क्या आप और आपके आसपास के लोग अपनी गलतियों के लिए माफ़ी माँग लेते हैं?
(ग) माझी माँगना मुश्किल होता है या माफ़ करना? अपने अनुभव के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
(क) अपनी गलतियों के लिए माफी माँगना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि हमें दूसरे के सामने अपने स्वाभिमान को झुकाना पड़ता है।
(ख) नहीं! सभी लोग जल्दी ही किसी से माफ़ी नहीं माँग सकते।
(ग) माफ़ करने से माफ़ी माँगना ज्यादा मुश्किल होता है क्योंकि माफ़ी माँगने का अर्थ लिया जाता है ‘झुकना’ अर्थात् माफ़ी माँगने के लिए एक बार तो झुककर अपने स्वाभिमान को झुकाना पड़ता है। लेकिन यह भी सत्य है कि यदि हम किसी से माफ़ी माँगते हैं और वह हमें दिल से माफ़ कर दे तो आपसी संबंध प्रगाढ़ हो जाते हैं। यह भी सत्य है कि किसी के गलती करने के पश्चात् माफी मांगने पर दिल से माफ़ करना आसान नहीं होता। ऐसा होना भी सही है क्योंकि हम किसी भी बात को जल्दी से भुला नहीं सकते।
संघर्ष के कारण मैं तुनकमिजाज हो गया धनराज पाठ का भाषा की बात
1. नीचे कुछ शब्द लिखे हैं जिनमें अलग-अलग प्रत्ययों के कारण बारीक अंतर है। इस अंतर को समझाने के लिए इन शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
प्रेरणा, प्रेरक, प्रेरित
संभव, संभावित, संभवतः
उत्साह, उत्साहित, उत्साहवर्धक
उत्तर –
प्रेरणा – हमें गांधी जी के विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
प्रेरक-गांधीजी अहिंसा और सत्य के प्रेरक बने।
प्रेरित-गांधीजी के विचारों से प्रेरित होकर लोगों ने स्वदेशी अपनाया।
ख) संभव-सफलता प्राप्त करने हेतु हर संभव प्रयत्न करना चाहिए।
संभावित-संभावित रूप से कहा जाता है कि आज रात को वर्षा होगी।
संभवत: पिताजी मथुरा से चल चुके होंगे।
(ग) उत्साह-मैंने उत्साह से वार्षिकोत्सव में भाग लिया।
उत्साहित-प्रधानाचार्य ने अपने विचारों से विद्यार्थियों को उत्साहित किया कि वे भाषण प्रतियोगिता में भाग लें।
उत्साहवर्धक-प्रधानमंत्री का संदेश खिलाड़ियों के लिए उत्साहवर्धक था।
2. तुनुकमिज़ाज शब्द तुनुक और मिज़ाज दो शब्दों के मिलने से बना है। क्षणिक, तनिक और तुनुक एक ही शब्द के भिन्न रूप हैं। इस प्रकार का रूपांतर दूसरे शब्दों में भी होता है, जैसे बादल, बादर, बदरा, बदरिया; मयूर, मयूरा, मोर; दर्पण, दर्पन, दरपन। शब्दकोश की सहायता लेकर एक ही शब्द के दो या दो से अधिक रूपों को खोजिए। कम-से-कम चार शब्द और उनके अन्य रूप लिखिए।
उत्तर–
भू, भूमि, धरा।
आग, अग्नि, ज्वाला।
देव, देवता, सुर।
मातृ, माता, माँ।
3. हर खेल के अपने नियम, खेलने के तौर-तरीके और अपनी शब्दावली होती है। जिस खेल में आपकी रुचि हो उससे संबंधित कुछ शब्दों को लिखिए. जैसे-फुटबॉल के खेल से संबंधित शब्द हैं -गोल, बैकिंग, पासिंग, बूट इत्यादि।
उत्तर- -क्रिकेट – एंपायर, रन, क्षेत्ररक्षण, चौका,