पतझर में टूटी पत्तियां पाठ के अतिरिक्त प्रश्न उत्तर क्लास 10 स्पर्श
1- लेखक ने गिन्नी के सोने की क्या विशेषताएँ बताईं ?
उत्तर- लेखक ने गिन्नी के सोने की यह विशेषता बताई है कि उसमें ताँबे का मिश्रण होता है। इसलिए उसमें चमक और मज़बूती अधिक होती है।
2- शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग-अलग कैसे हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- शुद्ध सोना वे आदर्शवादी लोग हैं जो व्यवहार के नाम पर अपने आदर्श को ढीला नहीं करते। वे अपने आदर्शों के लिए जीते-मरते हैं।गिन्नी का सोना वे व्यवहारवादी लोग हैं जो व्यवहार के नाम पर किसी आदर्श को नहीं मानते।
3- ‘प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट’ से क्या आशय है ? ‘पतझड़ में टूटी पत्तियाँ’ पाठ के आधार पर बताइए ।
उत्तर- प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट से आशय है वे लोग जो अपने आदर्शों को व्यवहार के धरातल पर उतारते हैं। वे अपने आदर्शों को जीने योग्य बनाते हैं।
4- गाँधी जी ने शुद्ध आदर्शों को क्यों न अपनाया?
उत्तर- गाँधी जी जानते थे कि शुद्ध आदर्शों को आचरण में नहीं लाया जा सकता। उन्हें व्यवहार में लाने के लिए कुछ समझौते करने पड़ते हैं। इसलिए उन्होंने बहुत सावधानी से, आदर्शों को कम-से-कम हानि पहुँचाते हुए व्यावहारिक आदर्शवाद को अपनाया
5- गाँधी जी आदर्शवादी क्यों कहलाए ?
उत्तर- गाँधी जी की दृष्टि आदर्श की ओर थी। वे अपने व्यवहार को सदा ऊँचा, श्रेष्ठ तथा मर्यादित करने में लगे रहे।
6- व्यवहारवादी किन्हें कहते हैं?
उत्तर- व्यवहारवादी लोग वे होते हैं जो आदर्शों और मानवीय मूल्यों को महत्त्व नहीं देते। वे अपनी लाभ-हानि की गणना मानवों से करते हुए व्यवहार करने को अपना आदर्श मानते हैं। करते
7- व्यवहारवाद की हानि स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- व्यवहारवाद अवसरवाद का ही दूसरा नाम है। इसका अर्थ है- उन्नति, लाभ और लोभ का अवसर मत छोड़ो। इसके लिए आदर्शों को छोड़ना पड़े तो छोड़ दो। अतः व्यवहारवाद मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है। इससे मानवीय मूल्य नष्ट होते हैं।
8- आदर्शवादी लोगों ने समाज के लिए क्या किया है? ‘गिन्नी का सोना’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर- आदर्शवादी लोगों ने सदा समाज को ऊँचा उठाया है। उन्होंने समाज को कुछ शाश्वत मूल्य और सिद्धांत दिए हैं।
9- ‘शाश्वत मूल्यों’ से क्या आशय है? व्यवहारवादी लोगों के लिए उनका क्या महत्त्व है?
उत्तर- ‘शाश्वत मूल्यों’ का आशय है- कुछ अमर आदर्श और सिद्धांत। समाज को सदा ऊँचा उठाने वाली मूल्यवान बातें। व्यवहारवादी लोगों के लिए ऐसे शाश्वत मूल्यों का कोई महत्त्व नहीं होता। वे तो समाज को गिराने का ही काम करते हैं।
10- ‘गिन्नी का सोना’ पाठ में शुद्ध आदर्श की तुलना शुद्ध सोने से क्यों की गई है ?
उत्तर- शुद्ध आदर्श और शुद्ध सोना दोनों मिलावट – रहित होते हैं। जिस प्रकार शुद्ध सोने मे ताँबे की मिलावट नहीं होती, उसी प्रकार शुद्ध आदर्श में व्यवहार के नाम पर कोई ढील नहीं बरती जाती।
11- ‘झेन की देन’ के आधार पर लिखिए कि ‘फिर एक दिन ऐसा आता है जब दिमाग का तनाव बढ़ जाता है’ – इन पंक्तियों में किस ‘एक दिन’ की ओर संकेत किया गया है? इस ‘एक दिन’ से दिमाग में तनाव क्यों बढ़ जाता हैं?
उत्तर- एक दिन ऐसा आता है कि जापान के लोग अधिक गति से आपाधापी करते-करते बकबक करने लगते हैं। उनका दिमाग इतनी तेजी से घूमता है कि एक दिन उनका संतुलन टूट जाता हैतनाव का एक ही कारण है अमरीका से होड़ करना। एक महीने का काम एक दिन में करने की कोशिश करना ।
12- टी-सेरेमनी की गरिमा को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- ‘टी-सेरेमनी’ में चाजीन ने लेखक और उसके मित्र का स्वागत, अँगीठी जलाना, चायदानी रखना, बर्तन लाना, उन्हें तौलिए से पोंछना आदि कार्य इतने गरिमापूर्ण ढंग से किए कि मानो उसके एक-एक काम से संगीत का कोई उल्लासपूर्ण राग निकल रहा होउसका एक-एक काम मनोहारी प्रतीत हुआ।
13- ‘टी-सेरेमनी’ में चाय पीते समय लेखक ने क्या निर्णय लिया? ‘पतझड़ में टूटी पत्तियाँ’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर- टी-सेरेमनी में चाय पीते समय लेखक ने कोई निर्णय नहीं लिया। सिर्फ उसने अनुभव किया कि यदि दिमाग को शांत रखा जाए और केवल वर्तमान में जिया जाए तो हृदय में अनंतकाल जितना विस्तार अनुभव होता है।
14- मनोरुग्णता का मूल कारण क्या होता है?
उत्तर- मनोरुग्णता का वास्तविक कारण है मनुष्य की असीमित आकांक्षाएँ और उन्हें पूरा करने के लिए तेज ज़िंदगी जीना। जो लोग सांसारिक उन्नति के पीछे बहुत तेज़ी से लग जाते हैं, वे मनवांछित सफलता न पाने के कारण प्रायः मनोरुग्ण हो जाते हैं।
15- इस निबंध में क्या प्रेरणा दी गई है ?
उत्तर- ‘झेन की देन’ में प्रेरणा दी गई है कि हम अपने वर्तमान में जिएँ । अतीत की खट्टी-मीठी यादों के कारण वर्तमान को खराब न करें। भविष्य के सपनों को पूरा करने के लिए पागल न हों। सांसारिक प्रगति की चाह में अपने जीवन की शांति को भंग न करें। केवल उतना काम करें जितना कि संभव हो और हमारी शक्ति के अनुरूप हो ।
16- जापान में चाय पीना एक ‘सेरेमनी’ क्यों है?
उत्तर-जापान में चाय पीने की एक विशेष विधि है – ‘चा-नो-यू’। यह विधि मानसिक शांति के लिए बनाई गई है। इसमें चाय बनाने से लेकर पीने तक एक-से-एक काम ध्यान से किया जाता है और पूरा ध्यान वर्तमान पर रखना होता है। इससे दिमाग की गति शांत होती है और मन को बहुत आराम मिलता है। इसका एक-एक कार्य उत्सव की भाँति होता है।
17- ‘भूत, भविष्य और वर्तमान में किसे सत्य माना गया है?’ ‘झेन की देन’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-‘झेन की देन’ में वर्तमान को ही सत्य माना गया है। भूत बीता हुआ समय है। भविष्य काल्पनिक है। सत्य केवल एक है- वर्तमान
18- जापान में अधिकांश लोगों के मनोरुग्ण होने के क्या कारण हैं? तनाव से मुक्ति दिलाने में झेन परंपरा चा-नो-यू विधि किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर- जापान में अधिकांश लोग इसलिए मनोरुग्ण हैं क्योंकि वे अमरीका के साथ होड़ कर रहे हैं। उनके दिमाग बहुत चलते हैं। उन्होंने अपने दिमाग पर स्पीड का इंजन लगा लिया है। इसलिए प्रायः वे मनोरोगी हो जाते हैं। अत्यधिक तनाव से पीड़ित हो जाते हैं। इस तनाव से मुक्ति दिलाने के लिए चा-नो-यू की विधि बहुत सहायक है। इसमें एक छोटे-से स्थान पर तीन लोग ही बैठते हैं। उनके लिए बड़ी शांति और गरिमा से चाय बनाई जाती है। केतली को पोंछने से लेकर चाय के उबलने-खदबदाने की आवाज़ पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इससे तेजी से चलता हुआ दिमाग ठहर जाता है। वह भूत और भविष्य से कटकर वर्तमान पर स्थिर हो जाता है। परिणामस्वरूप मन शांत हो जाता है। इस प्रकार चा-नो-यू विधि बहुत सहायक सिद्ध होती है।
19- लेखक का जापानी मित्र उसे कहाँ ले गया? वहाँ के वातावरण से लेखक क्यों प्रभावित हुआ? ‘झेन की देन’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर- लेखक का जापानी मित्र उसे ‘चाय सेरेमनी’ में ले गया। वहाँ का वातावरण अत्यंत शांत था। चाय के बरतन पोछने से लेकर चाय के पानी उबलने तक की ध्वनि सुनाई पड़ रही थी। लेखक वहाँ की शांति से बहुत प्रभावित हुआ।
20- भ्रमण हम सभी के जीवन का अभिन्न अंग है। अपनी व्यस्ततम दिनचर्या के बीच चैन से भरे कुछ पल शायद हम इसी प्रकार निकाल सकते हैं। शांत वातावरण में अपने तथा अपनों के लिए जीवन व्यतीत करना आवश्यक है। आपके द्वारा इस पाठ्यक्रम में पढ़े गए पाठ में चैन भरे पल बिताने के लिए लेखक ने क्या किया? क्या वास्तव में सभी को इसकी आवश्यकता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर- अपनी व्यस्ततम दिनचर्या में से चैन के क्षण निकालने के लिए लेखक ने ‘टी-सेरेमनी’ का अनुभव लिया। वहाँ जाकर उसका मन ठहर गया। उसे सच्ची शांति मिली। आज हम सभी अति व्यस्त जीवन जी रहे हैं। सभी आपाधापी में लगे ऐसे में, टी-सेरेमनी जैसे अनुभव लेना और मानसिक शांति अनुभव करना अत्यंत आवश्यक है।