पतझर में टूटी पत्तियां पाठ का प्रश्न उत्तर क्लास 10 स्पर्श
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
1- शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
उत्तर – शुद्ध सोना बिना किसी मिलावट के होता है। गिन्नी सोने में ताँबे की मिलावट होती है। गिन्नी सोना शुद्ध सोने से अधिक मजबूत और चमकदार होता है।
2- प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं?
उत्तर- ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ उसे कहते हैं जो आदर्शों को व्यवहार में लाता है। जो आदर्शों को जीने-योग्य बनाता है।
3- पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है?
उत्तर- पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श है- अपने सत्य, मूल्य या सिद्धांत पर अडिग रहना। व्यवहारवाद के नाम पर कोई समझौता न करना।
4- लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात क्यों कही है?
उत्तर- लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगाने की बात इसलिए कही है क्योंकि वे बहुत गति से प्रगति करते हैं। वे एक ही दिन में महीने का काम निपटा देना चाहते हैं। इस कारण वे तनावग्रस्त रहते हैं।
5- जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?
उत्तर- जापान में चाय पीने की विधि को ‘चा नो यू’ कहते हैं। यह झेन-परंपरा की देन है।
6- जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?
उत्तर- जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, वह स्थान पर्णकुटी जैसा सुसज्जित होता है। प्राकृतिक ढंग से सजे इस छोटे-से स्थान में केवल तीन लोग बैठकर चाय पी सकते हैं।
पतझर में टूटी पत्तियां लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1- शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है?
उत्तर- शुद्ध आदर्श में किसी प्रकार का समझौता नहीं होता। वह पूर्णतः शुद्ध होता है। इसलिए उसे सोना कहा गया है। व्यावहारिकता के नाम पर आदर्शों से समझौता किया जाता है। उसमें खोट होता है। अतः उसे ताँबा कहा गया है।
2- चाजीन ने कौन-सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं?
उत्तर- चाजीन ने अतिथियों का स्वागत, अँगीठी सुलगाना, उस पर चायदानी रखना, चाय के बर्तन लाना, उन्हें तौलिए से साफ़ करना आदि क्रियाएँ बहुत ही गरिमापूर्ण ढंग से कीं ।
3- ‘टी-सेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों?
उत्तर- ‘टी-सेरेमनी’ में केवल तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता है। क्योंकि इस सेरेमनी में शांति का बहुत महत्त्व होता है, इसलिए अधिक लोगों को वहाँ प्रवेश नहीं दिया जाता।
4- चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया?
उत्तर- चाय पीने के बाद लेखक ने अनुभव किया कि मानो उसके दिमाग की गति मंद हो गई हो। धीरे-धीरे वह दिमाग चलना बंद हो गया। तब उसे सन्नाटा भी सुनाई देने लगा। वर्तमान काल अनंतकाल जैसा लंबा प्रतीत होने लगा।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1- गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी- उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए ।
उत्तर- गाँधीजी के नेतृत्व में अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने कभी आदर्शों को व्यवहार में लाने के नाम पर गिराने की कोशिश नहीं की। उन्होंने मानव-व्यवहार को आदर्श बनाने की कोशिश की। उन्होंने न तो स्वयं कभी कोई स्वार्थ सिद्ध किया, न ही दूसरों को इसके लिए प्रेरित किया। वे स्वयं सत्य और अहिंसा के पथ पर चले, इसलिए उनके संपर्क में आए अन्य लोग भी सत्य और अहिंसा के पथ पर सत्याग्रह अपनाने को तैयार हो गए। इस विलक्षण आदर्शवाद से उन्होंने देशवासियों को अपने पीछे लगा लिया।
2- आपके विचार से कौन-से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- मेरे विचार में सत्य, अहिंसा, समता, विश्वबंधुता आदि मूल्य शाश्वत हैं। वर्तमान समय में सत्य की बजाय असत्य का बोलबाला है। अहिंसा की जगह हिंसा का दबदबा है। समता की जगह भेदभावों को तूल दी जा रही है। आरक्षण और जातिवाद की भावनाएँ प्रबल हैं। विश्वबंधुता की बजाय सारे संसार को अपनी मुट्ठी में कैद करने की क्षुद्र भावना प्रबल है। अतः आज सत्य, अहिंसा, समता और विश्वबंधुता की अधिक आवश्यकता है, ताकि एक समरस और स्वस्थ समाज की स्थापना हो सके।
3- अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब-
(1) शुद्ध आदर्श से आपको हानि-लाभ हुआ हो।
(2) शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो।
उत्तर-
(1) मेरे जीवन का आदर्श है कि मैं कभी रिश्वत नहीं दिया करता । इसे मैं पाप समझता हूँ। इसलिए मैंने उस सरकारी कर्मचारी को रिश्वत नहीं दी, जिसके हाथ में मुझे प्रमाण-पत्र देना था। परिणाम यह हुआ कि प्रमाण-पत्र के अभाव में मैं नौकरी के लिए आवेदन न कर सकी। मेरी सब सहेलियाँ 200-200 रुपये रिश्वत देकर नौकरी पर लग गईं, अकेली मैं रह गई। मेरा नंबर एक साल बाद आया ।
नौकरी लगने के बाद दिल्ली प्रशासन का क्लर्क नौकरी पक्की करने के लिए खुलेआम रिश्वत माँगता है। मैं व्यवहारकुशल नहीं बन पाई। इसलिए 23 साल की नौकरी करने के बाद भी मुझे अब तक नौकरी पक्की होने का प्रमाण-पत्र नहीं मिल सका।
(2) मेरा आदर्श है कि मैं कभी बच्चों को नकल नहीं करने देती। परंतु बच्चों को नकल करने की बुरी आदत है। बच्चे ही नहीं उनके माता-पिता, प्रियजन और मेरे साथी भी नकल कराने की सिफारिश करते हैं। तब मैं एक काम करती हूँ। या तो कुशलतापूर्वक अपनी ड्यूटी नहीं लगवाती । ड्यूटी लग जाए तो मैं बच्चों के केस नहीं बनाती। परंतु नकल के लिए लाई गई पर्चियाँ फाड़कर फेंक देती हूँ। इससे नकल रोकने की बात भी रह जाती है और बच्चों का साल भी खराब नहीं होता।
4- ‘शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट या ताँबे में सोना’ गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- गाँधी जी आदर्शवादी थे। वे अपने व्यवहार को आदर्श के समान ऊँचा बनाते थे। दूसरे शब्दों में, वे ताँबे में सोना मिलाते थे। वे अपने आदर्शों को व्यावहारिक बनाने के नाम पर उन्हें नीचे नहीं गिराते थे। दूसरे शब्दों में, वे सोने में ताँबा नहीं मिलाते थेउनकी गति नीचे से ऊपर उठने की ओर थी, ऊपर से नीचे गिरने की ओर नहीं ।
5- ‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल-पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना’ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्त्व है?
उत्तर- जीवन में महत्त्व है आदर्शवाद का। हर मनुष्य को चाहिए कि वह अपने आदर्शों से डिगे बिना अपने व्यवहार को मधुर बनाने की चेष्टा करे। आवश्यकता पड़ने पर वह अपने व्यवहार को लचीला अवश्य बनाए किंतु किसी भी सूरत में अपने आदर्शों को न छोड़े।
6- लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के क्या-क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर – लेखक के मित्र ने मानसिक रोग के निम्नलिखित कारण बतलाए-
• जापान के लोग प्रगति में अमरीका से होड़ करते हैं।
• वे एक महीने का काम एक ही दिन में करना चाहते हैं।
• वे पहले से तेज चलने वाले दिमाग को और अधिक तेज गति से चलाना चाहते हैं।
मैं इन सब कारणों से सहमत हूँ । अत्यधिक हाय-तौबा से मनुष्य का मानसिक संतुलन बिगड़ता है। यह स्वाभाविक है
7- लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- लेखक के अनुसार, मनुष्य बीती हुई यादों में जीकर तनाव में रहता है। परंतु वे क्षण तो बीत चुके होते हैं। इसी प्रकार वह जिन सपनों में जीता है, वे भी सच नहीं होते। केवल वर्तमान काल ही हमारे सामने होता है। हम उसी क्षण में जीते हैं और कर्म करते हैं। यदि हम केवल वर्तमान में जिएँ तो हम हाय तौबा नहीं मचाएँगे। बेकार की भागदौड़ नहीं करेंगे। तब हमारा हर काम गरिमापूर्ण होगा।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
1- समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।
उत्तर -समाज में अहिंसा, सत्य, समानता, बंधुता, त्याग जैसे कुछ शाश्वत मूल्य अभी भी बचे हुए हैं। ये मूल्य आदर्शवादी लोगों के कारण बचे हुए हैं। इन्होंने अपने व्यवहार से अहिंसा, सत्य, समानता, बंधुता और त्याग का सौंदर्य प्रकट करके दिखाया। तभी लोग आज भी इनका महत्त्व समझते हैं।
2- जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ-बूझ ही आगे आने लगती है।
उत्तर- जब आदर्श और व्यवहार में से लोग आदर्शों की बात करना भूल जाते हैं और व्यावहारिक होने को महत्त्व देने लगते हैं तो उनका व्यवहार धीरे-धीरे पतन की ओर गिरने लगता है। समझौतों की चर्चा अधिक होने लगती है। लोगों का ध्यान आदर्शों को छोड़ने की ओर लगा रहता है। इस प्रकार पतन के रास्ते खुल जाते हैं।
3- हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
उत्तर- जापानी लोगों के जीवन की गति बहुत तेज़ हो गई है। वे सामान्य ढंग से गरिमापूर्वक चलने की बजाय, भागते हैं ताकि अधिक से अधिक काम कर सकें। वे स्वाभाविक रूप से बोलने की बजाय आवेश में आकर बकते हैं। उनके पास स्वाभाविक रूप से बोलने का समय नहीं होता। वे लोग अकेले में भी शांत नहीं होते। उनके जीवन के तनाव, निराशाएँ और कुंठाएँ उन्हें हिलाकर रख देती हैं। अतः वे एकांत में भी बड़बड़ाते रहते हैं। आशय यह है कि वे तनाव से भरपूर जीवन जीते हैं। बेतहाशा
4- सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।
उत्तर- ‘टी-सेरेमनी’ में चाजीन ने लेखक और उसके मित्र का स्वागत, अँगीठी जलाना, चायदानी रखना, बर्तन लाना, उन्हें तौलिए से पोंछना आदि कार्य इतने गरिमापूर्ण ढंग से किए कि मानो उसके एक-एक काम से संगीत का कोई उल्लासपूर्ण राग निकल रहा हो। उसका एक-एक काम मनोहारी प्रतीत हुआ।
पतझर में टूटी पत्तियां भाषा अध्ययन
1- नीचे दिए गए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
व्यावहारिकता, आदर्श, सूझबूझ, विलक्षण, शाश्वत
उत्तर-
व्यावहारिकता- कोई भी आदर्श तभी मनोरम प्रतीत होता है जबकि उसमें व्यावहारिकता हो ।
आदर्श- गाँधी जी अपने व्यवहार को आदर्श बनाने का प्रयास करते थे।
सूझबूझ- गाँधी जी में अपने व्यवहार को आदर्श बनाने की गहरी सूझबूझ थी।
विलक्षण- टी-सेरेमनी का हर कार्य बहुत विलक्षण था।
शाश्वत- सत्य कभी मरता नहीं, वह शाश्वत रहता है।
2- ‘लाभ-हानि’ का विग्रह इस प्रकार होगा- लाभ और हानि
यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए-
(क) माता-पिता, (ख) पाप-पुण्य, (ग) सुख-दुख, (घ) रात-दिन, (ङ)अन्न-जल, (च) घर-बाहर, (छ) देश-विदेश
उत्तर-
(क) माता-पिता = माता और पिता
(ख) पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
(ग) सुख-दुख = सुख और दुख
(घ) रात-दिन = रात और दिन
(ङ) अन्न-जल = अन्न और जल
(च) घर-बाहर = बाहर और भीतर
(छ) देश-विदेश = देश और विदेश
3- नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए-
(क) सफल, (ख) विलक्षण, (ग) व्यावहारिक, (घ) सजग, (ङ) आदर्शवादी, (च) शुद्ध
उत्तर-
(क) सफल = सफलता
(ख) विलक्षण = विलक्षणता
(ग) व्यावहारिक = व्यवहारिकता
(घ) सजग = सजगता
(ङ) आदर्शवादी = आदर्शवादिता
(च) शुद्ध = शुद्धता
4- नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए-
(क) शुद्ध सोना अलग है।
(ख) बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।
ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘सोना’ का क्या अर्थ है? पहले वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है धातु ‘स्वर्ण’। दूसरे वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है ‘सोना’ नामक क्रिया। अलग-अलग संदर्भों में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
उत्तर, कर, अंक, नग
उत्तर-
1. इस प्रश्न का उत्तर मुझे नहीं आता था। (जवाब)
2. राजनेता उत्तर-दक्षिण का भेदभाव खड़ा करके राजनीति कर रहे हैं। (दिशा)
कर-
1. महात्मा जी ने अपने कर-कमलों से इस भवन की आधारशिला रखी। (हाथ)
2. सिगरेट पर कर बढ़ा दिया गया है। (टैक्स)
3. मैं काम कर रहा हूँ। (करने की क्रिया)
अंक –
1- माँ ने शिशु को अपने अंक में सुला लिया। (गोद)
2. सिमरन ने 80% अंक प्राप्त किए। (नंबर)
नग-
1. सामने खड़े नग कितने सुंदर हैं? (पहाड़)
2. इस अँगूठी का नग बहुत सुंदर है। (चमकीला पत्थर)
3. ट्रक में 30 नग रखे हैं। (सामान या खेप)
5- नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए-
(क) 1. अँगीठी सुलगाई।
2. उस पर चायदानी रखी।
(ख) 1. चाय तैयार हुई।
2. उसने वह प्यालों में भरी ।
(ग) 1. बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।
2. तौलिये से बरतन साफ़ किए ।
उत्तर-
(क) अँगीठी सुलगाई और उस पर चायदानी रखी।
(ख) चाय तैयार हुई और उसने वह प्यालों में भरी ।
(ग) बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया और तौलिये से बरतन साफ़ किए।
6- नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए-
(क)
1. चाय पीने की यह एक विधि है।
2. जापानी में उसे चा-नो-यू कहते हैं।
(ख)
1. बाहर बेढब – सा एक मिट्टी का बरतन था।
2. उसमें पानी भरा हुआ था।
(ग)
1. चाय तैयार हुई।
2. उसने वह प्यालों में भरी ।
3. फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए।
उत्तर-
(क) चाय पीने की यह एक ऐसी विधि है जिसे जापानी में चा-नो-यू कहते हैं।
(ख) बाहर ऐसा बेढब-सा एक मिट्टी का बरतन था जिसमें पानी भरा हुआ था।
(ग) चाय जैसे ही तैयार हुई, उसने वह प्यालों में भरकर हमारे सामने रख दी।
योग्यता विस्तार
1- गाँधीजी के आदर्शों पर आधारित पुस्तकें पढ़िए; जैसे-महात्मा गांधी द्वारा रचित ‘सत्य के प्रयोग’ और गिरिराज किशोर द्वारा रचित उपन्यास ‘गिरमिटिया’।
उत्तर- छात्र पढ़ें
2- पाठ में वर्णित ‘टी-सेरेमनी’ का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- मकान की छत पर एकांत में एक झोंपड़ी है। उसमें मुश्किल से दो-तीन लोगों के बैठने की जगह है। उस छोटी-सी झोंपड़ी में एक ओर चाय बनाने वाला बैठा है। उसके बर्तन बड़े साफ-सुथरे हैं। चाय की प्यालियाँ बहुत सुंदर और साफ़ हैं। चाय की केतली भी चमकदार है। चाय बनाने वाला बीच-बीच में उसपर कपड़ा मार लेता है। वह चाय ऐसे बनाता है जैसे चाय बनाना कोई जल्दबाजी का काम न होकर कोई आनंदपूर्ण उत्सव हो। चाय पीने वाले वहाँ बैठकर चाय को बहुत धीरे एक-एक घूँट का मजा लेकर पीते हैं। उस चायपान में एक प्रकार का आनंद है।
परियोजना कार्य
1- भारत के नक्शे पर वे स्थान अंकित कीजिए जहाँ चाय की पैदावार होती है। इन स्थानों से संबंधित भौगोलिक स्थितियों और अलग-अलग जगह की चाय की क्या विशेषताएँ हैं, इनका पता लगाइए और परियोजना पुस्तिका में लगाइए।
उत्तर- परीक्षोपयोगी नहीं।
संकेत : दार्जिलिंग, सिक्किम, आसाम, हिमाचल प्रदेश, केरल (मुन्नार) दिखाएँ।