कर चलें हम फ़िदा भावार्थ व बहुविकल्पीय प्रश्न

इस पोस्ट में हमलोग कर चलें हम फिदा कविता का भावार्थ, बहुविकल्पीय प्रश्न, पठित पद्यानश के mcq को पढ़ेंगे| कर चले हम फिदा कविता क्लास 10 के स्पर्श भाग 2 से लिया गया है| इस कविता के कवि कैफ़ी आजमी हैं|

कर चले हम फिदा कविता का भावार्थ क्लास 10 स्पर्श  

कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

कर चलें हम फिदा भावार्थ व व्याख्या– बलिदानी सैनिक कहता है-हे मेरे फौज़ी साथियो! मैं और मेरे अन्य सैनिक साथी अपने देश की सुरक्षा के लिए अपना शरीर और प्राण न्योछावर करके इस दुनिया से जा रहे हैं। अब यह देश तुम्हारे हवाले है। तुम्हीं इसकी रक्षा करना । यद्यपि देश के लिए लड़ते-लड़ते हमारी साँस रुकने लगी थी, नसें ठंड के कारण जमने लगी थीं, फिर भी हम बर्फ से ढकी सीमाओं पर आगे ही आगे बढ़ते चले गए। देश की सुरक्षा करते हुए हमारे सिर कट भी गए तो हमें इसका कोई दुख नहीं। हमें प्रसन्नता है कि हमने जीते-जी हिमालय का सिर नहीं झुकने दिया। मरते समय भी हमारे मन में बलिदान और संघर्ष का जोश बना रहा। हम बलिदान होकर दुनिया से जा रहे हैं। अतः अब देश की बागडोर तुम्हारे हाथ में है। इसकी रक्षा करना।

कर चलें हम फिदा बहुविकल्पीय प्रश्न क्लास 10 स्पर्श 

1- ‘कर चले हम फ़िदा’ में ‘हम’ से क्या आशय है?
(क) भारत के नेता
(ख) स्वतंत्रता सेनानी
(ग) बलिदानी वीर
(घ) शत्रु सैनिक।

2- बलिदानी वीरों ने अपनी जान किसलिए न्योछावर कर दी?
(क) धर्म के लिए
(ख) जाति के लिए
(ग) स्वदेश के लिए
(घ) मान-सम्मान के लिए।

3- नब्ज़ जमने का क्या कारण रहा होगा?
(क) खून का रुकना
(ख) नस का कटना
(ग) ठंड के कारण खून का जमना
(घ) खून का दौरा तेज होना ।

4- सर कटने पर भी सैनिक को गम क्यों नहीं है?
(क) उसने अपना मान बचा लिया।
(ख) उसने हिमालय की रक्षा कर ली।
(ग) उसने शत्रु का संहार कर दिया।
(घ) उसने नारी की इज्जत बचा ली

5- बाँकपन’ का आशय है-
(क) सौंदर्य
(ख) स्वाभिमान
(ग) संघर्ष – शक्ति
(घ) वक्रता।

उत्तर- 1. (ग) 2. (ग) 3. (ग) 4. (ख) 5. (ख)

ज़िंदा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनों को रुस्वा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुलहन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

कर चलें हम फिदा भावार्थ व व्याख्या– बलिदानी सैनिक अपने अन्य सैनिक साथियों को कहता है- हे मेरे सैनिक साथियो ! ज़िंदगी जीने के तो अवसर बहुत मिलेंगे। परंतु देश के लिए बलिदान होने का पवित्र अवसर कभी-कभी आता है। आज तुम्हारे लिए बलिदान का यह पुण्य अवसर आ गया है। इस समय जो सैनिक अपने शत्रु से लड़ता हुआ खून से लथपथ नहीं होगा वह अपनी धरती के सौंदर्य और प्रेम को बदनाम करेगा। ऐसे सैनिक का देशप्रेम व्यर्थ है। आज तो देश की धरती ही तुम्हारे लिए दुलहन है। तुम्हें इसकी लाज की रक्षा करनी है। अब यह देश तुम्हारे हवाले है। इसकी रक्षा के लिए बलिदान-मार्ग पर बढ़ चलो।

कर चलें हम फिदा mcq 

1- ‘जान देने की रुत’ का क्या तात्पर्य है?
(क) देश के लिए मरने का अवसर
(ख) सत्य के लिए जान देने का अवसर
(ग) सम्मान के लिए मरना
(घ) संघर्ष करते हुए मरना ।

2- यहाँ किसके हुस्न और इश्क की चर्चा है ?
(क) अपनी प्रेमिका के
(ख) प्रभु के
(ग) मातृभूमि के
(घ) शत्रु-देश के।

3- हुस्न और इश्क को कौन बदनाम करते हैं?
(क) जो झूठे प्रेमी हैं।
(ख) जो धोखेबाज हैं।
(ग) जो बलिदान देने से डरते हैं।
(घ) जो वासना में पागल हैं।

4- जवानी के खूँ में नहाने का आशय स्पष्ट कीजिए ।
(क) जवानी का लहूलुहान होना
(ख) जवानी का जुझारु होना
(ग) जवानी का जोशीला होना
(घ) जवानी का बलिदान हेतु तैयार रहना।

5-‘आज धरती बनी है दुल्हन साथियो’ में कवि क्या प्रेरणा देता है-
(क) धरती का भोग करो
(ख) धरती की सुंदरता निहारो
(ग) धरती की मान-मर्यादा के लिए मर-मिटो
(घ) मातृभूमि का श्रृंगार करो।

उत्तर- 1. (क) 2. (ग) 3. (ग) 4. (घ) 5. (ग)

राह कुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

कर चलें हम फिदा भावार्थ व व्याख्या– बलिदानी सैनिक अन्य सैनिक साथियों को कहता है-मेरे सैनिक साथियो ! हमने देश के लिए जो बलिदान दिए हैं, उसकी राह कभी सूनी नहीं होनी चाहिए। देश के लिए मर-मिटने वाले सैनिकों के नए-नए जत्थे तैयार होते रहने चाहिएवे बलिदान के लिए सहर्ष आगे आते रहने चाहिए। एक बार हमने यह संघर्ष और बलिदान का उत्सव मना लिया तो फिर अगला उत्सव विजय का ही होगाआशय यह है कि बलिदान के पथ पर हमें विजय अवश्य प्राप्त होगीदेखो, मौत को गले से लगा रही है। आशय यह है कि संघर्षशील नवयुवक उत्साहपूर्वक बलिदान देने को तैयार हैं। आज ज़िंदगी ‘खुद आगे बढ़कर मेरे साथियो देश के लिए मर-मिटने का अवसर आया है। तुम मरने के लिए तैयार हो जाओहम तो बलिदान करके दुनिया से जा रहे हैं। अब यह देश तुम्हारे सहारे छोड़कर जा रहे हैं। इसे शत्रुओं से बचाकर रखना|

बहुविकल्पी प्रश्न-

1. ‘राह कुर्बानियों की न वीरान हो’ का आशय है-
(क) तुम कुर्बानी देकर वीरान मत होओ।
(ख) बलिदान देकर उजड़ो मत।
(ग) कुर्बानी देने वालों की कमी नहीं होनी चाहिए।
(घ) कुर्बानी देने वाले तबाह नहीं होने चाहिए।

2. ‘तुम सजाते ही रहना नए काफ़िले’ का आशय है
(क) तुम खूब सैर-सपाटा करना –
(ख) तुम संघर्ष के लिए तैयार रहना
(ग) तुम मरने के लिए तैयार रहना
(घ) तुम सभी देशहित बलिदान देने को तैयार रहना।

3. ‘फ़तह का जश्न’ का तात्पर्य है-
(क) जीत का उत्सव
(ख) संघर्ष की भावना
(ग) बलिदान की भावना
(घ) जीत की भावना ।

4. ‘ज़िंदगी मौत से मिल रही है गले’ का तात्पर्य क्या है-
(क) ज़िंदगी की मौत आ गई है।
(ख) ज़िंदगी मर रही है।
(ग) जिंदादिल लोग मर रहे हैं।
(घ) जिंदादिल लोग बलिदान के लिए तैयार हैं।

5. कवि सिर पर कफ़न बाँधने के लिए क्यों कह रहा है?
(क) मौत आने वाली है।
(ख) भूकंप आने वाला है।
(ग) देशहित बलिदान होने का समय आ गया है.
(घ) शत्रु को मारना है।

खींच दो अपने खूँ से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ़ आने पाए न रावन कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों

कर चलें हम फिदा भावार्थ व व्याख्या– देश के लिए बलिदान करने वाला सैनिक अपने अन्य जीवित साथियों से कहता है कि मेरे सैनिक मित्रो अपने खून से धरती पर एक रेखा खींच दो। आशय यह है कि तुम अपने बलिदान से शत्रु को सीमा के बाहर ही रोक दी। हमारी सीमा के अंदर फिर-से कोई रावण न घुस आए। फिर से कोई अत्याचारी आक्रमणकारी हमारे देश में न घुस आए। अगर किसी आक्रमणकारी का हाथ हम पर प्रहार करता है तो उसे तोड़ कर रख दो। सावधान रहो, कहीं कोई शत्रु सीता के दामन पर हाथ न लगा पाए। तुम्हीं राम हो, तुम्हीं लक्ष्मण हो। स्वयं को पहचानो। तुम्हीं भारत के रक्षक हो, रखवाले हो। अब हम यह देश तुम्हारे हवाले करके दुनिया से जा रहे हैंइसकी रक्षा करना ।

कर चलें हम फिदा बहुविकल्पी प्रश्न

1. खूँ से ज़मीं पर लकीर खींचने का क्या आशय है?
(क) खून बिखराना
(ख) शत्रुओं का खून करना
(ग) अपने खून से रेखा खींचना
(घ) अपने बलिदान से सीमा की रक्षा करना।

2. रावण किसे कहा गया है?
(क) भारत को
(ख) बंगलादेश को
(ग) पाकिस्तान को
(घ) चीन को ।

3. हाथ उठने का आशय है-
(क) विपत्ति आना
(ख) आक्रमण होना
(ग) संघर्ष होना
(घ) मित्रता होना

4. ‘छू न पाए सीता का दामन कोई’ का अर्थ है-
(क) सीता का अपमान न हो।
(ख) मर्यादा पर आँच न आए।
(ग) भारत माता का अपमान न हो
(घ) लाज की रक्षा हो।

5. राम-लक्ष्मण यहाँ किसके प्रतीक हैं?
(क) रिश्तेदारों के
(ख) मर्यादा -रक्षकों के
(ग) संस्कृति के
(घ) हिंदू धर्म के

उत्तर- 1. (घ) 2. (ग) 3. (ख) 4. (ग) 5. (ख)

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