स्पर्श भाग 2 चैप्टर 1 व्याख्या व बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रस्तुत साखी कबीरदास द्वारा रचित कक्षा 10 के स्पर्श भाग 2 से लिया गया है। कबीरदास भक्तिकाल के निर्गुण धारा के अन्तर्गत ज्ञानाश्रयी शाखा के कवि हैं।
ऐसी बॉंणी बोलिये, मन का आपा खोइ।
अपना तन सीतल करै, औरन कौं सुख होइ॥
प्रसंग– प्रस्तुत साखी में कबीरदास वाणी की महत्ता को बताते हुए कहते हैं कि-
भावार्थ व व्याख्या– हमें ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जिसे सुनकर लोगों का अहंकार दूर हो जाय। यदि हम मधुर वाणी बोलेंगे तो उस वाणी से हमारा शरीर शीतल तो होगा ही और साथ-साथ दूसरे लोग भी इस वाणी से सुख प्राप्त करेंगे।
बहुविकल्पीय प्रश्न mcq
1- ‘बाणी’ की शुद्ध वर्तनी छाँटिए-
(क) बानी
(ख) वाणी
(ग) वाणी
(घ) वानी
2- ‘बाँणी’ का अर्थ है-
(क) बहन
(ख) तीर
(ग) रस्सी
(घ) बोली
3- ‘मन का आपा’ खोने का आशय है-
(क) अपनत्व खोना
(ख) स्वयं डूब जाना
(ग) अहंकार खोना
(घ) लीन होना
4- इस दोहे में है-
(क) उपदेश
(ख) निर्देश
(ग) आदेश
(घ) सुझाव
5- कबीर किस वाणी का समर्थन करते हैं?
(क) जो औरों को सुख दे
(ख) जो सबको सुख दे
(ग) जो स्वयं को सुख दे
(घ) जो खरी-खरी सुनाए
उत्तर- 1. (ख) 2. (घ) 3. (ग) 4. (क) 5. (ख)
कस्तूरी कुंडल बसै, मृग ढूँढै बन माँहि ।
ऐसैं घटि घटि रॉंम है, दुनिया देखैं नाहिं॥
प्रसंग- ईश्वर सभी मनुष्य के अंतर्मन में निवास करता है। इसकी तुलना कबीरदास मृग की नाभि में बसने वाली कस्तूरी की सुगंध से करते हुए कहते हैं कि-
भावार्थ व व्याख्या- मृग की नाभि में कस्तूरी की सुगंध रहती है लेकिन मृग उस सुगंध को प्राप्त करने के लिए वन-वन भटकता रहता है और उसे वह सुगंध नहीं मिलती है। इसी प्रकार से परमात्मा सृष्टि कण-कण में निवास करता है लेकिन दुनिया के लोग उसे देख नहीं पाते हैं। जिसे ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है वह उस परमात्मा को देख भी लेता है और उसे प्राप्त भी कर लेता है।
बहुविकल्पीय प्रश्न mcq
1- ‘कस्तूरी ‘ किसे कहते हैं?
(क) शांति
(ख) सुगंध
(ग) सुगंधित द्रव्य
(घ) आनंद
2- कस्तूरी कहाँ बसती है?
(क) जंगल में
(ख) मनुष्य की नाभि में
(ग) मानव के मन में
(घ) मृग की नाभि में
3- ‘कस्तूरी’ किसकी प्रतीक है?
(क) आनंद की
(ख) परमात्मा की
(ग) आत्मा की
(घ) संतोष की
4- मृग किसका प्रतीक है?
(क) अज्ञानी जीव का
(ख) आध्यात्मिक जीव
(ग) भक्त का
(घ) भ्रष्ट व्यक्ति का
5- इस दोहे का भावार्थ है-
(क) परमात्मा जंगल में है
(ख) संसार व्यर्थ है
(ग) परमात्मा मन में ही है
(घ) संसार नश्वर है
उत्तर- 1. (ग) 2. (घ) 3. (ख) 4. (क) 5. (ग)
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नॉंहिं।
सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि॥
कबीर की साखी प्रसंग– कबीरदास हरि के सानिध्य से अहंकार के समाप्त होने की बात करते हुए कहते हैं कि-
कबीर की साखी भावार्थ व व्याख्या– जब मेरे अंदर अहंकार था तब मेरे साथ ईश्वर नहीं था और आज जब मेरे साथ ईश्वर है तब मेरे साथ अहंकार नहीं है। इसी प्रकार से जब हमने ज्ञान रूपी दीपक को देख लिया तब हमारी अंदर से अज्ञानता रूपी अंधकार समाप्त हो गया।
कबीर की साखी बहुविकल्पीय प्रश्न mcq
1- मैं का क्या अर्थ है?
(क) कबीर
(ख) मनुष्य
(ग) अहंकार
(घ) ममता
2- हरि’ का आशय है-
(क) हिरण
(ख) हरियाली
(ग) ईश्वर
(घ) मृग
3- अँधियारा मिटने का आशय है-
(क) अज्ञान नष्ट हो गया
(ख) प्रकाश हो गया
(ग) दुख दूर हो गए
(घ) सुख मिल गए
4- ‘दीपक देख्या माहि’ का आशय है-
(क) आनंद भीतर देख लिया
(ख) परमात्मा मन में ही देख लिया
(ग) सुख मन में ही मिल गया।
(घ) सांसारिक भोग अपने हाथ में ही है।
5- इस दोहे का आशय है-
(क) प्रभु प्रेम के लिए साधना आवश्यक है।
(ख) प्रभु प्रेम के लिए अहंकार-त्याग आवश्यक है।
(ग) प्रभु प्रेम के लिए हरि का भजन आवश्यक है।
(घ) अज्ञान में रहकर प्रभु नहीं मिल सकते।
उत्तर- 1. (ग) 2. (ग) 3. (क) 4. (ख) 5. (ख)
सुखिया सब संसार है, खायै अरू सोवै।
दुखिया दास कबीर है, जागै अरू रोवै॥
कबीर की साखी प्रसंग– प्रस्तुत साखी में कबीरदास भौतिकवादी संसार और आध्यात्मिक संसार के विषय में बताते हुए कहते हैं कि-
कबीर की साखी भावार्थ व व्याख्या– यह संसार भौतिक वस्तुओं में फँसकर सुख का अनुभव करता है। उसकी केवल और केवल यही सोच रहती है कि हम सुखपूर्वक खायें और सौवें। कबीरदास जी कहते हैं कि जो परमात्मा की खोज में रहता है वह चिंतित रहता है और नित्य प्रति जागता है और उसे प्राप्त करने के लिए वह रोता भी है।
कबीर की साखी बहुविकल्पीय प्रश्न mcq
1- सुखी कौन है?
(क) भोगी संसार
(ख) नींद में खोया संसार
(ग) सारा संसार
(घ) खाने और सोने में लीन संसार
2- कबीर संसार के बारे में क्या कहना चाहते हैं?
(क) संसार के लोग भटके हुए हैं।
(ख) संसार के लोग सांसारिक सुखों में लीन हैं।
(ग) संसार के लोग सांसारिक सुखों में लीन होकर ईश्वर को भूले हुए हैं।
(घ) संसार नश्वर है।
3- कबीर दुखिया क्यों है?
(क) सुखों के अभाव में
(ख) नींद न आने के कारण
(ग) परमात्मा के अभाव में
(घ) परमात्मा के वियोग में
4- ‘जागे’ का प्रतीकार्थ है-
(क) प्रभु के प्रति सजग होना
(ख) नींद न आना
(ग) प्रबुद्ध होन
(घ) अधिकारों के प्रति सजग होना
5- ‘रोवै’ का आशय है-
(क) प्रभु की वियोग- पीड़ा में लीन
(ख) अभावों के कारण दुखी
(ग) लोगों का अज्ञान देखकर दुखी
(घ) अशांत
उत्तर- 1. (घ) 2. (ग) 3. (घ) 4. (क) 5. (क)
बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।
राम बियोगी न जीवै, जीवै तो बौरा होइ॥
प्रसंग- कबीरदास परमात्मा से अलग होकर एक भी। क्षण न जीने की बात करते हुए कहते हैं कि-
भावार्थ व व्याख्या- जब परमात्मा का विरह रूपी सर्प शरीर में डँस लेता है तो दुनिया का कोई मंत्र काम नहीं करता। उसी प्रकार से राम का सच्चा भक्त राम के वियोग में नहीं जी पाता है। किसी तरह अगर वह जी। जीता है तो पागल हो जाता है।
कबीर की साखी बहुविकल्पीय प्रश्न mcq
1- ‘भुवंगम’ किसे कहा गया है ?
(क) साँप को
(ख) तड़प को
(ग) वियोग को
(घ) संकट को
2- ‘मंत्र न लागै कोई’ का आशय है-
(क) कोई पूजा काम नहीं आती।
(ख) कोई शक्ति काम नहीं आती।
(ग) कोई उपाय काम नहीं आता।
(घ) अंधविश्वास बेकार है।
3- राम- बियोगी कौन होता है?
(क) जो राम की भक्ति नहीं करता।
(ख) जो राम का नाम नहीं लेता।
(ग) जो ईश्वर को पाने के लिए तड़पता है।
(घ) जो राम के वियोग में जीवित रहता है।
4- ‘राम- बियोगी ना जिवे’ का क्या आशय है?
(क) राम के विरह में तड़पने वाला मनुष्य मर जाता है।
(ख) राम के विरह में तड़पने वाला मनुष्य सांसारिक आनंद नहीं ले पाता।
(ग) लोग राम-विरही के दुश्मन हो जाते हैं।
(घ) राम-विरही आत्मघात कर लेता है।
5- ‘बौरा होइ’ का आशय है-
(क) पागल होना
(ख) प्रभु प्रेम में पागल होना
(ग) पागलों-सी हरकतें करना
(घ) दौरा पड़ना
उत्तर- 1. (क) 2. (ग) 3. (ग) 4. (ख) 5. (ख)
निंदक नेड़ा राखिये, आँगणि कुटी बँधाइ।
बिन साबण पॉंणीं बिना, निरमन करै सुभाइ॥
प्रसंग- कबीरदास निंदा करने वाले व्यक्ति की प्रतिष्ठा या महत्ता को स्थापित करते हुए कहते हैं की-
भावार्थ व व्याख्या- हमें निंदक या आलोचक व्यक्ति को सदैव अपने पास रखना चाहिए। संभव हो तो उनको अपने घर में या बग़ल में कुटिया बनाकर रखना चाहिए। क्योंकि निंदक व्यक्ति बिना साबुन और पानी के हमारे स्वभाव को पवित्र कर देते हैं। अर्थात् निंदक व्यक्ति के द्वारा आलोचना करने पर हमें अपनी गलतियों का पता चल जाता है और समय रहते हम उस गलती को सुधार लेते हैं।
कबीर की साखी बहुविकल्पीय प्रश्न mcq
1- ‘नेड़ा’ का आशय है-
(क) पास
(ख) दूर
(ग) परेशान
(घ) प्रसन्न
2- निंदक के बारे में कवि की क्या राय है-
(क) उसकी कुटिया में आँगन अवश्य होना चाहिए ।
(ख) निंदक के आँगन में कुटिया अवश्य होनी चाहिए।
(ग) निंदक को अपने आँगन से दूर रखना चाहिए ।
(घ) निंदक को अपने आँगन के पास ही रखना चाहिए।
3- निंदक का लाभ क्या है?
(क) दूसरों की निंदा करना
(ख) अपनी निंदा करना
(ग) दूसरों का स्वभाव शुद्ध करना
(घ) अपने दोषों को पवित्र करना ।
4- ‘सुभाइ’ का तात्पर्य है-
(क) स्वभाव
(ख) अच्छा भाई
(ग) आदत से
(घ) शुभ
5- कवि का आशय है-
(क) निंदक – जन हमारी आलोचना करके हमारी आत्मा को शुद्ध करते हैं।
(ख) निंदक – जन निंदा द्वारा स्वयं शुद्ध हो जाते हैं
(ग) निंदक-जन सबको शुद्ध कर देते हैं।
(घ) निंदक-जन साबुन और पानी की बचत करते हैं।
उत्तर- 1. (क) 2. (घ) 3. (ग) 4. (क) 5. (क)
पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुवा, पंडित भया न कोइ।
ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होइ॥
प्रसंग- कबीरदास केवल और केवल किताबों में खोए रहने वाले व्यक्तियों की आलोचना करते हुए कहते हैं कि-
भावार्थ व व्याख्या- कबीरदास जी कहते हैं कि संसार के बहुत से लोग ज्ञान की भिन्न-भिन्न किताबों को पढ़कर मर गए। लेकिन वो वास्तविक ज्ञान कोई नहीं प्राप्त कर पाया। कबीरदास के अनुसार सच्चा ज्ञानी वही है जिसने ढाई अक्षर से बने प्रेम के शब्द को समझ लिया है।
कबीर की साखी बहुविकल्पीय प्रश्न mcq
1- ‘पोथी पढ़ने में क्या व्यंग्य है?
(क) रटना
(ख) बिना सोचे याद करना
(ग) बिना समझे पढ़ना
(घ) पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करना
2- ‘पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा’ का आशय है-
(क) पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करके लोग मर गए ।
(ख) लोग किताबें रहते-रहते मर गए।
(ग) पुस्तकीय ज्ञान से कोई भी ज्ञान नहीं पा सका ।
(घ) पुस्तकीय ज्ञान जान निकाल लेता है।
3- ‘ऐकै अषिर’ किसे कहा गया है?
(क) सत्य
(ख) ज्ञान
(ग) ईश्वर
(घ) भक्ति
4- पंडित होने के लिए क्या आवश्यक है?
(क) पुस्तक का ज्ञान होना
(ख) शास्त्र – ज्ञान होना .
(ग) ग्रंथ पढ़ना
(घ) परमात्म-ज्ञान होना ।
5- कवि क्या कहना चाहता है?
(क) सच्चा ज्ञान पुस्तकों में नहीं।
(ख) ज्ञानी बनने के लिए अक्षर ज्ञान आवश्यक है।
(ग) ज्ञानी बनने के लिए परमात्मा का बोध आवश्यक है।
(घ) अपने प्रियतम को ही ज्ञान समझो।
उत्तर- 1. (घ) 2. (ग) 3. (ग) 4. (घ) 5. (ग)
हम घर जाल्या आपणाँ, लिया मुराड़ा हाथि।
अब घर जालौ तास का, जे चलै हमारे साथि॥
प्रसंग- कबीरदास मोहमाया को मानवीय विकार मानते हुए उसे समाप्त करने की प्रेरणा देती हुए कहते हैं कि-
भावार्थ व व्याख्या- हमने अपने मोह माया रूपी घर को हाथ में ज्ञान रूपी मशाल को लेकर जला दिया है अर्थात समाप्त कर दिया है। जो हमारे साथ चलेगा हम उसके भी मोह माया रूपी घर को जला देंगे अर्थात समाप्त कर देंगे
कबीर की साखी बहुविकल्पीय प्रश्न mcq
1- ‘घर जलाने’ का क्या आशय है-
(क) घर को जला डालना
(ख) घुमक्कड़ बनना
(ग) सांसारिकता त्याग देना
(ख) सर्वनाश का
2- ‘मुराड़ा’ किसका प्रतीक है?
(क) ध्वंस का
(ख) सर्वनाश करना
(ग) आत्मज्ञान का
(घ) परमात्मा का
3- कवि ने अपना घर क्यों जला लिया?
(क) वैरागी होने के लिए
(ख) सांसारिकता नष्ट करने के लिए
(ग) प्रभु को पाने के लिए
(घ) मुक्ति पाने के लिए
4- कवि किसका घर जलाना चाहते हैं?
(क) जो दुष्ट हैं।
(ख) जो प्रभु को नहीं मानते।
(ग) जो वैरागी हैं।
(घ) जो प्रभु को पाना चाहते हैं।
5- कबीर किस पथ के पथिक हैं?
(क) आनंद-पथ के
(ख) प्रभु प्राप्ति के
(ग) सुख-समृद्धि के
(घ) उन्नति पथ के
उत्तर- 1. (ग) 2. (ग) 3. (ग) 4. (घ) 5. (ख)