डायरी का एक पन्ना अन्य प्रश्न / extra questions dayari ka panna
1- डायरी का एक पन्ना’ पाठ में क्या संदेश दिया गया है ?
उत्तर- भारत को संघर्ष और बलिदान से स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। यह पाठ इसके लिए प्रमाण है। यद्यपि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की घोषणा कर दी थी, किंतु अंग्रेज़ शासक आसानी से मानने वाले नहीं थे। उन्होंने भारतीय आंदोलन को दबाने की भरसक कोशिश की। जहाँ सरकार का वश चला, उसने आंदोलनकारियों पर लाठियाँ बरसाईं, उन्हें पकड़ा-धकड़ा और जेलों में बंद किया। परंतु जब भारतीय लोगों पर स्वतंत्रता का नशा पूरी तरह सवार हो गया, तो आज़ादी प्राप्त हो सकी। इसके लिए भारतीय लड़कियों, विद्यार्थियों, व्यापारियों, नारियों और सभी वर्गों के लोगों ने लाठियाँ खाईं, घरबार छोड़े, त्याग किया, बलिदान दिया; तब कहीं जाकर अंग्रेज़ों को वापस लौटना पड़ा।
2- मोनुमेंट की जगह पुलिस ने सुबह से ही घेरा क्यों डाल लिया था ?
उत्तर- कौंसिल ने सरकार के आदेश के विरुद्ध मोनुमेंट के नीचे राष्ट्रीय झंडा फहराने की प्रतिज्ञा की थी। पुलिस कमिश्नर ने हर हाल में इस कोशिश को रोकने की कोशिश की थी। इसी कारण पुलिस ने सुबह से ही मोनुमेंट की जगह घेरा डाल दिया था।
3- आज़ादी के संघर्ष में विद्यार्थियों की क्या भूमिका थी?
उत्तर- आज़ादी के संघर्ष में विद्यार्थियों की भूमिका भी महत्त्वपूर्ण थी। मारवाड़ी बालिका विद्यालय जैसे अनेक विद्यालयों में लड़कियों ने झंडोत्सव मनाया था। उन्हें जानकीदेवी, मदालसा जैसी नेत्रियों ने संबोधित किया था। बंगाल प्रांतीय विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू ने भी झंडा फहराने में अग्रणी भूमिका निभाई थीइससे पता चलता है कि स्वतंत्रता संघर्ष में विद्यार्थियों का भी भरपूर योगदान था।
4- सुभाष बाबू को किस लॉकअप में भेजा गया? क्यों?
उत्तर- सुभाष बाबू को सन् 1931 को स्वतंत्रता दिवस मनाने के अपराध में लालबाज़ार लॉकअप में बंद किया गया।
5- स्त्रियों ने जुलूस में किस प्रकार भाग लिया? ‘डायरी का एक पन्ना’ के आधार पर बताइए।
उत्तर- एक तरफ तो मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने अपने विद्यालय में झंडोत्सव मनाया, जिसमें जानकी देवी, मदालसा आदि स्त्रियों ने भाग लिया। दूसरी तरफ जब पुरुषों के जुलूस को पुलिस ने रोक लिया तथा उन पर लाठियाँ बरसानी शुरू कर दी तब स्त्रियों का जुलूस आगे बढ़ा और पुलिस की लाठियाँ खाता हुआ अपने निश्चित स्थान पर पहुँच गया और झंडा फैराया।
6- 26 जनवरी, 1931 को कितनी नारियों ने संघर्ष किया?
उत्तर- 26 जनवरी, 1931 को कोलकाता में अनगिनत नारियों ने संघर्ष में भाग लिया। कितनी ही महिलाओं ने अपने-अपने मोर्चे बनाकर जुलूस निकाले और सभास्थल की ओर बढ़े। बहुत ही बड़ी संख्या में नारियाँ मोनुमेंट के नीचे एकत्र हो गईंउनमें से कुछ नारियों ने निर्धारित समय पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और प्रतिज्ञा पढ़ दी। 105 स्त्रियों को पुलिस ने पकड़ कर लालबाज़ार लॉकअप में बंद कर दिया था।
7- कलकत्ता के नाम पर कलंक क्या था?
उत्तर- कलकत्ता के नाम यह कलंक था कि यहाँ के निवासियों ने स्वतंत्रता के लिए विशेष कुछ कार्य नहीं किया है।
8- लेखक की ‘डायरी का एक पृष्ठ’ भावी पीढ़ी को किस प्रकार प्रेरित करता है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- ‘डायरी का एक पृष्ठ’ में अंग्रेज़ों के शासनकाल में हुए स्वतंत्रता आंदोलन का वर्णन है। इसे पढ़कर देश की भावी पीढ़ी के मन में भी देशभक्ति और स्वतंत्रता की भावना जाग उठती है। वे भी स्वतंत्रता के लिए कुछ कर गुजरने हेतु तैयार हो जाते हैं।
9- मैदान में सभा न होने देने के लिए पुलिस बंदोबस्त का विवरण देते हुए सुभाष बाबू के जुलूस और उनके साथ पुलिस के व्यवहार की चर्चा कीजिए ।
उत्तर- पुलिस कमिश्नर ने मैदान में सभा न होने देने का नोटिस निकाल दिया। उसने भारी मात्रा में पुलिस बल को बुला लिया। उसके बावजूद सुभाष बाबू के नेतृत्व में जुलूस निकला। पुलिस ने जुलूस को रोका परंतु कार्यकर्ता नहीं रुके। पुलिस ने लाठीचार्ज किया। अनेक कार्यकर्ताओं को चोट आई। सुभाष बाबू भी घायल हुए। उन्हें पकड़कर लाल बाज़ार के लॉकअप में भेज दिया गयापुलिस का यह व्यवहार देश के विरुद्ध था और अत्याचारपूर्ण था।
10- ‘डायरी का एक पन्ना’ पाठ के आधार पर लिखिए कि 26 जनवरी, 1931 को सारे हिंदुस्तान में कौन-सा स्वतंत्रता दिवस मनाया गया और उस दिन बड़े बाजार का दृश्य कैसा था?
उत्तर- 26 जनवरी, 1931 को सारे भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। कांग्रेस ने अंग्रेज़ों को भारत छोड़ने की ललकारपूर्ण चुनौती दीकोलकाता के बड़े बाज़ार का दृश्य बहुत जोशपूर्ण था । प्रायः सभी मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहराया गया था। कई मकान ऐसे सजे थे मानो स्वतंत्रता मिल गई हो। पुलिस भी पूरी शक्ति से गश्त लगा रही थी। फिर भी लोगों का उत्साह कम नहीं होता था। सुबह से ही झंडा गाड़ने और पुलिस के लाठीचार्ज का खेल शुरू हो गया। अनेक लोगों के सिर फट गए। फिर भी स्वतंत्रता का उत्साह कम नहीं हो रहा था।
11- दूसरे स्वतंत्रता दिवस पर बड़े बाजार में क्या बदलाव देखने को मिले?
उत्तर- दूसरे स्वतंत्रता दिवस पर बड़े बाज़ार में काफी उत्साह था। बड़े बाज़ार के काफी मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहरा रहा था। कई मकान ऐसे सजाए गए थे मानो स्वतंत्रता मिल गई हो। सभी रास्तों पर नवीन उत्साह दिखाई देता था। पुलिस के भारी-भरकम प्रबंध के बावजूद कार्यकर्ता उत्साह में थे।
12- ‘डायरी का एक पन्ना’ के माध्यम से आपने गुलाम भारत के स्वतंत्रता दिवस के आयोजन के विषय में जाना। आज हम आज़ाद भारत में आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। देश के प्रति अपने कर्तव्यों को बताते हुए पाठ से प्राप्त सीख का वर्णन कीजिए।
उत्तर- अपने देश के प्रति हम सबका कर्तव्य है कि-
• हम अपनी शक्तियों को, जीवन को और अपने गुणों को देश की स्वतंत्रता और समृद्धि के लिए अर्पित करें।
• हम अपने देश को स्वच्छ, ईमानदार और गौरवशाली बनाने के लिए हर संभव प्रयत्न करें।
• हम कोई ऐसा काम न करें जिससे देश को बट्टा लगे।