भक्तिन पाठ का सार या सारांश कक्षा 12

भक्तिन पाठ का सार या सारांश कक्षा 12 आरोह भाग 2

‘भक्तिन’ पाठ महादेवी वर्मा द्वारा लिखित संस्मरणात्मक रेखाचित्र है जो इनकी रचना ‘स्मृति की रेखाएं’ से लिया गया है।भक्तिन पाठ में महादेवी वर्मा ने अपनी सेविका भक्तिन के अतीत और वर्तमान का परिचय देते हुए उसके व्यक्तित्व का बहुत ही दिलचस्प चित्रण किया है।

भक्तिन के विषय में लेखिका बताते हुए कहती है कि भक्तिन छोटे क़द की दुबले शरीर वारी महिला है। मुझसे उसका वैसा ही लगाव है जैसा लगाव हनुमान का श्रीराम के प्रति था। जब हमारे यहाँ वह काम के लिए आयी थी तब उसने अपना वास्तविक नाम लक्ष्मी बताया था और उसने निवेदन किया था कि हमारे इस वास्तविक नाम को कहीं भी उजागर न किया जाए। इसके सेवाभाव को देखते हुए हमने इसका नामकरण भक्तिन कर दिया। भक्तिन ऐतिहासिक स्थल झूसी की रहने वाली थी। यह अपने माता-पिता की इकलौती बेटी थी। भक्तिन के पिता ने पाँच वर्ष की अवस्था में हंडिया ग्राम में इनका विवाह कर दिया। माता ने नौ वर्ष की अवस्था में ही इनका गंवाना देकर इन्हें विदा कर दिया। इनके पिता इनसे असीम प्रेम करते थे। पिता की मृत्यु का समाचार इनकी सास इन्हें नहीं बताती है। बाद में इनकी सास इनसे कहती है की मायके चली जाओ लोगों से थोड़ा मिल-जुल लो। इस बात को सुनकर वह बहुत ख़ुश होती है। जैसे ही वह अपने गाँव के समीप पहुँचती है उसे लोगों द्वारा पता चलता है कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है। वह घर न जाकर वही से ससुराल लौट जाती है और ससुराल में आकर अपने सारे गहने और वस्त्र-आभूषणों को फेंक देती है।

ससुराल में भक्तिन तीन बहुओं में सबसे छोटी है। उसकी आर्थिक स्थित बहु ठीक नहीं है। भक्तिन को लगातार तीन बेटियां पैदा होती है। भक्तिन की जेठानीयों के पति अपनी पत्नियों से ज़्यादा प्रेम नहीं करते हैं। समय-समय पर वह उन्हें मारते-पीटते रहते हैं लेकिन भक्तिन के पति भक्तिन से बहुत प्रेम करते हैं। उसी प्रेम की बल पर भक्तिन घर से अपना हिस्सा लेकर अलग रहने लगती है और वह सूखपूर्वक रहने रहती है।

भक्तिन के प्रति अपनी बड़ी बेटी का विवाह कर देते हैं। कुछ समय के बाद भक्तिन के पति की मृत्यु हो जाती है। भक्तिन अपने दामाद को घरजमाई बना लेती है और वह अपनी बची हुई दो बेटियों का विवाह कर देती है। भक्तिन की जेठानीयों से भक्तिन का सुख देखा नहीं जाता उसकी जेठानीयां उसे तरह-तरह से परेशान करने का प्रयास करती है लेकिन भक्तिन बहुत ही निडर, बेबाक और तेजस्वी बयान वाली महिला है। कुछ समय के बाद भक्तिन के दामाद की भी मृत्यु हो जाती है।यही से भक्तिन की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगती है घर की बिगड़ती हुई आर्थिक स्थिति को देखते हुए भक्तिन काम की तलाश में शहर आती है और मुझ से मिलती है मैंने भक्तिन को काम पर रख लिया।

भक्तिन ग्रामीण परिवेश में रहने वाली बेबाक़ महिला है वह हर जगह अपने सिद्धांतों को अपनी नियमों को लागू करना चाहती है लेकिन मुझे उसके इस व्यवहार का कोई बुरा नहीं लगता क्योंकि वह मेरी सेवा सच्ची निष्ठा और पूरी लगन से करती है।इधर-उधर पड़े वे मेरे पुस्तकों को वह क्रम से रख देती है भक्तिन कंजूस स्वभाव की भी महिला है वह घर में पड़े हुए पैसे को बचाकर अपने पास रख लेती है और जब कभी ज़रूरत पड़ता है तो वह हमें उन पैसों को दे देती है। लेखिका ने इस पाठ में सोना नामक हिरनी, बसन्त नामक कुत्ता, गोधूली नामक बिल्ली का चित्रण किया हुआ है। भक्तिन को कारागार से बहूत ही ज़्यादा डर लगता है भक्तिन बातचीत में हमेशा क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग करती है क्योंकि वह अनपढ़ है।

भक्तिन अवस्था में हमसे बहुत बड़ी थी इसलिए उसकी मृत्यु ने उसको जल्दी बुला लिया। आगे लेखिका कहती है कि भक्तिन की कहानी अधूरी है पर उसे खोकर मैं इसे पूरी नहीं करना चाहती हूँ।

भक्तिन पाठ के प्रश्न उत्तर 
⇒भक्तिन पाठ के बहुविकल्पीय प्रश्न
क्लास 12 आरोह और वितान
bhaktin path ka saransh, summary of bhaktin 

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