जामुन का पेड़ पाठ का प्रश्न उत्तर
जामुन का पेड़ पाठ के साथ
1- बेचारा जामुन का पेड़ । कितना फलदार था ।
और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।
(क) ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?
(ख) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?
उत्तर
(क) जब व्यापार-विभाग के लॉन में जामुन का एक पेड़ आँधी आने के कारण गिर गया तब वहाँ के क्लकों द्वारा यह संवाद कहा गया।
(ख) इससे पता चलता है कि वे अपने स्वार्थ सिद्ध करने वाले तत्त्वों का ही बखान करने वाले हैं किसी ने मरने-जीने की ओर वे ध्यान नहीं देते।
2- दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात केसे पता चली और इस जानकारी का फ्राइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?
उत्तर– जब दबे हुए व्यक्ति ने माली को मिर्जा गालिब का एक शेर सुनाया तब इस बात का खुलासा हुआ कि दबा हुआ व्यक्ति एक कवि है। पताचलने के बाद फ़ाइल को सांस्कृतिक विभाग में भेजा गया।
3- कृषि विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?
उत्तर – कृषि विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे तर्क दिया कि जामुन एक फलदार पेड़ है, अनाज और खेती-बाड़ीके मामले कृषि विभाग के होते हैं जबकि फलदार पेड़ संबंधी मामले उद्यान कृषि विभाग के अधीन आते हैं।
4- इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाज़ा मिलता है?
उत्तर– इस पाठ में व्यापार विभाग, कृषि विभाग, उद्यान कृषि विभाग, चिकित्सा विभाग, सांस्कृतिक विभाग, साहित्य अकादमी, विदेश विभाग औरवन-विभाग आदि सरकारी विभागों की चर्चा की गई। उनके कार्य के बारे में अंदाज़ा मिलता है कि इनका विस्तार व्यर्थ है और ये संवेदनशून्यताऔर अमानवीयता से युक्त हैं।
जामुन का पेड़ पाठ के आस-पास
1- कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कब-कब होता है और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भंग होता है।
उत्तर – पहले प्रसंग में दबे हुए आदमी को निकालने के लिए माली सुझाव देता है कि पेड़ हटाकर आदमी को निकाल लेना चाहिए। उसके सुझाव से सहमत होकर बहुत-से लोग पेड़ उठाने को तैयार हो जाते हैं। लेकिन सुपरिंटेंडेंट इस विषय में अंडर सेक्रेटरी से पूछने की बात पर उनके संकल्प को भंग कर देता है।
2- यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें।
उत्तर – यह कहना पूरी तरह युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। कई प्रसंग ऐसे आए हैं जो अनायासकरुणा उत्पन्न करने वाले हैं। उदाहरण के लिए सिपाही द्वारा दया दिखाने पर माली दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाता है। माली द्वारा उसकापता पूछे जाने पर, उसका स्वयं को लावारिस बताना। दबे हुए आदमी को दो हिस्सों में काटकर निकालने की बात पर उस व्यक्ति द्वारा मर जानेकी बात कहना। साहित्य अकादमी के सेक्रेटरी यह बताता है कि दबा हुआ व्यक्ति मर भी जाए तो भी उसकी पत्नी को वज़ीफा दे दिया जाएगा।इसके लिए उस व्यक्ति को एक प्रार्थना-पत्र लिखना होगा। तब वह व्यक्ति कहता है कि मैं अभी जीवित हूँ। मुझे जिंदा रखो।
3- यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतज़ार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?
उत्तर– यदि हम माली की जगह होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतज़ार नहीं करते और पेड़ को हटाकर दबे हुए आदमी को निकाल लेते। ऐसाइसलिए करते क्योंकि सरकारी विभागों का काम पदक्रमानुसार और धीमी गति से होता है। फिर व्यवस्था के संवेदन शून्य एवं अमानवीय होने केकारण व्यक्ति की जान की कोई कीमत नहीं आँकी जाती। इस प्रक्रिया में व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसे पुनः जीवित नहीं किया जा सकता है।
जामुन का पेड़ शीर्षक सुझाइए
कहानी के वैकल्पिक शीर्षक सुझाएँ। निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखकर शीर्षक गढ़े जा सकते हैं
क– कहानी में बार-बार फाइल का जिक्र आया है और अंत में दबे हुए आदमी के जीवन की फ्राइल पूर्ण होने की बात कही गई है।
ख– सरकारी दफ्तरों की लंबी और विवेकहीन कार्यप्रणाली की ओर बार-बार इशारा किया गया है।
ग– कहानी का मुख्य पात्र उस विवेकहीनता का शिकार हो जाता है।
उत्तर– इस कहानी के वैकल्पिक शीर्षक हो सकते हैं- फ़ाइल का सफ़र, जीवन की फ़ाइल, सरकारी विभाग, दबा हुआ आदमी, कलाकार और कानून।
जामुन का पेड़ भाषा की बात
1. नीचे दिए गए अंग्रेजी शब्दों के हिंदी प्रयोग लिखिए अर्जेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, मेंबर, डिप्टी सेक्रेटरी, चीफ सेक्रेटरी, मिनिस्टर, अंडर सेक्रेटरी, हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट |
उत्तर-
अर्जेंट – आवश्यक,
फॉरेस्ट डिपार्टमेंट – वन-विभाग,
मेंबर – सदस्य,
डिप्टी सेक्रेटरी – सहायक सचिव,
चीफ सेक्रेटरी – मुख्य सचिव,
मिनिस्टर – मंत्री,
अंडर सेक्रेटरी – अवर सचिव,
एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट – कृषि विभाग,
हॉर्टीकल्चर डिपार्टमेंट – उद्यान कृषि विभाग
2. ‘इसकी चर्चा शहर में भी फैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए।’ यह एक संयुक्त वाक्य है, जिसमें दो स्वतंत्रवाक्यों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द और से जोड़ा गया है। संयुक्त वाक्य को इस प्रकार सरल वाक्य में बदला जा सकता है। ‘इसकीचर्चा शहर में फैलते ही शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए।’ पाठ में से पाँच संयुक्त वाक्यों को चुनिए और उन्हें सरल वाक्य मेंरूपांतरित कीजिए
संयुक्त वाक्य – मगर एक पुलिस कांस्टेबल को दया आ गई और उसने माली को दबे हुए आदमी को खाना खिलाने की इज़ाज़त | दे दी।
संयुक्त वाक्य – माली ने अचंभे से मुँह में उँगली दबा ली और चकित भाव से बोला ।
सरल वाक्य – माली अचंभे से मुँह में उँगली दबाकर चकित भाव से बोला।
सरल वाक्य – सेक्रेटरी के बोलने के बाद ही अपने विभाग में रिपोर्ट की।
संयुक्त वाक्य – कल फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमी आकर इस पेड़ को काट देंगे और तुम्हारी जान बच जाएगी।
सरल वाक्य – कल फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट के आदमियों द्वारा इस पेड़ को काट देने से तुम्हारी जान बच जाएगी।
संयुक्त वाक्य– सेक्रेटेरियेट का लॉन भाँति-भाँति के कवियों से भर गया और दबे हुए आदमी के चारों ओर कवि सम्मेलन का-सा वातावरण उत्पन्नहो गया।
सरल वाक्य – सेक्रेटेरियेट के लॉन में भाँति-भाँति के कवियों के आने से दबे हुए व्यक्ति के चारों ओर कवि सम्मेलन का सा वातावरण उत्पन्न होगया।
3- साक्षात्कार अपने-आप में एक विधा है। जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फ़ाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए जिम्मेदार किसी एक व्यक्ति का काल्पनिक साक्षात्कार करें और लिखें।
उत्तर
साक्षात्कारकर्ता : क्या आप ही वे सुपरिंटेंडेंट हैं जिसने माली और क्लकों को गिरा हुआ पेड़ हटाने से रोका था ।
साक्षात्कारकर्ता : आपने ऐसा क्यों किया?
सुपरिंटेंडेंट : यह मेरी ड्यूटी थी कि मेरे होते कोई गैर-कानूनी काम न हो।
साक्षात्कारकर्ता : चाहे आदमी दम तोड़ दे।
सुपरिंटेंडेंट : इसमें मैं क्या कर सकता मैंने तो उसे नीचे आने के लिए नहीं कहा?
साक्षात्कारकर्ता : आपका पीड़ित आदमी के प्रति कोई कर्तव्य नहीं बनता?
सुपरिंटेंडेंट : भाई साहब! मुझे अपने बड़े अफसरों को जवाब देना पड़ता है। वरना नौकरी से छुट्टी हो जाती ।
साक्षात्कारकर्ता : यह कहाँ लिखा है कि मरते हुए आदमी को छोड़कर ऑफिसरों और फाइलों के जंगल में खो जाओ।
सुपरिंटेंडेंट : तुम नहीं जानते सचिवालय को । यहाँ कितने ही जीवित आदमियों की जानें फाइलों में अटकी रहती हैं। लोगों की मज़बूरी तो हमारेलिए धंधा है। उसी का फायदा उठाकर ही तो ये सचिवालय और अफसर फलते-फूलते हैं।
सुपरिंटेंडेंट : यहाँ आकर सारे ही ऐसे हो जाते हैं।
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