अपू के साथ ढाई साल प्रश्न उत्तर
1. पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला?
उत्तर– पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक चला क्योंकि उस समय साधनों और साथ-साथ सत्यजीत राय के पास पैसों का भी अभाव था।
2- अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उनमें से कंटिन्युइटी नदारद हो जाती है इस कथन के पीछे क्या भाव है?
उत्तर– फ़िल्म में एक जगह पर अपू और दुर्गा द्वारा पहली बार रेलगाड़ी देखने के दृश्य की शूटिंग करनी थी। रेल लाइन के आस-पास का मैदान काश फूलों से भरा हुआ था। दुर्गा के पीछे दौड़ते-दौड़ते अपू को काश फूलों के वन में पहुँचना था। शाम होने तक केवल आधा दृश्य ही चित्रित हो पाया था। सात दिन बाद जब दोबारा वहाँ शूटिंग के लिए जाते हैं तो देखा कि जानवरों ने सारे काश फूल खा डाले हैं। यदि वहाँ पर शेष बचे दृश्य तो वह पिछले आ दृश्य से मेल नहीं कर पा रहा था और दृश्य की पूर्णता भंग हो जाती
3- किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?
उत्तर– रेलगाड़ी के एक दृश्य के लिए तीन गाड़ियों का इस्तेमाल किया। दर्शकों को अलग-अलग तीन गाड़ियों का पता न चले इसके लिए एक तरकीब निकाली गई। गाड़ी की शूटिंग की जगह पर इंजन में कोयला डालकर धुआँ निकला गया ताकि दर्शक पहचान न पाए।
एक अन्य दृश्य में भूलो कुत्ते को एक अपू और दुर्गा के पीछे दौड़ना था। लेकिन कुत्ता अपने मालिक की भी बात नहीं मान रहा था। फ़िल्म औरपैसा दोनों खराब हो रहे थे। फिर एक तरकीब सूझी। दुर्गा के हाथ में थोड़ी-सी मिठाई देकर और कुत्ते को वह मिठाई दिखाकर भागने के लिएकहा। तब कहीं जाकर कुत्ता उनके पीछे दौड़ा।
4- ‘भूलो’ की जगह दूसरा कुत्ता क्यों लाया गया? उसने फ़िल्म के किस दृश्य को पूरा किया?
उत्तर– फ़िल्म में एक दृश्य था कि अपू की माँ अपू को भात खिला रही है। भूलो कुत्ता दरवाज़े के सामने बैठा अपू का भात खाना देख रहा है। अपू तीर-कमान से खेलता हुआ चला जाता है और उसकी माँ थाली में बचे भात को गमले में डाल देती है और भूलो वह भात खाता है। लेकिन सूर्यास्त होने और पैसे समाप्त होने के कारण यह दृश्य उस दिन पूरा न हो सका । छह महीने बाद शेष दृश्य को चित्रित करने गाँव में पहुँचे तो पता चला कि भूलो कुत्ता मर चुका है । उसी गाँव में भूलो जैसे रंग-आकार का एक और कुत्ता मिल गया। अतः उस फेंके हुए भात को उसने खाया और इस प्रकार दृश्य पूरा हुआ।
5- फ़िल्म में श्रीनिवास की क्या भूमिका थी और उनसे जुड़े बाकी दृश्यों को उनके गुजर जाने के बाद किस प्रकार फ़िल्माया गया?
उत्तर– फ़िल्म में श्रीनिवास की एक घूमते हुए मिठाईवाले की भूमिका थी और उनके गुज़रने के बाद एक ऐसे सज्जन को लिया गया जिनका चेहरातो श्रीनिवास से नहीं मिलता था, लेकिन शरीर से बिलकुल वैसे ही थे। अगले दृश्य में श्रीनिवास केमरे की ओर पीठ कर मुखर्जी निवास में बने गेट के अंदर जाता है। इसी के साथ दृश्य पूरा हो जाता है।
6- बारिश का दृश्य चित्रित करने में क्या मुश्किल आई और उसका समाधान किस प्रकार हुआ ?
उत्तर– बारिश का दृश्य चित्रित करने में पैसों की कमी के कारण बहुत मुश्किल आई। पैसे न होने के कारण बरसात के दिन निकल गए और शूटिंगन हो पाई। जब पैसे इकट्ठे हुए तब अक्टूबर का महीना चल रहा था। तब बरसात की प्रतीक्षा होने लगी। एक दिन शरद ऋतु में आसमान में बादल छाए और मूसलाधार बारिश हुई। उसी बारिश में वह दृश्य चित्रित किया गया।
7. किसी फ़िल्म की शूटिंग करते समय फ़िल्मकार को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? उन्हें सूचीबद्ध कीजिए।
क- सबसे पहले फ़िल्मकार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
ख- अलग-अलग समय में एक ही दृश्य में आने वाली भिन्नता की समस्या ।
ग- बाल कलाकारों का अधिक समय तक शूटिंग चलने पर बड़े होने की समस्या ।
घ- इसी तरह से वृद्ध कलाकारों के चल बसने की समस्या
ड़- परिस्थिति और साधनों की समस्या ।
च- कलाकारों, विशेषकर जानवरों को उचित प्रशिक्षण की समस्या ।
अपू के साथ ढाई साल पाठ के आस-पास
1- तीन प्रसंगों में राय ने कुछ इस तरह की टिप्पणियाँ की हैं कि दर्शक पहचान नहीं पाते कि…. या फिल्म देखते हुए इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया कि…. इत्यादि । ये प्रसंग कौन से हैं, चर्चा करें और इसपर भी विचार करें कि शूटिंग के समय की असलियत फिल्म को देखते समय के से छिप जाती है।
उत्तर– भूलो कुत्ता, श्रीनिवास मिठाईवाला तथा रेलगाड़ियों के बदलने के प्रसंग में लेखक ने यह कहा है कि उनमें होने वाले परिवर्तन को दर्शक पहचान नहीं पाते। पहले भूलो कुत्ता शूटिंग के आधे दृश्य करके ही मर गया। तब उसकी जगह उससे मिलता-जुलता एक और कुत्ता लाया गया। फिर मिठाईवाले की भूमिका निभाने वाले श्रीनिवास की मृत्यु हो गई। उनकी जगह जो पात्र लाया गया उसका चेहरा भिन्न था। अतः उसकी पीठ दिखाकर ही काम चला लिया गया। तीसरी समस्या थी रेलगाड़ी की। दृश्य अधिक थे। एक रेलगाड़ी से काम नहीं चल सकता था। अतः तीन रेलगाड़ियों से काम लिया गया।
टिप्पणी– सचमुच वास्तविकता में और फिल्म में अंतर होता है। फिल्मों में बनावटी दृश्य होते हैं। निर्देशक विभिन्न युक्तियों का प्रयोग करके नकली को असली बनाकर दिखा देता है। वास्तविक जीवन की कड़वी सच्चाईयाँ फिल्म के रंगीन पर्दे पर प्रायः छिप जाती हैं।
2- मान लीजिए कि आपको अपने विद्यालय पर एक डॉक्यूमैंट्री फ़िल्म बनानी है। इस तरह की फिल्म में आप किस तरह के दृश्यों को चित्रित करेंगे? फ़िल्म बनाने से पहले और बनाते समय किन बातों पर ध्यान देंगे?
उत्तर– विद्यार्थी स्वयं करें।
3- पथेर पांचाली फिल्म में इंदिरा ठाकरून की भूमिका निभाने वाली अस्सी साल की चुन्नीबाला देवी ढाई साल तक काम कर सकीं। यदि आधी फ़िल्म बनने के बाद चुन्नीबाला देवी की अचानक मृत्यु हो जाती तो सत्यजित राय क्या करते? चर्चा करें।
उत्तर– यदि चुन्नीबाला देवी की अचानक मृत्यु हो जाती तो सत्यजित राय को एक और मुसीबत का सामना करना पड़ता। वे यह प्रयास करते किकहीं से चुन्नीबाला देवी जैसी कद-काठी और हमशक्ल उम्र की नयी कलाकार मिल जाए। जिस प्रकार उन्होंने भूलो कुत्ते और श्रीनिवास मिठाईवाले के विकल्प खोजकर फ़िल्म के दृश्य पूरे किए, उसी प्रकार वे चुन्नीबाला देवी का भी विकल्प ढूँढ़कर फिल्म पूरे करते
4- पठित पाठ के आधार पर यह कह पाना कहाँ तक उचित है कि फ़िल्म को सत्यजित राय एक कला-माध्यम के रूप में देखते हैं, व्यावसायिक माध्यम के रूप में नहीं ?
उत्तर– सत्यजित राय फ़िल्म को कला-माध्यम के रूप में देखते हैं, व्यावसायिक माध्यम के रूप में नहीं। यदि वे उसे व्यावसायिक माध्यम मानते होते तो किसी फ़िल्म-प्रोड्यूसर का पैसा लगवाते। पैसे के कारण सालों-सालों दृश्य की प्रतीक्षा न करते। बारिश के लिए देहात में भटकने की बजाय स्टूडियों में बने दृश्यों से काम चला लेते। इस संस्मरण में उनकी गहरी निष्ठा देखकर यों लगता है कि वे इसे कला-साधना मानते हैं पैसा कमाने का माध्यम नहीं।
अपू के साथ ढाई साल भाषा की बात
1- पाठ में कई स्थानों पर तत्सम तद्भव, क्षेत्रीय सभी प्रकार के शब्द एक साथ सहज भाव से आए हैं। ऐसी भाषा का प्रयोग करते हुए अपनी प्रिय फिल्म पर एक अनुच्छेद लिखें।
उत्तर– विद्यार्थी स्वयं करें।
2. हर क्षेत्र में कार्य करने या व्यवहार करने की अपनी निजी या विशिष्ट प्रकार की शब्दावली होती है। जैसे अपू के साथ ढाई साल पाठ में फिल्मसे जुड़े शब्द शूटिंग, शॉट, सीन आदि फिल्म से जुड़ी शब्दावली में से किन्हीं दस की सूची बनाइए ।
उत्तर– (क) केमरा, (ख) शॉट, (ग) रिकॉर्डिंग, (घ) सीन, (ङ) साउंड, (च) कंटिन्युइटी, (छ) साउंड रिकॉर्डिस्ट, (ज) तकनीशियन, (झ) शूटिंग, (ञ) फ़िल्म
3. नीचे दिए गए शब्दों के पर्याय इस पाठ में ढूँढ़िए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए
इश्तहार, खुशकिस्मती, सीन, वृष्टि, जमा
क- इश्तहार (विज्ञापन)- आज जीवन में विज्ञापन का विशेष महत्त्व है।
ख- खुशकिस्मती (सौभाग्य) – सौभाग्य की बात है कि आपके दर्शन हो गए।
ग- सीन (दृश्य)- यह दृश्य बहुत बड़ा था।
घ- वृष्टि (बारिश ) – स्पीति में बारिश न के बराबर होती है।
ड़- जमा (इकट्ठा) – बरसात का पानी तालाबों में जमा हो जाता है।
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