Face to face की हिंदी आमने-सामने। demerit की हिंदी दोष। learning की हिंदी अधिगम । सभी शब्दों को मिलाकर देखें तो अर्थ निकलता है ‘आमने-सामने के अधिगम में दोष‘। इसे दुसरे शब्दों में ‘आनलाइन शिक्षण में दोष’ भी कह सकते हैं।
Demerits of face to face learning अध्ययन की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्य है क्योकि learning (अधिगम) से देश के भविष्य का निर्माण होता है। देश के भविष्य बच्चे होते हैं। अगर आधिगम की सम्पूर्ण क्रिया (online teaching) मोबाइल, लेपटाप इत्यादि तकनीकी उपकरणों से सम्पन्न होती है तो (learning) अधिगम में दोष आ जाते है जो निम्नलिखित है।
ऑनलाइन शिक्षण के दोष | नुकसान | हानियाँ | कमियाँ
1- face to face के अधिगम में तब दोष आ जाता है जब बच्चे के मनोवैज्ञानिक स्तर को नही समझा जाता है।
2- कुछ बच्चों के पास इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज नहीं होता है जिस कारण वे शिक्षा से वंचित हो जाते हैं।
3- पढ़ाई करने के लिए बच्चे ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग करते हैं जो उनके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।
4‐ learning (पढ़ाई) करने के लिए बच्चे मोबाइल, लेपटाप का प्रयोग करते हैं जिससे उनके स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है।
5- आनलाइन शिक्षण की face to face learning शहरों के लिए या फिर जहाँ नेट स्पीड अच्छी और विद्युत आपूर्ति 24 घंटे उपलब्ध रहती है वहाँ के लिए ही ठीक होती है। ज्यादातर ग्रामीण इलाके इस सुविधा से अभी भी वंचित है। जिस कारण उनका अध्यापन बाधित हो जाता है।
6- सभी बच्चों के माता-पिता डिवाइस के फीचर से परिचित नहीं होते हैं जिस कारण वे बच्चे को इसके प्रयोग करने की प्रक्रिया के बारे में बताने के लिए असमर्थ सिद्ध होते हैं।
7- डिवाइस जब नेट से कनेक्ट होता है तो उसमें कुछ ऐसे विज्ञापन दिखाए जाते है जो बच्चों के मन मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डालते है।
8- आनलाइन शिक्षण कराने वाले कुछ अध्यापकों को प्रशिक्षित नहीं किया गया है जिस कारण उन्हें डिवाइस के फीचर को प्रयोग करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
9- कुछ परिवार में डिवाइस एक ही होता और पढ़ने वाले बच्चे एक से अधिक होते है । आनलाइन शिक्षण में आने वाली प्रमुख समस्याओं में से एक है।
10- आनलाइन शिक्षण अध्यापक केन्द्रित ज्यादा और छात्र केन्द्रित कम हो जाता है जो प्रमुख दोषों मे से एक है।
11- निम्नवर्गीय या मध्यमवर्गीय परिवार के लिए असीमित मोबाइल डेटा को रीचार्ज करवा पाना संभव नहीं है।
12- आनलाइन शिक्षण से बच्चों के खुद की सोचने व समझने की क्षमता या उनकी मौलिकता दिन प्रतिदिन कम होती जाती है।
13- अध्ययन के लिए डिवाइस पर निर्भर रहने वाले बच्चों में किताबों को पढ़ने के प्रति रूचि घटती चली जाती है।
14- डिवाइस को ज्यादा प्रयोग करने पर उसमें से हानिकारक रेडिएशन निकलते है जिससे कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी हो सकती है।
15- विद्यालय में बच्चे की पठन व लेखन दोनो क्षमता का समान रूप से विकास होता है। आनलाइन शिक्षण का सबसे खराब प्रभाव उनकी लेखन क्षमता पर पड़ता है। बच्चे लिखने से भागते हैं।