बाज और सांप का सारांश, प्रश्न उत्तर, क्लास 8

इस पोस्ट में बाज और सांप का सारांश, बाज और सांप का प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे| बाज और सांप पाठ क्लास 8 हिन्दी वसंत भाग 3 के चैप्टर 17 से लिया गया है|

बाज़ और सांप पाठ का सार या सारांश / baz aur sanp question answer 

बाज और साँप’ निर्मल वर्मा द्वारा लिखित एक महानतम कहानी है। यह हमें जीवन में सकारात्मक सोच रखने के लिए प्रेरित करती है। समुद्र के किनारे अंधेरी काली गुफा में एक साँप रहता था। गुफा के अंदर से ही साँप समुद्र किनारे का सारा दृश्य देखता था। लहरों का चट्टानों से टकराना तथा आकाश में छिपती पहाड़ियाँ देखकर उसका मन खुश होता था कि वह इस गुफ़ा में एकदम सुरक्षित है। उसके पास ही एक नदी भी बहती थी। समुद्र से मिलने के लिए नदी तड़पती रहती थी। जिस स्थान पर नदी-समुद्र का मेल होता था, वहाँ सफ़ेद झाग बन जाती थी। 

एक दिन अचानक आकाश में उड़ता हुआ एक घायल बाज साँप की गुफा में आ गिरा। बाज को देखकर सांप घबरा गया। लेकिन कुछ देर बाद जब उसने बाज को कराहते हुए सुना, तो वह उसके पास गया। उसने देखा कि बाज के पंख खून से सने थे। वह जोर-जोर से हाँफ रहा था। बाज की गंभीर स्थिति को देख साँप मन-ही-मन खुश हुआ और कहने लगा- “क्यों भाई, इतनी जल्दी मरने की तैयारी कर ली ?” बाज ने एक लंबी आह भरते हुए कहा-” ऐसा ही दिखता है कि आखिरी घड़ी आ पहुँची है। लेकिन मुझे कोई शिकायत नहीं है। मेरी जिंदगी खूब आनंद भरी थी। मैंने अपने जीवन में जो चाहा, वह पूरा किया अब जीवन से मुझे कोई शिकायत नहीं।” बाज ने साँप पर एक कटाक्ष भी किया-” साँप भाई! तुम जीवन-भर यहीं पड़े रहोगे। कभी भी खुले आसमान में नहीं उड़ पाओगे।”

बाज की मूर्खता पर साँप मंद-मंद हँस रहा था। वह सोचने लगा कि रेंगने और उड़ने में कौन-सा विशेष अंतर है? गुफ़ा का परिवेश देखकर बाज ने एक गहरी साँस ली और कहने लगा “आह! काश मैं सिर्फ एक बार आकाश में उड़ पाता।” इस प्रकार बाज की करुण चीत्कार सुनकर साँप को कुछ अजीब-सा लगा। उसने बाज से कहा-“यदि तुम्हें स्वतंत्रता प्यारी है, तो इस चट्टान के किनारे से ऊपर क्यों नहीं उड़ जाते कोशिश करने में क्या हर्ज है?” साँप की बातें सुनकर बाज किसी तरह खुले गगन के नीचे आ गया और पूरी ताकत के साथ ऊपर उठा, लेकिन जल्दी ही धड़ाम से नीचे गिर भी गया। उसका शरीर नदी के पानी में जा गिरा, जहाँ एक लहर ने उसके पंखों पर लगे खून को साफ़ कर दिया। कुछ ही क्षणों में बाज साँप की आँखों से ओझल हो गया। 

अपनी गुफा में बैठा हुआ साँप बहुत देर तक सोचता रहा कि आखिर इस नीले गगन में क्या है, जो घायल होने पर भी बाज उड़ना चाहता था। उसे भी उड़कर पता लगाना चाहिए कि इस नीले गगन में क्या है। यह सोचकर साॅप ने अपने शरीर को सिकोड़ा और ऊपर की तरफ उछला। लेकिन हुआ वही, जिस बात का डर था। साँप धम्म से चट्टान पर आ गिरा। अच्छा यही हुआ कि साँप को कोई चोट नहीं आई । अपनी इस स्थिति को देखकर साँप काँप गया और उसने स्वयं से कहा कि उड़ना बेकार है। अपना तो रेंगना ही सही है। ये पक्षी तो बिलकुल मूर्ख हैं, जो आकाश में उड़ते हैं। बीच गगन में इनके रुकने का कोई ठिकाना भी नहीं है। वह सोचता है कि धरती पर रेंग लेना ही उसके लिए काफी है। आकाश की स्वच्छंदता से उसे क्या लेना-देना ? कुछ देर बाद साँप को चट्टानों के नीचे से मधुर स्वर ध्वनि सुनाई दी। पहले तो यह स्पष्ट नहीं थी, लेकिन बाद में स्वर साफ़ सुनाई देने लगी।

अपनी गुफा से बाहर निकलकर, वह वहाँ झाँकने लगा। जहाँ से स्वर आ रहे थे उसने देखा कि चट्टानों को भिगोती हुई समुद्र की लहरों से गीत के स्वर फूट रहे थे। लहरों का यह गीत दूर-दूर तक गूँज रहा था। साँप ने सुना कि लहरें मधुर स्वर में गा रही थीं। लहरें कह रही थी-“हमारा यह गीत उन साहसी लोगों के लिए है, जो अपने प्राणों को हथेली पर रखकर घूमते हैं।”

चतुर वही है जो प्राणों की बाजी लगाकर, जिंदगी के हर खतरे का बहादुरी से सामना करे लहरें बाज के बारे में कहती हैं, कि तुमने अपने जीवन का बलिदान दिया है। तुम्हारा रक्त एक दिन अवश्य रंग लाएगा। जब कभी साहस और वीरता के गीत गाए जाएँगे, तुम्हारा नाम बड़े गर्व और श्रद्धा से लिया जाएगा। “हमारा गीत जिंदगी के उन दिवानों के लिए है, जो मरकर भी मृत्यु से नहीं डरते।”

बाज़ और सांप पाठ का प्रश्न उत्तर / question answer of baaz aur sanp 

प्रश्न-  लेखक ने इस कहानी का शीर्षक कहानी के दो पात्रों के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज और साँप को ही क्यों चुना? आपस में चर्चा कीजिए।

उत्तर : (लेखक ने कहानी का शीर्षक बाज और साँप के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज को जीवन में ऊँचाइयों (लक्ष्य) को पाने के लिए संघर्षरत व्यक्ति का प्रतीक माना है। हिम्मत पूर्वक संघर्ष करने वाले लोग सदैव सत्यान्वेषी होते हैं, इसलिए वे जीवन मुक्त भी होते हैं। मृत्यु के भय से वे स्वयं को समेटे नहीं रह सकते साँप मृत्यु-भय के कारण शांत एवं सुविधा भोगी जीवन जीने का आकांक्षी है, इसलिए लेखक ने साँप को डरपोक (भीले और स्वयं तक सिमट कर रहने वाले लोगों का प्रतीक माना है। दोनों प्रकार के व्यक्तियों (जीवों) के जीवन में अन्तर स्पष्ट करने के लिए ही लेखक ने बाज और सॉप को चुना है जो कि उचित है। 

लेखक दो व्यक्तियों को भी अपनी कथा का पात्र चुन सकता था। परन्तु यह एक प्रतीकात्मक कथा है। अतः बाज और साँप दो प्राकृतिक प्रतीकों के माध्यम से कथा प्रभावी बन पड़ी है।

बाज़ और सांप  कहानी से

1. घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, “मुझे कोई शिकायत नहीं है।” विचार प्रकट कीजिए। 

उत्तर : घायल होने के बावजूद बाज को अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं है। बाज अपनी स्वतंत्रता एवं अपने अस्तित्व के लिए धैर्य-पूर्वक संघर्ष करता है जीवन की गति भी ऐसी ही है। लोग धीर-गांभीर एवं साहसी लोगों को ही सम्मान देते हैं।

2. बाज जिंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था? 

उत्तर: बाज घायल होकर साँप की सीलन भरी, बदबूदार गुफा में आ पड़ा वहाँ का वातावरण उसे पसंद न था। जीवन भर बाज खुले आकाश में उड़ता रहा। खुले आकाश में उड़ते हुए उसमें जीवटता पैदा हो चुकी थी। वह अपने जीवन के अंतिम साँस तक बहादुरी से उड़ना चाहता था।

3. साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?

उत्तर– सांप खुले आसमान में उड़कर मिलने वाला आनंद लेना चाहता था। उसने उड़ने का प्रयास भी किया परन्तु असफल होकर अंत में कठोर भूमि पर आ गिरा। उसके विचार से जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु है, अतः दुस्साहस दिखाते हुए मरना अच्छा नहीं हैं। सुविधाजनक स्थितियों में जीकर भी मृत्यु को ही प्राप्त होते हैं। आकाश में उड़ने की इच्छा रखते हुए जीने वाले मूर्ख हैं। आकाश में उड़ना अपने जीवन को चुनौती देना है। अतः: संघर्ष करते जीना मूर्खता है। यह उसने आकाश में उड़कर ही जाना।

4. बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था? 

उत्तर– समुद्र की लहरें बाज के साहस की प्रशंसा में गीत गा रही थीं । लहरें अपने प्राणों को हथेली पर रखकर घूमने वाले वीरों के सम्मान में गीत गा रही थीं। लहरों के अनुसार बाज ने अपनी जिंदगी में हर पहलू से खतरों का बहादुरी से सामना करते हुए मौत को गले लगा लिया। लहरों ने बाज की स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम रखने की भावना को महत्त्वपूर्ण बताते हुए गीत गाए।

5. घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?

उत्तर : साप घायल बाज़ को ज़मीन पर पड़ा देखकर खुश हुआ। उसका विचार था कि अंत में जब मरना ही है तो फिर जीवन को खतरे में क्यों डाला जाए।

बाज़ और सांप कहानी से आगे

1. कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती हो।

उत्तर :
(क) “आह! काश, मैं केवल एक बार आकाश में उड़ पाता।”
(ख) उसने एक गहरी, लंबी साँस ली एवं अपने पंख फैलाकर हवा में कूद पड़ा।
(ग) एक क्षण के लिए उसके मन में उस आकाश के प्रति इच्छा पैदा हो गई ।
(घ) कम से कम उस आकाश का स्वाद तो चक लूंगा ।

2. लहरों का गीत सुनने के बाद साँप ने क्या सोचा होगा? क्या उसने फिर से उड़ने की कोशिश की होगी? अपनी कल्पना से आगे की कहानी पूरी कीजिए।

 विद्यार्थी स्वयं करें। 

3. क्या पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनंद का अनुभव होता होगा या स्वाभाविक कार्य में आनंद का अनुभव होता ही नहीं? विचार प्रकट कीजिए।

उत्तर– हाँ। प्रत्येक को अपने स्वाभाविक कार्य करने में आनंद मिलता ही है। आदमी का स्वभाव संयर्ष करते रहने की होती है, अतः प्रत्येक को अपने जीवन में संघर्षों के विरुद्ध लड़ने की इच्छा होनी चाहिए।

4. मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है। आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है।

उत्तर: मानव ने हमेशा पक्षियों की तरह आसमान में उड़ना चाहा है। उसने अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के वायुयान बनाए हैं।

बाज़ और सांप अनुमान और कल्पना

प्रश्न- यदि इस कहानी के पात्र बाज और साँप न होकर कोई और होते तब कहानी कैसी होती? अपनी कल्पना से लिखिए।

उत्तर – लेखक ने बाज और साँप को चुनकर व्यक्तियों की परस्पर भिन्न स्थितियों को उजागर किया है। यदि कहानी के लिए किसी अन्य पात्रों को चुना जाता तो संभव है लेखक अपने कथन को तकपूर्ण ढंग से नहीं कह पाता। इससे कहानी का मूल संदेश स्पष्ट होने में बाधा आती। बाज और सॉप के माध्यम से लेखक अपने विचार और संदेश को प्रभावी तरीके से स्पष्ट करने में सफल हुआ है।

बाज और सांप भाषा की बात

1. कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

मुहावरा / अर्थ / वाक्य में प्रयोग 
1- आह भरना— दुखी होना– श्रवण की मृत्यु का समाचार पाकर उसके अंधे मां-बाप आह भर कर रह गए
2- आखिरी घड़ी— मृत्यु करीब होना– श्रवण के अंधे मां बाप ने अपनी आखिरी घड़ी में राजा दशरथ को शाप दे डाला
3- सिर धुनना— पछताना– व्यापारी अपनी भूल पर सिर धुनकर रह गया।
4- डींगे हाकना— आत्म प्रशंसा करना– डींगे हाकने के बजाय अपने कर्तव्यों को महत्व दो।
5- प्राणी की बाजी लगाना— मौत से न डरना– भारत के वीर सिपाही प्राणों की बाजी लगाकर देश की रक्षा करते हैं। 

2. ‘आरामदेह’ शब्द में ‘देह’ प्रत्यय है। यहाँ ‘देह’ ‘देनेवाला’ के अर्थ में प्रयुक्त है। देनेवाला के अर्थ में ‘द’, ‘प्रद’, ‘दाता’, ‘दाई’ आदि का प्रयोग भी होता है, जैसे-सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए।

उत्तर- 
1- द– सुखद, दुखद
2- दाता– जीवनदाता, अन्नदाता
3- दाई– दुखदाई, कष्टदाई
4- प्रद– लाभपप्रद, शिक्षाप्रद

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