संगतकार कविता का सारांश / सार
संगतकार कविता के कवि मंगलेश डबराल हैं| संगतकार कविता गायन में मुख्य गायक का साथ देनेवाले संगतकार की भूमिका के महत्त्व पर विचार करती है। दृश्य माध्यम की प्रस्तुतियों; जैसे-नाटक, फ़िल्म, संगीत, नृत्य के बारे में तो यह सही है ही; हम समाज और इतिहास में भी ऐसे अनेक प्रसंगों को देख सकते हैं जहाँ नायक की सफलता में अनेक लोगों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। कविता हममें यह संवेदनशीलता विकसित करती है कि उनमें से प्रत्येक का अपना-अपना महत्त्व है और उनका सामने न आना उनकी कमज़़ोरी नहीं मानवीयता है। संगीत की सूक्ष्म समझ और कविता की दृश्यात्मकता इस कविता को ऐसी गति देती है मानो हम इसे अपने सामने घटित होता देख रहे हों।
संगतकार कविता का भावार्थ क्लास 10
मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज़ सुंदर कमजोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार
मुख्य गायक की गरज़ में
वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीन काल से
गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता है
या अपने सरगम को लाँघकर
चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है
जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन
जब वह नौसिखिया था
संगतकार का प्रसंग– प्रस्तुत पद्यांश कवि मंगलेश डबराल द्वारा रचित कविता ‘संगतकार’ से अवतरित है। यहाँ कवि ने गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्त्व को समझाया है। कवि कहता है
संगतकार की व्याख्या– गाने में मुख्य गायक का विश्वास भरा चट्टान की तरह अचल स्वर का साथ देने वाले की मधुर किंतु कमजोर, धीमी और काँपती आवाज आ रही थी। वह कांपता हुआ स्वर मुख्य गायक के किसी छोटे भाई का, उसके किसी शिष्य का या फिर कहीं दूर से पैदल चलकर संगीत सीखने के लिए आने वाले किसी सगे-संबंधी का था जो एक लंबे समय से मुख्य गायक की ऊँची गंभीर आवाज में अपने स्वर की मधुर गूँज मिलाता आया है। बहुत पहले से ही मुख्य गायक की आवाज में अपनी आवाज का सहयोग देता आया है। जब मुख्य गायक टेक को छोड़कर गीत के चरणों का कठिन संगीत में स्वर का विस्तार करता हुआ गहराई में तल्लीन हो जाता है या फिर अपनी ही सुर-ताल से भटककर और स्वरों की सीमा लांघकर एक गहराई में चला जाता है तब सहयोगी गायक गीत की टेक को गाते हुए ऐसे लगते हैं जैसे गायक के द्वारा रास्ते में छोड़े हुए सामान को समेटते हुए आगे बढ़ रहे हों। या फिर ऐसे लगता है जैसे वे संगतकार मुख्य गायक को बचपन की वह याद दिलाते है जब उसने संगीत सीखना आरंभ किया था।
तारसप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढांढस बँधाता
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
और यह कि फिर से गाया जा सकता है
गाया जा चुका राग
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
संगतकार का प्रसंग– यहाँ कवि ने बताया है कि संगतकार अपने गुप्त सहयोग से मुख्य गायक को सफल बना देते हैं। कवि कहता है कि —
संगतकार की व्याख्या– जब मुख्य गायक का ऊँचे स्वर में गाते समय स्वर बैठने लगता है, जब उसकी प्रेरणा, उसकी साधना उसका साथ छोड़ने लगती है तो उसका उत्साह समाप्त होने लगता है तब मुख्य गायक को सांत्वना देता हुआ संगतकार का स्वर किसी अनिश्चित दिशा से आता है। कभी-कभी वह संगतकार यह सोचकर मुख्य गायक का साथ देता है कि मुख्य गायक यह न समझे की वह अकेला नहीं है। और उसे यह भी याद दिलाता है कि जिस राग को वह अभी अच्छी तरह से नहीं गा सका उसे दोबारा गाया जा सकता है। संगतकार की आवाज में स्पष्ट रूप से झिझक का पता चल रहा है और यह भी स्पष्ट झलकता है कि उसने स्वर को ऊँचा उठाने का भी प्रयास नहीं किया है लेकिन यह उसकी असफलता नहीं है बल्कि अपने आप को सामने न लाकर दूसरों को सफल और ऊँचा उठाने वाली मानवीय भावना है।
संगतकार का प्रश्न उत्तर क्लास 10
1. संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है?
उत्तर– संगतकार के माध्यम से कवि ने उन लोगों की ओर संकेत करना चाहा है जो किसी व्यक्ति विशेष की सफलता में अपनी प्रसिद्धि के प्रलोभन के बिना सहयोग देते हैं।
2. संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?
उत्तर– संगतकार जैसे व्यक्ति को फिल्म, नाटक, नृत्य जैसी दृश्यात्मक प्रस्तुतियों में देखा जा सकता है।
3. संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक-गायिकाओं की मदद करते हैं?
उत्तर– संगतकार मुख्य गायक- गायिकाओं के गीत के चरणों में कठिन स्वरों के विस्तार में उलझने, सरगम को लांघकर भटकता हुआ उसकी गहराई में जाने, उनके ऊँचे स्वर में गले के बैठने, आवाज का स्तर गिरने और उसके अर्कला न बताने के पक्ष में मदद करते हैं।
4. भाव स्पष्ट कीजिए
और उसकी आवाज़ में जो एक हिचक साफ़ सुनाई देती है
या अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की जो कोशिश है
उसे विफलता नहीं
उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए।
उत्तर– यहाँ कवि ने संगतकार की चारित्रिक विशेषता का उल्लेख करते हुए बताया है कि जब मुख्य गायक अपने गायन के दौरान लड़खडाने लगता है तो संगतकार उसको सहारा देते हैं। उसकी आवाज में स्पष्ट झलकने वाली झिझक और अपने स्वर को दबाने का प्रयास उसकी नाकामी नहीं है अपितु इसे उसकी मानवता समझना चाहिए। जो सामने न आकर अपने प्रयासों से दूसरों को उन्नति के शिखर पर पहुँचाते हैं।
5. किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर– किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह-तरह से अपना योगदान देते हैं। फिल्म, नाटक, संगीत, नृत्य जैसे कार्यक्रम इसी प्रकार के हैं। इसमें फिल्म का एक मुख्य पात्र होता है, जो नायक है। उसे सफलता के सोपान पर चढ़ाने के लिए अन्य सहयोगी कलाकार, गायक, संगीतकार, नृत्य निर्देशक, पोशाक बनाने वाला, रूप सन्जा करने वाला, संवाद लिखने वाला आदि अनेक लोग सहयोग करते हैं। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो सहयोग तो करते हैं किंतु उनकी पहचान किसी भी रूप में नहीं होती है।
6 कभी-कभी तार सप्तक की ऊँचाई पर पहुंचकर मुख्य गायक का स्वर विखरता नज़र आता है उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचा लेता है। इस कथन के आलोक में संगतकार की विशेष भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– कभी-कभी तारसप्तक की ऊँचाई पर पहुँचकर मुख्य गायक का स्वर बिखरता नज़र आता है। उस समय संगतकार उसे बिखरने से बचाता है। ऐसा करके संगतकार एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है वह गायक को सांत्वना देता है कि सब ठीक हो जाएगा। वह गायक को अकेलापन भी अनुभव नहीं होने देता है और वह उसे यह भी दिलासा देता है कि गाये गए राग को वह फिर से गा सकता है।
7. सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान यदि व्यक्ति लड़खड़ाता है तब उसे सहयोगी किस तरह सँभालते हैं?
उत्तर– सफलता के चरम शिखर पर पहुँचने के दौरान जब व्यक्ति लड़खड़ाते हैं तो उसके सहयोगी उसे सचेत करते हैं. हताश होने पर उसे सांत्वना देकर धैर्य बंधाते हैं। उसे दिलासा देते हैं कि वह फिर से हिम्मत करें तो अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। हतोत्साहित होने पर भी उसे आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करते हैं।
संगतकार का अनुमान और कल्पना
8. कल्पना कीजिए कि आपको किसी संगीत या नृत्य समारोह का कार्यक्रम प्रस्तुत करना है लेकिन आपके सहयोगी कलाकार किसी कारणवश नहीं पहुँच पाए
(क) ऐसे में अपनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर– ऐसी परिस्थिति में मैं स्वयं को नितांत अकेला और असहाय अनुभव करूंगा। सहयोगी कलाकार के न आते पर मुझे गुस्सा भी आएगा और बिना बताए न आने पर उसके विषय में भला-बुरा भी कहूँगा।
(ख) ऐसी परिस्थिति का आप कैसे सामना करेंगे?
उत्तर– ऐसी परिस्थिति में साहस और धैर्य से काम लगा। अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करूँगा। साथ ही इस बात का भी पूरा ध्यान रखेंगे कि सहयोगी कलाकार की कमी मुझे न खले और उसके न आने पर मेरा ध्यान विचलित न हो।
9. आपके विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में मंच के पीछे काम करने वाले सहयोगियों के भूमिका पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर– विद्यालय में मनाए जाने वाले सांस्कृतिक समारोह में अनेक लोगों का योगदान होता है। मंच का संचालन तो कोई एक व्यक्ति ही करता है किंतु मंच को बनाने सजाने और कई तरह की व्यवस्था करने वाले बहुत से होते हैं। कार्यक्रम की सफलता के लिए अलग-अलग विभाग बना दिए जाते हैं और उन्हें उनकी योग्यता और कुशलता के आधार कार्य-विभाजन करके दिया जाता है। सभी अपनी तरफ से अच्छे से अच्छा करने का प्रयास करते हैं बच्चों के कार्यक्रम तैयार करने, संगीत व्यवस्था करने, वाद्य-यंत्र बजाने वाले. मंच को आकर्षक बनाने, बाहर से आने वाले मेहमानों के लिए बैठने, चाय-पानी का प्रबंध करने वाले सभी सहयोगियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
10. किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुँच पाते होंगे?
उत्तर– किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी मुख्य या शीर्ष पर नहीं पहुंच पाते क्योंकि वे सामने न आकर मुख्य पंक्ति में रहने वालों को विचलित होने पर सांत्वना देते हैं, चरम शिखर पर पहुँचने के बाद लड़खड़ाने पर उसे सहयोग देते हैं। इस तरह के अनेक मानवीय गुणों के कारण वे शीर्ष पर नहीं पहुंच पाते।