इस पोस्ट में हमलोग भगवान के डाकिए का भावार्थ, भगवान के डाकिए का प्रश्न उत्तर को पढ़ेंगे| यह पाठ क्लास 8 हिन्दी वसंत भाग 3 के चैप्टर 6 से लिया गया है|class 8 hindi vasant bhag 3 chapter 6 explain and question answer
भगवान के डाकिए कविता का भावार्थ व व्याख्या / bhagawan ke dakiye explain
पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लाई
चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं।
भगवान के डाकिए का भावार्थ व व्याख्या– कवि कहता है कि आकाश में उड़ते पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। वे संदेश देते हैं कि हमें किसी भौगोलिक सीमा में बंधकर नहीं रहना चाहिए। कवि उदाहरण देते हुए कहता है कि ये पक्षी और बादल किसी देश की सीमा में बंध कर नहीं रहते हैं। ये एक देश से दूसरे देश बिना किसी भेदभाव या भय के आते जाते रहते हैं। परंतु हम उनसे कभी भी यह संदेश ग्रहण नहीं करते हैं। जबकि प्रकृति में स्थित पेड़-पौधे पानी और पहाड़ उनके संदेश को बखूबी जानते हैं। अर्थात् उनके संदेश को अच्छी तरह वे जानते हैं। पक्षी इन सभी पर निर्भय होकर बैठते उड़ते हैं। बादल बरसते हैं। पक्षी और बादलों से यह सभी नवजीवन पाते हैं।
हम तो केवल यह आँकते हैं कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है। और वह सौरभ
हवा में तैरते हुए पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है।
भगवान के डाकिए व्याख्या व भावार्थ– पक्षी और बादल बिना किसी रोक-टोक के एक देश से दूसरे देश में भ्रमण करते रहते हैं। उनके इस आवागमन से हम दूसरे देशों की गंध-सुगंध का परीक्षण करते हैं। हवा में उड़ते पक्षियों के साथ-साथ दूसरे देशों की गंध-सुगंध हम तक पहुंचती है। अर्थात दूसरे देशों के बारे में हम जान पाते हैं। इसी तरह एक देश का जल सूरज की किरणों से भाप बनकर बादलों के रूप में दूसरे देश में बरसता है। तात्पर्य यह है कि पक्षियों और बादलों की तरह हमें मिलजुल कर आपस में प्रेम के साथ रहना चाहिए।
भगवान के डाकिए प्रश्न उत्तर / bhagawan ke dakiye question answer
कविता से
1. कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए कहां है क्योंकि ये दोनों किसी देश की सीमा के बंधन से दूर होते हैं। इनके लिए संपूर्ण पृथ्वी अपना देश है। पक्षियों के माध्यम से जहां हमें ऋतु परिवर्तन का संदेश मिलता है। वहीं बादल वर्षा का संदेश लेकर एक देश से दूसरे देश घूमता रहता है।
2. पक्षी और बादल द्वारा लाइ गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं। सोचकर लिखिए।
उत्तर– पक्षियों और बादलों द्वारा लाइ गई चिट्ठियों को पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं। अर्थात् उनके संदेश को ये लोग अच्छी तरह से समझ जाते हैं। जबकि मनुष्य इन सब बातों की ओर ध्यान नहीं देता है। वह अपने आगे सबको तुच्छ समझता है।
3. किन पंक्तियों का भाव है-
(क) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश में दुसरे देश को भेजते हैं।
(ख) प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
उत्तर(क)– एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है
उत्तर-(ख)- और एक देश का भात दूसरे देश में पानी बनकर गिरता है
4. पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?
5. “एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है” कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर– पक्षी और बादल के माध्यम से हमें यह संदेश मिलता है कि प्रकृति बंधनों को नहीं स्वीकार करती है। सभी जीव-जंतु एक-दूसरे के पूरक हैं। इसलिए सभी को भौगोलिक बंधन तोड़कर सद्भाव प्रेम और एकता के बंधन में बंधकर रहना चाहिए। यदि लोग इसका सही अर्थ समझ ले तो देशों के बीच कई विवाद अपने आप ही हल हो जाएंगे।
पाठ से आगे
1. पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?
उत्तर– पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को हम दो देशों के बीच परस्पर प्रेम, सौहार्द और सद्भाव से रहने के रूप में देखते हैं पक्षी और बादल एक देश को दूसरे देश से प्रेम के बंधन में जोड़ने का संदेश दे जाते हैं। पक्षी मानवता और विश्व बंधुता का संदेश हमें देते हैं।
2. आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर– आज के युग में चारों ओर इंटरनेट का जाल फैला हुआ है। इंटरनेट के द्वारा हम अपने संवाद बड़ी सुगमता व सुविधा पूर्वक ढंग से किसी को भी भेज सकते हैं। यह एक नए युग का आरंभ है। पहले मनुष्य पत्र द्वारा अपने संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजता था। उसमें लंबा वक्त लग जाता था लेकिन आज सेकंडों में इंटरनेट के माध्यम से अपना संदेश विश्व के किसी भी कोने में लोग भेज सकते हैं। किंतु यदि इंटरनेट की तुलना पक्षी और बादलों की चिट्ठियों से की जाए तो इतनी पवित्रता और निश्चलता के आगे इंटरनेट छोटा ही सिद्ध होता है।
3. ‘हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका’ क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।
उत्तर–
*डाकिया हमें अपने दुखों को भुलाकर दूसरों को प्रसन्न करने और प्यार बांटने का संदेश देता है|
*डाकिए के द्वारा लाए गए अच्छे-बुरे संदेश हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं|
*डाकिए द्वारा किया जाने वाला अथाह परिश्रम हमारे लिए प्रेरणादायक होता है|
*आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में डाकिए को देवदूत के रूप में जाना जाता है।
*डाकिए के माध्यम से दूर रहने वाले मित्रों सगे संबंधियों से हम जुड़ पाते हैं|
*डाकिया डाक विभाग के साथ-साथ प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक |महत्वपूर्ण अंग होता है|
*डाकिया हमें निस्वार्थ भाव से कर्म करने की प्रेरणा दे जाता है|
भगवान के डाकिए अनुमान और कल्पना
डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू. डब्ल्यू. डब्ल्यू. WWW./ तथा पक्षी और बादल-इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। लेख लिखने के लिए आप ‘चिट्ठियों की अनूठी दुनिया’ पाठ का सहयोग ले सकते हैं
उत्तर– विद्यार्थी स्वयं करें
भगवान के डाकिए अभ्यास प्रश्न
प्रश्न भगवान के डाकिए कविता का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए
प्रश्न– कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
प्रश्न- कविता में किन्हे भगवान के डाकिए कहा गया है और क्यों?
प्रश्न– एक देश की धरती दूसरे देश को पक्षियों के माध्यम से क्या भेजती है?
प्रश्न– कविता में पक्षिय और बादल को क्या कहा गया है?
प्रश्न– एक देश की भाप दूसरे देश में क्या बन कर गिरती है?