इस पोस्ट में हमलोग रसखान के सवैये भावार्थ, रसखान के सवैये की व्याख्या, रसखान के सवैये का सारांश, रसखान के सवैये प्रश्न उत्तर को साल्व करेंगे| रसखान के सवैये पाठ क्लास 9 हिन्दी क्षितिज भाग 1 के चैप्टर 11 से लिया गया है|
रसखान के सवैये का सारांश / rasakhan ke sawaiye summary
सवैये कविता के कवि रसखान है| रसखान कृष्ण के अनन्य उपासक थे| सवैये एक प्रकार का छंद होता है| प्रथम सवैये में रसखान कल्पना करते हुए कहते हैं की मेरा अगला जन्म चाहे जिस रूप में हो शर्त यह है कि वह कृष्ण से जुड़े हुए स्थानों पर ही हो| दूसरे सवैये में रसखान जी कृष्ण की लाठी और कंबल के प्रति अपने असीम प्रेम को व्यक्त किया है| वे कहते हैं कि यदि मुझे कृष्ण की कंबल और लाठी मिल जाए तो मैं आठों सिद्धियों और नवों निधियों के सुख का परित्याग कर दूंगा| तीसरे सवैये में एक सखी दूसरे सखी से कहती है कि मैं कृष्ण को प्राप्त करने के लिए उनके सभी रूप को धरान कर लूँगी जैसे वह पीताम्बर ओढ़कर बाँसुरी बजाते थे वैसे मैं भी पीताम्बर ओढ़कर बाँसुरी बजाऊँगी| चौथे सवैये में गोपिकाएं मुरली को अपना सौत मानती हैं| वे कहती हैं की मुरली ने हम सबके प्रेम को तोड़ दिया है इसलिए मैं मुरली की धुन को नहीं सुनूँगी| लेकिन जब कृष्ण हमारी तरफ देखकर मुस्कुराएंगे तो मैं जरूर मसकुरा दूँगी|
रसखान सवैया का भावार्थ व व्याख्या / rasakhan ke sawaiye bhawarth
मानुष हों तो वही रसखानि बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।।
पाहन हौं तो वही गिरि को जो कियो हरिछत्र पुरंदर धारन।
जौ खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी कूल कदंब की डारन।
या लकुटी अरु कामरिया पर राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि नवौ निधि के सुख नंद की गाइ चराइ बिसा ।।
रसखान कबौं इन आँखिन सौं, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक ए कलधौत के धाम करील कुंजन ऊपर वारौं।।
मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं, गुंज की माल गरें पहिरौंगी।
ओढ़ि पितंबर लै लकुटी बन गोधन ग्वारनि संग फिरौंगी।।
भावतो वोहि मेरो रसखानि सों तेरे कहे सब स्वाँग करौंगी।
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।।
काननि दै अँगुरी रहिबो जबहीं मुरली धुनि मंद बजैहै।
मोहनी तानन सों रसखान अटा चड़ि गोधन गैहै तौ गैहै।
टेरि कहौं सिगरे ब्रजलोगनि काल्हि कोऊ कितनो समुहै।
माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
रसखान के सवैये का प्रश्न उत्तर / question answer of rasakhan ke sawaiye class 9
1. ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है?
2. कवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं?
3.एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है?
4.सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
5.आपके विचार से कवि पशु, पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करना चाहता है?
6.चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं?
7.भाव स्पष्ट कीजिए
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
8. ‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है?
9. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए
या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी।
*भाषा माधुर्य गुणों से युक्त है।
*सौत के आने के डर से वे मुरली धारण नहीं करना चाहती हैं।
*गोपियों का श्री कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम होने के साथ-साथ उनकी मुरली के प्रति ईर्ष्या भाव है|
*प्रस्तुत पंक्ति में यमक अलंकार है|
*पहले अधरान का अर्थ है होठों पर रखी हुई और दूसरे का अर्थ है होठोंं पर नहीं रखी हुई।
रसखान के सवैये अभ्यास प्रश्न
प्रश्न– रसखान के काव्य की विशेषताएं बताइए?
प्रश्न– कवि मनुष्य रूप में कहाँ जन्म लेना चाहता है?
प्रश्न कवि किसके बदले में तीनों लोगों का राज्य छोड़ने को तैयार है
प्रश्न गोपियां स्वयं को किन कारणों से विवश अनुभव करती हैं?
प्रश्न गोपियां श्री कृष्ण द्वारा बजाई बांसुरी की तान को क्यों सुनना नहीं चाहती?
प्रश्न गोपियां अपने होठों पर मुरली क्यों नहीं रखना चाहती?
प्रश्न रसखान की काव्य भाषा पर टिप्पणी लिखिए।