नेताजी का चश्मा का सारांश
चारों ओर सीमाओं से घिरे भूभाग का नाम ही देश नहीं होता। देश बनता है उसमें रहने वाले सभी नागरिकों, नदियों, पहाड़ों, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, पशु-पक्षियों से और इन सबसे प्रेम करने तथा इनकी समृद्धि के लिए प्रयास करने का नाम देशभक्ति है। नेताजी का चश्मा कहानी कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित करती है जो इस देश के निर्माण में अपने-अपने तरीके से सहयोग करते हैं। कहानी यह कहती है कि बड़े ही नहीं बच्चे भी इसमें शामिल हैं।
नेताजी का चश्मा कहानी के आरम्भ में बताया गया है कि कहानी के मुख्य पात्र हालदार साहब को कंपनी के काम से उस कस्बे से गुजरना पड़ता था, जिस कस्बे से यह कहानी जुड़ी हुई है। उस छोटे से कस्बे में कुछ पक्के मकान स्कूल, सीमेंट का छोटा-सा कारखाना, दो छोटे सिनेमाघर और एक नगरपालिका का कार्यालय था। नगरपालिका द्वारा विकास कार्य होते रहते थे। एक योग्य प्रशासनिक अधिकारी ने नगर के चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्रबोस की संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। प्रतिमा बनाने वाले कलाकारों की खोज, अधिक लागत लगने और बोर्ड का शासनकाल कम रहने के कारण किसी स्थानीय कलाकार के रूप में यह कार्य स्कूल के ही ड्राइग अध्यापक को दिया गया। अध्यापक ने भी महीने भर में मूर्ति बना डालने का आश्वासन दे दिया।
यहाँ बताया गया है कि स्कूल अध्यापक ने नेताजी सुभाष चंद्रबोस की छाती तक की दो फुट की संगमरमर की मूर्ति बनाई। उस मूर्ति में नेताजी सुंदर, भोले व आकर्षक लग रहे थे। वह मूर्ति देश के लिए कुर्बानी देने की प्रेरणा देती प्रतीत हो रही थी। उन्हें सचमुच का चश्मा पहनाया गया था। हालदार साहब ने जब पहली बार उस प्रतिमा को देखा तो वे रोमांचित हो गया कि इतना अच्छा उपाय किया गया है। वे वहाँ से जाने के बाद भी उसी के विषय में सोचते रहे। उन्हें लगा कि आज भी लोग देश भक्ति को अपने हृदय में बसाए हुए हैं जिस कारण वे देश के वीरों का इस तरह से सम्मान करते हैं। दूसरी तरफ आज देश के विषय में बात करने वाले का सर्वत्र उपहास ही उड़ाया जाता है। दूसरी बार हालदार साहब वहाँ गए तो उन्हें चश्मा बदला हुआ मिला। यह देखकर उन्हें जानने की इच्छा हुई की मूर्ति का चश्मा कैसे बदल्रहा है |
हालदार साहब जब भी कस्बे में आते नेताजी की प्रतिमा को अवश्य देखते। हर बार उन्हें नेताजी का चश्मा बदला हुआ मिलता। एक दिन पान वाले से पूछने पर उन्हें पता चला कि कैप्टन नाम का चश्मे बेचने वाला व्यक्ति मूर्ति पर चश्मा लगाता है और जब किसी ग्राहक को वैसा-चश्मा चाहिए तो वह उस चश्मे को उतार लेता है और दूसरा पहना देता है। असली चश्में के विषय में पूछने पर पता चलता है ड्राइंग मास्टर चश्मा बनाना भूल गया। फिर हालदार साहब ने मास्टर की मानसिक स्थिति के विषय में कई तरह से सोचा।
नेताजी का चश्मा कहानी में हालदार साहब पानवाले से यह भी पूछते हैं कि क्या चश्में वाला कैप्टन नेताजी का कोई साथी है या आजाद हिन्द फौज का कोई भूतपूर्व सैनिक है? पानवाला उपेक्षा के भाव में बताता है कि वह लंगड़ा और पागल है। वह कैसे फौज में जा सकता है। उसे सामने से चश्मा वाला भी आता दिखाई देता है। जिसे पानवाला हालदार साहब को भी दिखाता है। हालदार साहब को देशभक्तों का ऐसा मजाक अच्छा नहीं लगा। उन्होंने देखा कि एक कमजोर लगड़ा आदमी गांधी टोपी और काला चश्मा लगाए एक छोटी-सी लोहे की पेटी और एक बॉस पर चश्मे लटकाए आ रहा था। वह फेरी लगाकर चश्मे बेचता था। हालदार साहब उसे कैप्टन बताने की वृत्ति में नहीं है और न ही वहाँ ज्यादा रुकने का उनके पास समय था।
लगभग दो वर्ष तक हालदार साहब उस कस्बे से गुजरते रहे और चश्में का बदलना देखते रहे। एक दिन नेताजी की मूर्ति पर किसी भी तरह का चश्मा नहीं था और सभी दुकाने भी बंद थीं। अगली बार जब हालदार साहब आए तो पानवाले से चश्मा न होने कारण पूछने पर पता चला कि कैप्टन मर गया था। वह चुपचाप वहाँ से वापस आ गए। इस बात को सोचकर दुखी हो गए कि अपना सब कुछ बलिदान करने वालों पर लोग हँसते हैं और अपने क्षुद्र स्वार्थ निकालने के लिए बिकने तक को तैयार रहते हैं। कुछ दिन बाद हालदार साहब जब फिर उधर से गुजरे तो यह निश्चय कर रखा था कि वे न तो वहाँ रूकेंगे, न पान खाएंगे और न ही मूर्ति की तरफ देखेंगे। लेकिन जैसे ही मूर्ति के पास पहुँचे वे जीप को रूकवाने के लिए चिल्लाए और चलती चीप से कूदकर मूर्ति के सामने सीधे खड़े हो गए। मूर्ति पर किसी छाट बच्च न सरकड का चश्मा बनाकर लगा रखा था। बच्चा का दश पर कुर्बान वीरों और देश के प्रति भक्ति की इस भावना पर हालदार साहब भावुक हो उठे|
नेताजी का चश्मा का प्रश्न उत्तर
प्रश्न-1 सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते ?
प्रश्न-2- हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा–
प्रश्न-क-हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
प्रश्न-ख- मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
प्रश्न-ग- हालदार साहब इतनी सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
प्रश्न-3- आशय स्पष्ट कीजिए
“बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्ती-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढती है”
प्रश्न-4- पान वाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
प्रश्न-5- “वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल!”
कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
नेताजी का चश्मा की रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न–6- निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं
प्रश्न-क- हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते
प्रश्न-ख- पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आंखें पोछता हुआ बोला- साहब! कैप्टन मर गया
प्रश्न-ग- कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
प्रश्न-8- कस्बों शहरों महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन सा हो गया है–
प्रश्न-क- इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
प्रश्न-ख- आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
प्रश्न-ग- उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों की क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
प्रश्न-9- सीमा पर तैनात फौजी ही देश-प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश-प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे- सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।
नेताजी का चश्मा का भाषा अध्ययन
प्रश्न-12- निम्निखित वाक्यों से निपात छांटिए और उनसे नए वाक्य बनाएये-
प्रश्न-क- नगरपालिका थी तो कुछ न कुछ करतीं भी रहती थी |
प्रश्न-ख- किसी स्थानीय कलाकार को हि अवसर देने का निर्णय किया गया होगा |
प्रश्न-ग- यानी चश्मा तो था लेकिन संगमरमर का नहीं था|
उत्तर-
प्रश्न-घ- हालदार साहब अब भी नहीं समझ पाए |
प्रश्न-ड- दो साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले से उस कसबे से गुजरते रहे |
प्रश्न-13- निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए –
प्रश्न-क वह अपनी छोटी सी दूकान में उपलब्ध गिने चुने फ्रेमों में से नेताजी की मूर्ति पर फिट कर देता है | कर्मवाच्य में बदलिए
प्रश्न-ख-पानवाला नया पान खा रहा था | कर्मवाच्य में बदलिए
प्रश्न-ग- पानवाले ने साफ बता दिया था| कर्मवाच्य में बदलिए
प्रश्न-घ- ड्राइवर ने जोर से ब्रेक मारे| कर्मवाच्य में बदलिए
प्रश्न-ड- नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया| कर्मवाच्य में बदलिए
प्रश्न-च- हालदार साहब ने चश्मे वाले की देशभक्ति का सम्मान किया| कर्मवाच्य में बदलिए
प्रश्न-14- निचे लिखे वाक्यों को भाववाच्य में बदलिए
प्रश्न-क – माँ बैठ नहीं सकती| भाववाच्य में बदलिए
प्रश्न-ख- माँ देख नहीं सकती| भाव वाच्य में बदलिए
प्रश्न-ग- चलो, अब सोते हैं| भाव वाच्य में बदलिए
प्रश्न-घ- माँ रो भी नहीं सकती | भव वाच्य में बदलिए
‘नेताजी का चश्मा’ का अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न/ नेताजी का चश्मा का अन्य प्रश्न
प्रश्न नेताजी का चश्मा पाठ का उद्देश्य क्या है
उत्तर- नेताजी का चश्मा का उद्देश्य कैप्टन चश्मे वाले के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों के योगदान को रेखांकित या चित्रित करना है।
प्रश्न- नेताजी का चश्मा का संदेश क्या है?
उत्तर- नेताजी का चश्मा पाठ का संदेश यह है कि देश का कोई भी नागरिक को चाहे वह बड़ा हो, चाहे वह छोटा हो, चाहे वह गरीब हो, चाहे वह अमीर हो प्रत्येक व्यक्ति को देश के स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना चाहिए।
प्रश्न- नेताजी का चश्मा के लेखक कौन है?
उत्तर- नेताजी का चश्मा के लेखक स्वयं प्रकाश हैं।
प्रश्न- नेताजी का चश्मा की साहित्यिक विधा क्या है?
उत्तर- नेताजी का चश्मा की साहित्यिक विधा कहानी है।
प्रश्न-1- नगर पालिका द्वारा किसकी मूर्ति को कहां लगवाने का निर्णय लिया ?
प्रश्न-2- जिस कस्बे में मूर्ति लगवाई जानी थी उसका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
प्रश्न-3- मूर्ति बनवाने का कार्य स्थानीय ड्राइंग मास्टर को क्यों सौंपना पड़ा ?
प्रश्न-4- नगरपालिका मूर्ति लगवाने में ठोस निर्णय क्यों नहीं ले पा रही ?
प्रश्न-5- नेता जी की मूर्ति का संक्षिप्त चित्रण कीजिए।
प्रश्न-6- नेता जी की मूर्ति में कौन सी कमी खटकती ?
प्रश्न-7- मूर्ति की कमी को कौन और किस तरह पूरा करने का प्रयास करता ?
प्रश्न-8- कैप्टन कौन ? उसका व्यक्तित्व नाम के विपरीत कैसे था?
प्रश्न-9- ‘नेताजी का चश्मा पाठ’ के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश देने का प्रयास किया है?
प्रश्न-10- हालदार साहब के लिए कैप्टन सहानुभूति का पात्र था? इसे आप कितना उचित समझते हैं?
प्रश्न-11- बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या प्रदर्शित करता ?
प्रश्न- स्वयं प्रकाश का जन्म कब और कहां हुआ था?
उत्तर- स्वयं प्रकाश का जन्म सन 1947 में इंदौर के मध्य प्रदेश में हुआ था।
प्रश्न- स्वयं प्रकाश की अन्य कहानियों के नाम लिखिए।
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नेताजी का चश्मा का शब्दार्थ / नेताजी का चश्मा पाठ का शब्दार्थ
द्रवित का क्या अर्थ है द्रवित का अर्थ है पिघला हुआ
दरकार का क्या अर्थ है दरकार का अर्थ है जरूरत
आँखें भर आई मुहावरे का क्या अर्थ है आंखें भर आई मुहावरे का अर्थ है आंखों में आंसू आ गए
निष्कर्ष का क्या अर्थ है निष्कर्ष का अर्थ है निर्णय
दुर्दमनीय का क्या अर्थ है दुर्दमनीय का अर्थ है जिसे दबाना कठिन हो या जिसका दमन करना कठिन हो
सिलसिला का क्या अर्थ है सिलसिला का अर्थ है क्रम
तोंद का क्या अर्थ है तोंद का अर्थ है पेट
थिरकना का क्या अर्थ है थिरकना का अर्थ है हिलना